
अनोखा बैंक…लोन पर बकरी लें जाएं और बाद में मेमने लौटाएं…गांव में आम बैकिंग सिस्टम के विपरीत एक अलग ही व्यवस्था चलाई जा रही है, जिससे काफी लोगों को फायदा भी हुआ है
बैंक शब्द सुनते ही अमूमन सबसे पहले जो विचार आते हैं वह रुपयों के लेनदेन से संबंधित होते हैं। बैंकिंग सिस्टम में यही होता भी है कि लोग सुरक्षा की दृष्टि से या ब्याज कमाने के लिए बैंक में अपनी-अपनी बचत राशि को जमा कराते हैं और जरूरत पड़ने पर निकालते रहते हैं। हालांकि, महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव में आम बैकिंग सिस्टम के विपरीत एक अलग ही व्यवस्था चलाई जा रही है, जिससे काफी लोगों को फायदा भी हुआ है। यहां बात हो रही है बकरियों के बैंक की।
‘गोट बैंक ऑफ कारखेड़ा’
बकरियों के बैंक के बारे में सुनते ही हर कोई पहली दफा तो चौंकता ही है। दरअसल, महाराष्ट्र के अकोला में बकरियों के बैंक को 52 साल के नरेश देशमुख ऑपरेट कर रहे हैं। वह अकोला जिले के सांघवी मोहाली गांव में ‘गोट बैंक ऑफ कारखेड़ा’ का संचालन कर रहे हैं।
बकरी पालन करने वाले मजदूरों से मिली प्रेरणा
नरेश देशमुख ने बताया कि उन्हें इस अनूठे बकरी बैंक को खोलने की प्रेरणा दो साल पहले बकरी पालन करने वाले मेहनती और ईमानदार मजदूरों के परिवारों से मिली। उन्होंने इस बात पर गौर किया कि यह परिवार मजदूरी करने के साथ ही बकरियां पालते हैं, जिससे इन्हें आर्थिक मदद मिलती है। साथ ही इस काम से यह परिवार छोटी-मोटी जमीन खरीदना, बच्चों की पढ़ाई और शादियां भी कर पाते हैं।
40 लाख के निवेश से खोला बकरी बैंक
नरेश ने बताया कि उन्होंने 4 जुलाई 2018 को 40 लाख रुपये के निवेश से बकरी बैंक खोला और 340 बकरियां खरीदीं। उन्होंने यह बकरियां बाकायदा लोन एग्रीमेंट करके 340 श्रमिकों और छोटे किसानों के परिवारों की महिलाओं को उपलब्ध कराईं। हर एक महिला से 1200 रुपये रजिस्ट्रेशन फीस लेकर एक-एक प्रेग्नेंट बकरी दी गई। एग्रीमेंट की शर्त के मुताबिक एग्रीमेंट करने वाली महिला को 40 महीने में एक बकरी के बदले में बकरी के चार बच्चे बैंक को लौटाने होते हैं। जबकि उस महिला को औसतन इन 40 माह में अपने पास की बकरियों से 30 बच्चे मिलते हैं। 4 बच्चे बैंक को देने के बाद भी महिला के पास 26 बच्चे बचे रहते हैं। अनुमान के मुताबिक, हर महिला को इस तरीके से करीब ढाई लाख रुपये का लाभ होता है। देशमुख ने बताया कि अब इस बैंक के 1200 से ज्यादा डिपॉजिटर्स हैं।
बैंक ने की एक करोड़ रुपये की कमाई
जब जुलाई 2018 में नरेश ने बैंक की शुरुआत की तब उनके पास 800 बकरियों के बच्चे लौट कर आए। इनके बड़े हो जाने पर बैंक ने इन्हें कॉन्ट्रेक्टर को बेच दिया, जिससे करीब एक करोड़ रुपये की कमाई हुई। बता दें, बकरी की कीमत उससे वजन के हिसाब से तय होती है। इसका वजन 35 से 52 किलो तक हो सकता है। इसी हिसाब से इसकी कीमत भी 12,000 से लेकर 18,000 रुपये के बीच हो सकती है।
अपने अनूठे पहल का कराया पेटेंट
देशमुख ने अपनी इस कवायद का पेटेंट भी करा रखा है। उन्होंने कारखेड़ा एग्री प्रोड्यूसर नामक कंपनी स्थापित की है। उनका उद्देश्य है कि आने वाले एक साल में महाराष्ट्र में 100 बकरी बैंक खुले। उन्होंने महिला आर्थिक विकास महामण्डल के साथ एमओयू पर दस्तखत किए हैं। एमओयू पर दस्तखत के वक्त महाराष्ट्र की महिला बाल कल्याण मंत्री यशोमति ताई ठाकुर और महिला आर्थिक विकास महामण्डल की अध्यक्ष ज्योतिताई ठाकरे की मौजूद रहीं। एमओयू के मुताबिक पूरे महाराष्ट्र में महिलाओं में बकरियों के वितरण और बकरियों के बच्चों के कलेक्शन की जिम्मेदारी महिला आर्थिक विकास महामण्डल ने ली है।