
Self-Healing Roads : बहुत जल्द सड़कों में हुई टूटफूट की मरम्मत खुद ही पूरी हो जाएगी…अपने आप भर जाएंगे गड्ढे, एक्सीडेंट पर लगेगी लगाम, NHAI ला रहा जादुई तकनीक
नई दिल्ली. सड़कों पर बने गड्ढे हर साल हजारों मौत के जिम्मेदार होते हैं. दिक्कत ये आती है कि एक बार सड़क पर गड्ढा बन जाए तो उसे भरने के लिए बाकायदा ठेका दिया जाता है और फिर मरम्मत कार्य शुरू होता है. इस सारी प्रक्रिया को पूरा करने में कई महीने निकल जाते हैं. लेकिन, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने अब ऐसा तरीका खोज निकाला है जिससे सड़कें खुद अपनी मरम्मत कर लेंगी. सुनने में यह थोड़ा अजीब जरूर लग रहा होगा, लेकिन जल्द ही भारतीय सड़कों पर आपको यह तकनीक दिखाई दे जाएगी.
NHAI का कहना है कि सड़कों में सेल्फ हीलिंग तकनीक विकसित करने के लिए नए तरीके का डामर इस्तेमाल किया जाएगा. मामले से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सड़क बनाते समय ही इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, जो सड़कों में गड्ढे होने से रोकेगा. अव्वल तो इस तकनीक के इस्तेमाल से सड़कों में टूट-फूट जल्दी नहीं होगी. अगर छोटे-मोटे क्रैक आ भी जाते हैं तो वह अपने आप ठीक हो जाएंगे और बड़े गड्ढे नहीं बनेंगे.
पैसे और समय दोनों की बचत
अधिकारी का कहना है कि इस तकनीक के इस्तेमाल से सड़कें जल्दी खराब नहीं होंगी, जिससे बार-बार उनकी मरम्मत पर होने वाला खर्च भी बचेगा. इसके अलावा मरम्मत कार्य के दौरान अक्सर ट्रैफिक रोकना या डायवर्ट करना पड़ता है, तो यह तकनीक इस मुसीबत से भी छुटकारा दिला देगी. यानी ट्रैफिक रोकने या डायवर्ट करने की जरूरत भी भविष्य में नहीं पड़ेगी.
कैसे काम करेगी तकनीक
अधिकारी के मुताबिक, सड़क निर्माण करते समय स्टील के पतले रेशे डाले जाएंगे जिन्हें बिटुमिन जो एक प्रकार का डामर होता है, इसका इस्तेमाल किया जाएगा. सड़क में जैसे ही कोई टूट-फूट होगी तो यह बिटुमिन गर्म होकर फैलना शुरू हो जाएगा और यह वापस कंक्रीट के साथ मिलकर स्टीलनुमा धागों को जोड़ देगा. इस प्रक्रिया से सड़कों में गड्ढे नहीं होंगे.
सड़क दुर्घटना का बड़ा कारण हैं गड्ढे
राजमार्ग मंत्रालय के आंकड़े देखें तो पता चलता है कि साल 2022 में गड्ढों की वजह से सड़क दुर्घटना में 22.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. 2021 में जहां 3,625 हादसे हुए थे, वहीं 2022 में यह बढ़कर 4,446 पहुंच गया. इन हादसों में 1,800 से ज्यादा लोगों को जान गंवानी पड़ी, जो इससे पहले के साथ के मुकाबले 2 फीसदी ज्यादा था.