तुलसी चो राम चो अकार,बस्तर चो युवा कलमकार: लोकेश गायकवाड़

बस्तर में तुलसी के राम गमन पथ पर भी लिखें बस्तर के युवा कलमकार:लोकेश गायकवाड़ |
●बस्तर के युवा कलमकारों की काव्य श्रृंखला ‘ककसाड़ चो लरी’ में ‘सरगीफूल’ के बाद ‘कुड़ईफूल’ |
●मूसलाधार बारिश के बीच जमकर बरसी ऑनलाइन काव्य वर्षा |

कमलेश यादव:बस्तर के युवा कलमकारों का वाट्सअप ग्रुप के लॉकडाउन के चलते आनलाइन काव्य श्रृंखला में ‘ककसाड़ चो लरी’ के अन्तर्गत विगत दिनों ‘सरगीफूल’ का आयोजन किया गया था जिसकी अगली कड़ी के रूप मे आज संत शिरोमणि महाकवि कालजयी रचना महाकाव्य ‘रामचरित्र मानस’ के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती पर ‘कुड़ई फूल’ का आयोजन किया गया | जिसमें कार्यक्रम का शुभारंभ मां शारदे की वंदना श्रीमती गिरिजी निषाद कोंडागांव के द्वारा किया गया | फिर अगली कलमकार और मंच संचालक सुश्री गीता चौहान द्वारा हे शारदे मां वंदना प्रस्तुत किया गया |

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि की आसंदी से श्री लोकेश गायकवाड़ प्रदेश सलाहकार तुलसी मानस प्रतिष्ठान छत्तीसगढ़ ने कहा कि आज यह जो लॉकडाउन जैसी स्थिति में भी ‘ककसाड़ चो लरी’ काव्य श्रृंखला के अन्तर्गत ऑनलाइन काव्यमय संध्या ‘कुड़ईफूल’ का आयोजन निश्चित ही तुलसी चो राम चो अकार,बस्तर चो युवा कलमकार आय | जे ने इतरो सुंदर आयोजन होली से | उन्होंने आगे कहा कि भारत विश्व विख्यात धर्म प्रधान देश है,यह संस्कारों की धरा रही है,और छत्तीसगढ़ की इस धरा का तो स्थान स्तुत्य और अनुपम महत्वपूर्ण है ही | हम राम के मामा गांव से हैं,महाकौशल से हैं, जहां की बेटी कौशिल्या माता हैं |मैं कहना चाहूंगा कि आगे चलकर मील का पत्थर होगा यह आयोजन |

दुनिया की नजरों में बस्तर एक अबूझा क्षेत्र है चंद्रकांता के मायावी संसार की तरह। हम जब भी बस्तर से बाहर जाते हैं तो लोग हमें अचरज वाली नजरो से देखते हैं। मानो हम लोग दूसरे ग्रह के प्राणी हैं। कभी कभी लगता है यहां वास्तव में कुछ लोग दूसरे ग्रह के ही प्राणी हैं। जनकी कार्यकुशलता,सोच और समर्पण अद्भुत है। इन लोगों में जो योग्यता है वो हमारे बस्तर के उज्जवल भविष्य की ओर स्पष्ट संकेत है। युवाओं में साहित्य सेवा के साथ जनसेवा का अद्भुत मेल है। चूंकि व्यक्ति में इन दो गुणों का साथ साथ होना उनकी सफलता और सम्मान की गारंटी होता है।

बस्तर जैसे क्षेत्र में साहित्य के लिए काम करना पत्थर में पानी खोजने की तरह है। शिक्षा और गरीबी के कारण साहित्य उपेक्षित विषय है। तथापि यहां के साहित्यकार देश में जाने माने हैं। वर्तमान दौर बताता है कि साहित्य में जो मारकाट मची है और दूसरों की छाती पर सवार होकर ही सफलता पाई जाती है, इन सबके बीच आप लोगों की एकजुटता और बस्तरिया कलमकार को अपने क्षेत्र के लोगों को ढूंढ ढांढकर,प्रोत्साहन देना और फिर उन्हें साहित्य के महल की अगली पीढ़ी की नींव में जमा देना; एक अद्भुत और वंदनीय कार्य है। इस कार्य के लिए धीरज के साथ साथ आलोचनाओं का सामना करना होता है। यानी दोहरी सीमा पर युद्धरत होना होता है। मुझे यकीन है आप लोगों के लेखन की गहराई को देखते हुए,आपके किये हुए कार्यों को देखते हुए कि आप लोगों के कंधें काफी मतबूत हैं और हौसले बुलंद हैं। ये काव्य श्रृंखला ‘कुड़ईफूल’ बस्तर के साहित्य जगत में एक मिल का पत्थर साबित होगा। मेरी शुभकामनाओं के साथ भविष्य के महारथियों का स्वागत है।

कार्यक्रम में विश्वनाथ देवांगन कोंडागांव,अनिल यादव कोंडागांव,किरण सोम,कांकेर,गीता चौहान,जशपुर,हितेन्द्र कोंडागयां,कोंडागांव,गिरिजा निषाद कोंडागांव डॉ.गीतिका तिवारी बिलासपुर, पुरुषोत्तम पोयाम माकड़ी देशवती पटेल “देश” कोंडागांव,दिनेश कुमार विश्वकर्मा कोंडागांव,नरेन्द्र बघेल,हसलनार,लक्ष्मी प्रिया देवांगन नारायणपुर,जगजीवन राम निषाद,सुकमा,गौतम साहू, बनियागांव,चमेली कुर्रे ‘सुवासिता’ जगदलपुर ने भाग लिया और सभी प्रतिभागियों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति से देर रात तक पटल पर समां बाधे रखा | पटल के समीक्षक उमेश मंडावी,दिनेश विश्वकर्मा ने सभी कलमकारों का हौसला बढ़ाया |

कार्यक्रम का संचालन सुश्री गीता चौहान जशपुर ने किया जिनकी शेरो शायरी से लोग देर रात तक काव्यमय यात्रा कुड़ईफूल का आनंद लेते रहे | इस दौरान पटल पर प्रबुद्घ जन उपस्थित रहकर रसास्वादन करते रहे | अंत में आभार प्रदर्शन विश्वनाथ देवांगन उर्फ मुस्कुराता बस्तर ने किया |


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