किसान आंदोलन…देश के बड़े किसान संगठन ‘ अखिल भारतीय किसान महासंघ ( आइफा ) ने भरी हुंकार , लड़ाई होगी अब आर – पार

कल किसानों के विरोध प्रदर्शन में अखिल भारतीय किसान संघ ( आइफा ) भी होगा सक्रिय रूप से शामिल..
किसान विरोधी विधेयक के पारित होने का सर्वविध होगा विरोध …आइफा का आंदोलन है गैर राजनीतिक व अहिंसक.. देश के पैंतालीस किसान संगठनों का गैर राजनीतिक साझा मंच है आइफा… ” कृषि सुधार बिलस् ” को है सुधार की आवश्यकताः आइफा

कृषि सुधार विधेयकों के मुद्दे पर किसान संगठनों ने 25 सितंबर के राष्ट्रव्यापी बंद को सफल बनाने के लिए कमर कस ली है . कई राज्यों के किसानों में इन विधेयकों को लेकर भारी गुस्सा व्याप्त है . देश के बड़े किसान संगठन ‘ अखिल भारतीय किसान महासंघ ( आइफा ) के राष्ट्रीय संयोजक डॉ राजाराम त्रिपाठी का कहना है कि मीडिया में ये खबर फैला दी गई थी कि ये आंदोलन तो केवल तीन – चार राज्यों का है . अब 25 सितंबर को यह पता चलेगा कि देश का हर राज्य किसानों के साथ खड़ा है . तकरीबन सभी राज्यों में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन होंगे

डॉ त्रिपाठी का कहना है कि अब किसान और धोखा नहीं सहेगा . समय आ गया है कि किसान विरोधी सरकार को उसी की भाषा में जवाब दी जाए . किसानों की समस्याओं को उठाने वाले आइफा के तहत 45 संगठन है , तो वहीं तकरीबन दो सौ संगठन और हैं जो देशभर में विरोध प्रदर्शन करेंगे . वे सब अपने अपने तरीके से बंद को सफल बनाने की रणनीति तैयार कर रहे हैं . दक्षिण भारत के राज्यों में भी इस बंद का व्यापक असर देखने को मिलेगा . उन्होंने कहा कि 25 सिसंबर को देशभर के विभिन्न किसान संगठनों द्वारा प्रस्तावित आंदोलन को ‘ अखिल भारतीय किसान महासंघ ‘ अपना पूरा समर्थन देगा . हाल में कृषि सुधार के नाम पर लाए गए 3 अध्यादेशों में किसान विरोधी प्रावधानों से तथा सरकार की हठधर्मिता से आइफा के सभी साथी किसान संगठन दुखी तथा नाराज हैं और आइफा में शामिल सभी किसान संगठन तथा उनके सदस्य जो जहां पर हैं , वहीं पर विरोध में शामिल होगा .

यह आंदोलन पूर्णतया अहिंसक तरीके से किया जाएगा . इन बिलों का विरोध कर रहे सभी संगठन तथा सभी समन्वय समितियों को हमारे द्वारा हर प्रकार से समर्थन दिया जाएगा . डॉ राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि आइफा देशभर के किसान संगठनों का विशुद्ध रूप गैर राजनीतिक साझा मंच है तथा इस मंच का किसी भी राजनीतिक दल से ना कोई संबंध है ना ही इसका प्रयोग किसी राजनीतिक दल को करने दिया जाएगा , आइफा द्वारा इन अध्यादेशों की विसंगतियों को लेकर अध्यादेशों के अस्तित्व में आने की तिथि के बाद से ही , अर्थात जून के दूसरे हफ्ते से ही , विभिन्न मंचों से बार – बार चेताया गया है , पर सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी , यहां तक कि आइफा की ओर से हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस आशय का विरोध पत्र भी भेजा गया था .

उल्लेखनीय है कि हाल ही में आइफा ने सरकार को बीच का रास्ता सुझाते हुए इन विधेयकों में सुधार हेतु , एक ‘ सात सूत्रीय फॉर्मूला ‘ पेश किया था . आइफा ने दो टूक कहा कि या तो सरकार यह सारे बिल वापस ले तथा किसानों से चर्चा करके नए बिल लाए , अथवा ऊपर सुझाए गए बिंदुओं पर अपने अधिनियमों में आवश्यक संशोधन करें . जब तक ऐसा नहीं होता तब तक आईफा तथा इसके सभी सहयोगी किसान संगठन अपने अपने स्तर पर आंदोलन करते रहेंगे


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