
दूरदर्शन से प्रसारित होने वाले रामायण के प्रति युवा गीतकार लेखक डॉ. चम्पेश्वर गोस्वामी के विचार…
अमर निर्देशक श्री रामानंद सागर कृत रामायण लगातार देखता रहा… यह धारावाहिक देखते देखते कब समाप्त हो गया पता ही नहीं चला वास्तव में इसे धारावाहिक कहना मुझे उपयुक्त नहीं लग रहा है …रामायण तो एक एक पात्रों के समर्पण और भक्ति का नाम है… कहीं भी नहीं लगा कि कोई भी पात्र इस धारावाहिक में अभिनय कर रहा है… रामायण का हर दृश्य मन को हरने वाला है.. इसे देखो तो ऐसा लगता है मानो देखते ही रहो
संपूर्ण मानव जाति के लिए आदर्श और प्रेरणा के प्रतीक श्री राम जी,सीता मैंया,भैया लक्ष्मण,भरत ,शत्रुघ्न,हनुमान जी सहित सभी पात्र अति पूजनीय हैं… मैं हृदय से श्री रामानंद सागर जी का कृतज्ञ हूं जिसने हम सभी भारत वासियों के लिए आदि कवि वाल्मीकि जी द्वारा रचित रामायण को दृश्य रूप में हम सबके सम्मुख प्रस्तुत किया…
एक ओर जहां रामायण के प्रस्तुतीकरण में सम्मोहन है तो वहीं दूसरी ओर रामायण के गीत और संगीत रामायण की आत्मा है… मैं कभी भी नहीं भूल सकता कि मेरे कला जीवन की शुरुआत मेरे बचपन से ही गांव की रामायण मंडलियों और लीला मंडलियों के माध्यम से हुई …मैं इस नाते भी रामायण के बहुत करीब हूँ… कृष्ण लीला का भी प्रमुख हिस्सा रहा पर अभी तो राम में ही मन रम गया है, अपने बचपन में खो गया हूं… मन तो कर रहा है कि लिखता ही रहूं पर मुझे पता है कि जितना लिखूंगा कम ही है “हरि अनंत हरि कथा अनंता” यह लेख तो सिर्फ रामानंद सागर जी, रविंद्र जैन जी और समस्त रामायण धारावाहिक के एक एक सदस्यों के प्रति मेरी छोटी सी कृतज्ञता है.. मैं तो रामायण से बाहर ही नहीं निकल पा रहा हूं और सच कहूं तो निकलना ही नहीं चाह रहा हूँ…अजीब सा सम्मोहन मैं अपने हृदय में अनुभव कर रहा हूं…राम राम जय श्री राम … और बस …जय जय श्री राम…. चम्पेश्वर गोस्वामी🙏🙏🙏🚩🚩🚩