“जीवन का दर्पण”…परिवार, समाज और सारी दुनिया आपसी सहयोग और भाईचारे की भावना से ही चल रही है…छोटी सी होटल और साग सब्जी के व्यवसाय में लगे साहू दंपति राहगीरों को रास्ता बताने के साथ ही मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते है

कमलेश यादव:भारत के कुछ हिस्से ऐसे हैं,जहां एक बार जाने के बाद वे आपके मन मे बस जाते हैं और उनकी यादे कभी नही मिटती है।छत्तीसगढ़ में ऋषियों की धरती नगरी यहां की भूमि समृद्ध इतिहास दर्शाती है।उतने ही अच्छे है स्थानीय लोग जो हमेशा एक दूसरे की मदद के लिए तैयार रहते है।छोटी सी होटल और साग सब्जी के व्यवसाय में लगे साहू दंपति राहगीरों को रास्ता बताने के साथ ही मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते है।श्रीमती धनेश्वरी साहू और उनके पति लालाराम सुबह से देर शाम मेहनत करते है।उनका कहना है कि मेहनत हमारे हाथ मे है परिणाम ईश्वर की मर्जी के ऊपर निर्भर करता है।जब भी दर्शनार्थी नगरी आते है उनके लिए पूरे सेवा भाव से निस्वार्थ भोजन की व्यवस्था करते है।धनेश्वरी साहू कहती है कि लोगो की सेवा करना ईश्वर की पूजा के समान है हम मंदिरों मस्जिदों गुरुद्वारे में जिस ईश्वर को ढूंढते है पता नही किस रूप में आपके समक्ष आ जाये कहने का मतलब यह है वे सभी इंसानों के ह्रदय में वास करते है।और अंजान राहगीरों की मदद सही मायने में सच्ची सेवा है।।

हमारे आसपास ऐसे कई लोग है जिसकी अच्छाई की तस्वीर छुपी रहती है। साहू दंपति अपने रोजमर्रा के कार्यो के साथ सेवाभाव में भी समय देते है अक्सर हमारी निगाहे बड़े बड़े लोगो की ओर रहती है अखबारों की ढ़ेरो सुर्खियां लेकिन ऐसे मदद करने वाले वह भी अंजान मुसाफिरों को बहुत ही कम होते है इन्हें नाम की चाह है न सुर्खियों में रहने की आकांक्षा।वास्तव में समाज की रियल हीरो ऐसे लोग है।पास में ही इनका झोपड़ीनुमा घर है जिसमे प्यार विश्वास के साथ अपने परिवार के साथ रहते है।


जवाब जरूर दे 

आप अपने सहर के वर्तमान बिधायक के कार्यों से कितना संतुष्ट है ?

View Results

Loading ... Loading ...


Related Articles