
गाँव आज भी भारतीय सभ्यता और संस्कृति के आधार स्तंभ हैं…ग्राम पंचायत में विशेष पहल,अब गांव की महिलाएं बायोगैस (Biogas) पर ही खाना बनाते नजर आएंगी
कमलेश यादव:शहरों की भीड़ भाड़ वाली जिंदगी से दूर भारत में गाँवो में जीवन बहुत ही सरल और सीधा साधा है।तभी तो राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का कहना था,भारत की आत्मा गांवों में बसी हुई है ।इसलिए गाँधी जी ने गांवों की दशा सुधारने के लिए ग्रामीण योजनाओं को कार्यान्वित करने पर विशेष बल दिया था।आज हम आपको लेकर जाएंगे छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के नगरी ब्लॉक की भैसामुड़ा ग्राम पंचायत।चारो तरफ वनों से आच्छादित यह पँचायत प्रकृति के गोद मे बसा हुआ है।यहां के सरपंच रामजी मरकाम के अथक प्रयास से अब गांव की महिलाएं बायोगैस (Biogas) पर ही खाना बनाते नजर आएंगी. दरअसल सरपंच रामजी के अनुसार गाँवो में आजीविका का मुख्य साधन कृषि ही है इसीलिए भारत को कृषि प्रधान देश भी कहा जाता है.गांव में गोबर आसानी से उपलब्ध होता है. ऐसे में अगर किसान गोबर का उपयोग करके गोबर गैस का इस्तेमाल करे तो पर्यावरण में भी सुधार होगा और बचे हुए गोबर से खाद के रूप में कृषि में उपयोग करने से रासायनिक मुक्त योजना चलाई जा सकती है।
बहरहाल अभी बायो गैस का निर्माण कार्य पँचायत में तेज गति से चल रहा है।ग्राम सरपंच रामजी मरकाम अपने ग्राम पंचायत की तस्वीर बदलने में जुटे हुए हैं।गाँवो के विकास के लिए सरकार ने बहुत ध्यान दिया है और इसके लिए कई योजनाएं भी बनाई है. इन योजनाओं का कुछ हद तक गाँवो के विकास पर असर भी दिखाई दिया है।गाँव आज भी भारतीय सभ्यता और संस्कृति के आधार स्तंभ हैं।