
शिक्षण के प्रति उनका समर्पण,नवाचार और जुनून न केवल व्यक्तिगत जीवन बदल रहा है बल्कि हमारे देश के शैक्षिक परिदृश्य पर भी अमिट प्रभाव छोड़ रहा है
कमलेश यादव : किसी भी व्यक्ति के जीवन में माता-पिता के बाद यदि किसी का सबसे अधिक महत्व होता है तो वह शिक्षक ही होता है।आज हम जिस शिक्षक की कहानी के बारे में बात करने जा रहे हैं वह समर्पण,करुणा और नवीन शिक्षण पद्धतियों में से एक है।अपनी अटूट प्रतिबद्धता और प्रत्येक छात्र की क्षमता में अपने विश्वास के माध्यम से,शासकीय महारानी लक्ष्मी बाई उच्चतर माध्यमिक विद्यालय राजनांदगांव के प्रभारी प्राचार्य श्री चैतराम वर्मा ने अनगिनत छात्राओं के जीवन को बदल दिया है।
सत्यदर्शन लाइव द्वारा बचपन की स्मृतियों के बारे में पूछे जाने पर श्री चैतराम वर्मा ने बताया कि उनका जन्म केम्प 1 भिलाई में हुआ था।पिता स्व.जेठू राम वर्मा भिलाई इस्पात संयंत्र में पदस्थ थे।वैसे पैतृक घर राजनांदगांव जिला मुख्यालय से 15 किमी की दूरी पर स्थित एक छोटा सा गांव बुन्देलीकला (बोदेली) है।आज भी जब वह गांव जाते हैं तो बचपन की हर याद उनकी आंखों के सामने आने लगती है।प्राथमिक शिक्षा गांव के स्कूल में ही हुई। मैट्रिक की पढ़ाई म्युनिसिपल स्कूल से और उच्च शिक्षा दिग्विजय कॉलेज,राजनांदगांव से पूरी की।
एक शिक्षक के रूप में श्री चैतराम वर्मा की यात्रा 1988 में शुरू हुई,जब उन्हें छुरिया में पदस्थ किया गया।उनका कहना है कि “मैं अपने प्रत्येक छात्र में खुद को देखता हूं और मेरा मानना है कि प्रत्येक छात्र अपनी परिस्थितियों से ऊपर उठकर महानता हासिल कर सकता है।”कुछ वर्षों के बाद हाई स्कूल तिलई स्थानांतरित हो गया,वर्तमान में वे शासकीय महारानी लक्ष्मी बाई उच्चतर माध्यमिक विद्यालय राजनांदगांव में व्याख्याता के पद पर पदस्थ होकर प्रभारी प्राचार्य का दायित्व निभा रहे हैं।आज उनके पढ़ाए कई छात्र अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रहे हैं।
प्रभारी प्राचार्य श्री चैतराम वर्मा ने बताया कि किसी भी बच्चे को पढ़ाने से पहले उसे समझने की जरूरत होती है,तभी एक शिक्षक किसी छात्र को बेहतर बना सकता है।कहते हैं शिक्षक एक मोमबती की तरह होता है जो स्वयं जलकर समाज को प्रकाशित करता है।यह बात बिल्कुल सत्य है क्योंकि एक शिक्षक ही होता है जो समाज में अंधियारा दूर करके ज्ञान रूपी प्रकाश फैलाता है।
कामयाबी और सपनों में बड़ा गहरा रिश्ता होता है। जब मेहनत इरादों के रथ पर सवार होकर अपने सफर पर चल पड़ती है तो लाख मुसीबतों के बाद भी सफलता कदम चूमने को बेकरार हो जाती है…श्री चैतराम वर्मा
प्रेरणापुंज
श्री चैतराम वर्मा जी कहते हैं कि प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय से जुड़कर मुझे हर पल सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त हुई है।सुबह की शुरुआत ध्यान से होती है।यहां से कई लोगों को नशा मुक्ति और जीवन जीने की कला सीखने को मिली है। विपरीत परिस्थितियों में भी स्वयं पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
शिक्षा केवल ज्ञान और कौशल प्रसारित करने के बारे में नहीं है,बल्कि एक सुरक्षित और पोषणपूर्ण वातावरण बनाने के बारे में है जहाँ हर छात्र आगे बढ़ सके।प्रत्येक सफल छात्र के पीछे,अक्सर एक शिक्षक होता है जो उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करने के लिए हर संभव प्रयास करता है।श्री चैतराम वर्मा जी ने छात्रों के साथ-साथ कई शिक्षकों को भी शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति में विश्वास करने के लिए प्रेरित किया है।ऐसी शख्सियत को सत्यदर्शन लाइव सलाम करता है।