
प्रकृति के उत्सव का पर्व सावन…मिट्टी की सोंधी खुशबू में पवन की झोकों पर नाचती-इठलाती टहनियां,उफनती नदियां, मेघ-मल्हार की अठखेलियां प्राकृतिक तान छेड़कर पशु-पक्षी-मानव सब को झूमने पर मजबूर कर देती है
कमलेश यादव:श्रावण मास का आगमन हो गया है,शिवजी का प्रिय माह, इस माह में शिवजी की विशेष पूजा की जाती है. सभी शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। माना जाता है कि भगवान शिव भक्तों द्वारा की गई सच्ची प्रार्थना से खुश होकर मनवांछित वर प्रदान करते है।प्रकृति की खूबसूरती भी मन को मोह लेने वाली होती है ऐसे लगता है जैसे प्रकृति ने हरियाली का आवरण ओढ़ नई नवेली दुल्हन सी बन गई हो।
प्रकृति के उत्सव का पर्व सावन
सावन की हरियाली में सराबोर वातावरण में मिट्टी की सोंधी खुशबू में पवन की झोकों पर नाचती-इठलाती टहनियां, उफनती नदियां, मेघ-मल्हार की अठखेलियां प्राकृतिक तान छेड़कर पशु-पक्षी-मानव सब को झूमने पर मजबूर कर देती है. सावन में नहाई हुई प्रकृति पर जब सुरज की किरणें पड़ती है तो लगता है जैसे उसकी सुंदरता में चार-चांद लग गया हो. आसमान से हो रहे मेघगर्जन को सुनकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे खंभों पर जलती चिमनियां बार-बार चौंक रही हैं. इस मौसम में घर-आंगन, सभी कुछ सुहावना लगने लगता है. वातावरण ऐसा खुशनुमा हो जाता है जैसे घर में किसी नए मेहमान के आने की खुशी हो. भला ऐसी रम्य मौसम में कौन होगा जो उत्सव नहीं मनाना चाहेगा.
सावन के झूलों ने मुझको बुलाया
इस उत्सव का आनंद उस ग्वाले से पूछिए जो सावन में तेज थपेड़े मारती हवा में बंशी बजाता हुआ जंगलों में पशु चराता है. इस सावन का आनंद उन गांव की नवयुवतियों से पूछी जानी चाहिए जो वर्षा होते ही निकल पड़ती है गांव के बाहर आम या पीपल की शाखा की तरफ और उसी पर रस्सी का झूला डालकर झूलने लगती है. वह तो बस आसमान से गिर रही बूंदों में भिगती है और उस वक्त उनका चेहरा देखकर लगता है जैसे पूरी प्रकृति इनके अंदर खिल खिलाकर मुसकुरा रही हो.
सावन और मेघ मल्हार
इस मौसम में संगीत का भी अपना महत्व है।संगीतप्रेमियों का पसंदीदा राग है मेघ मल्हार।भारतीय शास्त्रीय संगीत की यह विशेषता है कि इसमें अलग अलग समय और मौसम के राग बताए गए है।मेघाच्छन्न आकाश,उमड़ते घुमड़ते बादलों की गर्जना और वर्षा के प्रारंभ की अनुभूति कराने की क्षमता रखने वाला यह राग खुशनुमा एहसास कराने के लिए पर्याप्त है।बॉलीवुड में भी सावन को केंद्रित करते हुए ढ़ेरो गाने लिखे गए है”सावन का महीना, पवन करे सोर, जियारा रे झूमें ऐसे, जैसे बनमां नाचे मोर'”कुल मिलाकर सावन और संगीत एक-दुसरे के पूरक हैं।