सपने को पूरी करने की कोई उम्र नहीं होती…बेटी के लिए 64 की उम्र में एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाला पिता

कहा जाता है कि अगर किसी चीज का जुनून हो तो कोई भी काम कठिन नहीं हो सकता है। पढ़ाई का जुनून लिए ओडिशा के बरगढ़ जिले के अताबीरा के 64 वर्षीय रिटायर्ड बैंक अधिकारी जय किशोर प्रधान ने अपने सपने को पूरा अब जाकर पूरा किया है। दरअसल, 64 साल के जय किशोर प्रधान ने अपनी पूरी जिंदगी एसबीआई में काम करते हुए निकाली। एसबीआई में डिप्टी मैनेजर पद से रिटायर हुए 64 वर्षीय जय किशोर प्रधान ने पढ़ाई के जुनून को बरकार रखते हुए इस साल सितंबर में ऑल इंडिया लेवल पर होने वाले मेडिकल एंट्रेंस के एग्जाम नीट की परीक्षा दी और परीक्षा पास करके एमबीबीएस प्रथम वर्ष में दाखिला लिया है।

जय किशोर प्रधान ने NEET परीक्षा पास करने के बाद MBBS कोर्स के लिए दिव्यांगता आरक्षण श्रेणी में ओडिशा के बुर्ला स्थित सरकारी वीर सुरेन्द्र साईं इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च (VIMSAR) में एमबीबीएस प्रथम वर्ष में दाखिला लिया है। वीआईएमएसएआर के निदेशक प्रोफेसर ललित मेहर का कहना है कि यह देश के स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में दुर्लभ मौका है और प्रधान ने उम्र की इस अवस्था में मेडिकल स्टूडेंट के रूप में प्रवेश लेकर एक उदाहरण पेश किया है।

ओडिशा के बरगढ़ जिले के अताबीरा के रहने वाले जय किशोर प्रधान ने बताया कि ‘मैं अपनी आईएससी (साइंस से 12वीं) करने के बाद मेडिकल प्रवेश परीक्षा में आवेदन किया था, लेकिन इसे क्रैक करने में असफल रहा। जय प्रधान आगे बताते हैं कि ‘इसके बाद मैंने फिजिक्स में बीएससी (ग्रैजुएशन) किया और एक स्कूल में अध्यापक के रूप में नियुक्ति हुई। एक साल बाद मैंने इंडियन बैंक ज्वाइन किया और फिर 1983 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में नौकरी मिली। उन्होंने कहा कि ‘सपने को पूरी करने की कोई उम्र नहीं होती इसलिए मैनें 2016 में बैंक से रिटायरमेंट के बाद मैंने NEET की तैयारी शुरू कर दी। मैं इस बार प्रवेश परीक्षा में बैठा और सफल हो गया। एक डॉक्टर के रूप में ट्रेनिंग के बाद मेरी इच्छा गरीबों को मुफ्त मेडिकल ट्रीटमेंट उपलब्ध कराने की है।’

इसलिए बीच में नहीं छोड़ी नौकरी
जय प्रधान ने बताया, ‘मैंने अपनी नौकरी छोड़कर एमबीबीएस में दाखिला लेने की योजना बनाई थी लेकिन हम पांच भाई हैं और परिवार की जिम्मेदारियों के चलते मैं उस वक्त नौकरी नहीं छोड़ सका।’ जुड़वां बेटियों और एक बेटे के पिता, प्रधान ने परीक्षा में एक और शॉट तब लेना चाहा जब उनकी बेटी 2016 में अपनी मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रही थी। प्रधान ने कहा कि जब मैं उसकी तैयारी में मदद कर रहा था तब मुझे लगा की क्यों ना मैं भी एक्जाम दे लूं। मेरी पत्नी प्रतिभा, जो फार्मासिस्ट हैं, ने भी मुझे प्रोत्साहित किया। वह यंग जेनरेशन के लिए प्रेरणास्रोत हैं।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला बना मददगार
बता दें कि, जय प्रधान शारीरिक रूप से दिव्यांग हैं इसलिए उन्होंने शारीरिक रूप से विकलांग छात्र कोटे के तहत एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया है। हालांकि, NEET परीक्षा के लिए ऊपरी आयु सीमा 25 वर्ष है। उन्होंने आगे बताया कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने अपनै फैसले में 25 साल से ऊपर की उम्र के लोगों को भी नीट में शामिल होने की अनुमति दे दी थी जिसके बाद वीर सुरेन्द्र साईं इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च (विमसार) में उन्हें दाखिला लेने में मदद मिली।

एमबीबीएस में दाखिला लेने वाले सबसे उम्रदराज
VIMSAR के निदेशक प्रोफेसर ललित मेहर ने कहा कि जय प्रधान मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लेने वाला सबसे पुराना छात्र है। यह चिकित्सा शिक्षा के इतिहास में दुर्लभ घटनाओं में से एक है। उन्होंने इतनी उम्र में मेडिकल छात्र के रूप में प्रवेश पाकर एक मिसाल कायम की है। विमसार के डीन और प्रिसिंपल ब्रजमोहन मिश्रा का कहना है कि, ‘एमबीबीएस कोर्ट में दाखिले के लिए अब उम्र की कोई सीमा नहीं है। कैंडिडेट इस सत्र से शुरू होने वाली क्लास में शामिल होंगे।’ उन्होंने बताया कि जय प्रधान एमबीबीएस कोर्स में दाखिला लेने वाले सबसे उम्रदराज हैं


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