बाइक एंबुलेंस दादा,किसी मरीज को अस्पताल तक पहुंचने में दिक्कत न हो इसलिए बाइक एंबुलेंस की शुरुआत की

पद्मश्री से सम्मानित बाइक एंबुलेंस दादा के नाम से मशहूर करिमुल हक विगत दिनों बागडोगरा हवाई अड्डे पर प्रधानमंत्री से मिले। करिमुल हक को उनकी नि:स्वार्थ सेवा के लिए जाना जाता है।

मुफ्त सेवा करते हैं करीमुल हक
जानकारी के मुताबिक करीमुल हक जहां रहते हैं उन इलाकों की सड़के बेहद खराब हैं. खराब सड़कें होने की वजह से वहां एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती. समय पर एंबुलेंस ना पहुंचने की वजह से कई मरीज अपनी जान गंवा बैठते हैं. जिसके बाद करीमुल हक ने यह जिम्मेदारी अपने सिर ले ली और बीमार लोगों को सही समय पर अस्पताल पहुंचाने की जिम्मेदारी उठी ली. अपने इस काम के लिए वो किसी से भी पैसा नहीं लेते.

5 हजार लोगों की बचाई जान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस शख्स को गले लगाया उस शख्स का नाम करीमुल हक (Karimul Haque) है. करीमुल हक एक मशहूर समाजसेवी है. करीमुल हक को ‘बाइक एंबुलेंस दादा’ (Bike Ambulance Dada) के तौर जाना जाता है. करीमुल हक बीमार लोगों को अपनी मोटरसाइकिल एंबुलेंस के जरिए लोगों को अस्पताल पहुंचाते हैं. अपने इस नेक काम की वजह से करीमुल हक अब तक करीब 5 हजार लोगों की जान बचा चुके हैं. करीमुल हक को उनकी सेवाओं के लिए पदमश्री अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है.

हक चाय बागान में काम करते हैं। वे बाइक पर बैठाकर लोगों को आस पास के क्षेत्रों में इलाज के लिए लेकर जाते हैं। उनकी इस अनूठी सेवा के लिए उन्हें 2017 में पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया। वक्त पर इलाज नहीं मिलने की वजह से 1995 में हक की मां का हार्ट अटैक से निधन हो गया था।

उसके बाद से ही हक ने फैसला किया कि एंबुलेंस की कमी के कारण किसी मरीज को अस्पताल तक पहुंचने में दिक्कत न हो इसलिए बाइक एंबुलेंस की शुरुआत की। 1998 से हक करीब 20 गांवों में अपनी सेवा दे रहे हैं। डुआर्स क्षेत्र में ढांचागत सुविधाओं का जबर्दस्त अभाव है। यहां पानी, बिजली और सड़क की सुविधाओं के लिए भी लोग जूझ रहे हैं।


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