आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है…गांव में बिजली नही था…इस शख्स ने पूरे गांव के लिए बनाई बिजली…अब गांव के 20 घरों में फ़्री में आ रही है बिजली

गांव का अंधेरा दूर करने के लिए युवक ने बिजली बना दी। यह खबर झारखंड के लोहरदगा की है। जंगल और पहाड़ों से घिरे गांव में बिजली एक सपना था। मगर इस गांव के कामिल टोपनो नामक युवक ने पहाड़ी पानी से बिजली पैदा कर पूरे गांव को रोशन कर दिया। इस युवक को 5 साल के अथक परिश्रम के बाद यह कामयाबी मिली। लोहरदगा के किस्को प्रखंड का सुदूरवर्ती जंगल पहाड़ों से घिरा ठकुराइन डेरा गांव में मात्र 11 घर हैं। सरकार की मेहरबानी से गांव कब रोशन होता कहना मुश्किल था। मगर इस गांव के होनहार नौजवान कामिल टोपनो ने अपने बूते गांव में बिजली ला दी।

2500 वाट पैदा होती है बिजली
कामिल ने यह मिनी हाइडल पावर जनरेटर बनाया है। इसमें 2500 वाट बिजली पैदा होती है। पहाड़ की ऊंचाई पर वाटर टैंक बनाया है। यहां पहाड़ी नालों का पानी बह कर आता है। सिंचाई में प्रयुक्त होने वाले पाइप के जरिए इस पानी को हाइडल पावर जनरेटर तक पहुंचाया है। ऊंचाई से पूरी फोर्स और प्रेशर के साथ जनरेटर तक पहुंचने वाला पानी इसके टरबाइन को घुमाता है। इससे बिजली पैदा होती है। गांव के युवक के जुगाड़ू उपायों से बनाया यह मिनी पनबिजली संयंत्र अपने आप में खास है। इससे हर घर तो रोशन है ही साथ ही बिजली के उपकरण जैसे ड्रिलर, वाटर हीटर भी प्रयोग में लाए जा सकते हैं। बाहरी दुनिया से मोबाइल के जरिए कनेक्शन भी इसी की बदौलत है। इस बिजली की मदद से लोग मोबाइल चार्ज कर लेते हैं। बिजली के साथ पानी भी घर और खेतों तक पहुंच रहा है। जंगल पहाड़ों में झोपड़ियों में गुजर करने वाले परिवार बिजली के बल्ब जलाकर बड़े खुश हैं।

पूरे गांव में फैलाई बिजली
कमिल चाहता तो खुद की बनाई बिजली का उपयोग अपने परिवार तक सीमित रख सकता था। मगर इस नौजवान की नेक नीयत और गांव के प्रति अच्छी सोच काबिले तारीफ है। गांव में सरकारी बिजली कुछ दिनों पहले आई मगर चंद दिनों बाद तकनीकी समस्याओं की वजह से चली गई। फिर से एक बार गांव कमिल की बिजली के भरोसे है। कमिल का कहना है कि उसके इस छोटे से हाइडल प्रोजेक्ट से गांव में जो बिजली आई है उससे बहुत बदलाव आया है।


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