सतनाम के तेंह जोत जलाये…सतनाम के जग झंडा लहराये…कर दे जग-समाज के,मनखे-मन म उत्थान हो…गिरौदपुरी के संत महान हो

*गिरौदपुरी के संत महान हो,,,,,*।।
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गिरौदपुरी हमर,
परम अलौकिक धाम हो।
सतनाम गुरू बाबा,
मनखे-मनखे एक समान हो ।
*गिरौदपुरी के संत महान हो,*
*बाबा घासीदास सतनाम हो।*

मंहगूदास के आंख के तारा,
अमरौतीन के राजदुलारा,
तें जग में कमाये सुग्घर नाम हो।
*गिरौदपुरी के संत महान हो,,,,,*।।

सतनाम के तेंह जोत जलाये।
सतनाम के जग झंडा लहराये।
कर दे जग-समाज के,
मनखे-मन म उत्थान हो।
*गिरौदपुरी के संत महान हो,,,,,*।।

सतनाम धरम के मरम बताये।
नशा मुक्ति,मनखे भेद मिटाये।
जीव के हत्या बंद हो,
मनखे मन एक समान हो।
*गिरौदपुरी के संत महान हो,,,,,*।।

सदा सत सात्विक जीवन के राह दिखाये।
मनखे मनखे एक समान के अलख जगाये।
होगिस जग में महान,
हमर जीवन सतनाम हो।
*गिरौदपुरी के संत महान हो,,,,,*।।।
विश्वनाथ देवांगन उर्फ मुस्कुराता बस्तर युवा साहित्यकार एवं शोधार्थी
*कोंडागांव(बस्तर)छत्तीसगढ़ (भारत)


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