मातलाम की डायरी…जंगलों की हरियाली, चहचहाते पक्षियों की आवाजें, और बहती नदियों की कल-कल ध्वनि मेरी आत्मा को सुकून देती हैं

कमलेश यादव : मेरा नाम सुनती मातलाम उर्फ आंचल है, और मेरी बचपना नारायणपुर के घने जंगलों के बीच शुरू हुई। बचपन से ही मुझे प्रकृति के साथ एक अनोखा जुड़ाव महसूस होता था। जंगलों की हरियाली, चहचहाते पक्षियों की आवाजें, और बहती नदियों की कल-कल ध्वनि मेरी आत्मा को सुकून देती थीं। जंगल ही मेरा घर था, और प्रकृति मेरी पहली गुरु।

जंगलों ने मुझे जीवन का सार सिखाया। वहां की कठिनाइयों और चुनौतियों ने मुझे मजबूत बनाया। माओवादी क्षेत्र में पली-बढ़ी होने के बावजूद, मैंने अपने सपनों को मरने नहीं दिया। मैंने सीखा कि कैसे मुश्किल परिस्थितियों में भी जीना और आगे बढ़ना है। मेरी शिक्षा ज्यादा नही हो पाई , लेकिन मेरे अंदर एक आग थी जो मुझे हर दिन प्रेरित करती थी।

कई बार जीवन में ऐसी परिस्थितियां आईं जब मैंने हार मानने का सोचा। लेकिन हर बार जंगल ने मुझे सहारा दिया। जंगल की तरह ही मैंने अपने जीवन को सहनशील और सहनशीलता से भरा रखा। मैंने तय किया कि मैं अपने जीवन को सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि उन लोगों के लिए जीऊंगी जो मेरे जैसे ही परिस्थितियों से जूझ रहे हैं।

स्वास्थ्य कार्यकर्ता बनने का सफर आसान नहीं था। बहुत सी मुश्किलें आईं, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी। आज, मैं उसी क्षेत्र में एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप में काम कर रही हूं जहाँ मैंने अपना बचपन बिताया। माओवादी क्षेत्र में रहने वाले लोगों की सेवा करना मेरे लिए गर्व की बात है। मैं उनके दर्द और समस्याओं को समझती हूँ, क्योंकि मैं भी उन्हीं की तरह जीवन जी चुकी हूँ।

आज, जब मैं जंगलों की ओर देखती हूँ, तो मुझे अपने जीवन की यात्रा पर गर्व होता है। मैं जानती हूँ कि मैंने अपनी परिस्थितियों को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया, बल्कि उनसे लड़ते हुए आगे बढ़ी। मेरा जीवन उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है जो कठिन परिस्थितियों से गुजर रहे हैं।

प्रकृति ने मुझे सिखाया कि जीवन में चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएं, अगर हमारी आत्मा मजबूत हो और हमारे इरादे पक्के हों, तो हम किसी भी परिस्थिति का सामना कर सकते हैं। यही संदेश मैं अपने जीवन के माध्यम से देना चाहती हूँ।

आगे क्रमशः…….


जवाब जरूर दे 

आप अपने सहर के वर्तमान बिधायक के कार्यों से कितना संतुष्ट है ?

View Results

Loading ... Loading ...


Related Articles