
महान आचार्य चाणक्य की अर्थशास्त्र की पांडुलिपि खतरे में……. इतिहास को सहेजकर रखना बेहद जरूरी…..
बेंगलूरु:-
वैश्वीकरण के दौर में भी आचार्य चाणक्य(कौटिल्य)के सिध्दांत और नीतियां प्रासंगिक है,लेकिन उनकी अमूल्य धरोहर खतरे में पड़ गई है।शासन और शासक की जिम्मेदारी ,सैन्य रणनीति,न्याय-अर्थव्यवस्था के गूढ़ सिध्दांत बताने वाली उनकी किताब ‘अर्थशास्त्र’ की मूल पांडुलिपि नष्ट होने की कगार पर है।
मौर्य शासनकाल में चाणक्य द्वारा ताड़ के पत्तो पर लिखी गई पांडुलिपि मैसूर के ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट में रखी गई है, लेकिन उसकी समुचित देखरेख नही हो रही है।मैसूर विश्वविद्यालय के अधीन आने वाले इस संस्थान के पास अर्थशास्त्र की मूल पांडुलिपि के संरक्षण के लिए प्रर्याप्त पैसे नही है।मौर्य साम्राज्य के काल मे लिखे गए इस अर्थशास्त्र को सिर्फ एक गद्देदार बक्से में लपेटकर रखा जाता है।इसे जहा रखा गया है वह कमरा न वातानुकूलित है,और न ही उस कमरे में नमी सोखने वाले उपकरण लगे है।इसके पन्ने दिन ब दिन टूटकर बिखर रहे है।यह पांडुलिपि महज एक बॉक्स जैसे कपड़े में लपेट कर रखी गई है।।।।