सम्भावनाएं…कृषि में परमाणु ऊर्जा की महत्वपूर्ण भूमिका…परपंरागत किस्मों के विभिन्न फसलों की प्रजातियों में सुधार और नये किस्म के फसलों के विकास में सहायक

“परपंरागत किस्मों के विभिन्न फसलों की प्रजातियों में सुधार और नये किस्म के फसलों के विकास में परमाणु ऊर्जा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. इससे कृषि जगत और किसानों को काफी लाभ होगा. इसे देखते हुए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर छत्तीसगढ और भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, मुम्बई के बीच समझौता हुआ था. इसते तहत पहले चरण में काफी अच्छे परिणाम आये हैं. पहले चरण के बेहतर परिणामों को देखते हुए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर और भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, मुम्बई के बीतच फसल सुधार एवं विकास हेतु संयुक्त अनुसंधान के सेकेंड फेज के लिए फिर से दोनों के बीच समझौता हुआ है.

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय और भाभा के बीच हुआ अनुबंध
सेकेंड फेज के अनुसंधान के लिए हुए समझौते में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.के. पाटील तथा भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र की ओर से बायो साईंस समूह के निदेशक प्रो. तपन के. घंटी ने हस्ताक्षर किए. इस मौके पर भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक, विश्वविद्यालय प्रशासन के अधिकारी एवं वैज्ञानिक तथा प्रगतिशील कृषक उपस्थित थे. कृषक जगत वेबसाइट के मुताबिक यह अनुबंध वर्ष 2021 से 2024 तक तीन वर्षों के लिए लागू होगा.

पहले फेज के अनुसंधान को बढ़ाया जाएगा आगे
सेकेंड फेज के अनुबंध में पहले फेज के दौरान किये गये अनुसंधान कार्यों को बढ़ाया जाएगा. इसके तहत धान के अलावा अनाज, दलहन, तिलहन, गन्ना, सब्जियों और फूल वाली फसलों में परमाणु ऊर्जा की विभिन्न प्रविधियों के उपयोग द्वारा फसल सुधार एवं विकास का कार्य किया जाएगा. इसके साथ ही पहले फेज में अनुसंधान के दौरान विकसित किये गये नये किस्म के ब्रीडर बीजों का प्रगुणन किया जाएगा. इसके अलावा नयी और उन्नत किस्म के बीज किसानों के बीच लोकप्रिय बने इसके लिए बड़े पैमाने पर प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी.

पहले फेज में से अधिक धान की प्रजातियों में हुआ सुधार
कार्यक्रम का आयोजन इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के नॉलेज सेन्टर में किया गया था. इस दौरान दौरान इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा बार्क के सहयोग से विकसित धान की म्यूटेन्ट किस्म विक्रम टी.सी.आर. पर भारतीय डाक विभाग द्वारा जारी डाक टिकट का भी विमोचन किया गया. प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर डॉ. दीपक शर्मा ने बताया कि प्रथम चरण में म्यूटेशन ब्रीडिंग के जरिये प्रदेश की 50 से अधिक धान की देशी प्रजातियों में सुधार किया गया और नये किस्मों का विकास किया गया है.

नये किस्म के विकास पर जोर
पहले चरण में मिली सफलता को ध्यान में रखते हुए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर और भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, मुंबई के बीच इस बार तीन साल के लिए अनुबंध किया जा रहा है. दूसरे चरण में म्यूटेशन ब्रीडिंग और रेडियेशन तकनीक के माध्यम से विभिन्न फसलों में किस्म सुधार पर कार्य किया जाएगा इसके साथ ही नये किस्मों के विकास पर जोर दिया जाएगा और फसल सुरक्षा प्रौद्योगिकी, मूल्यवर्धित खाद्य उत्पाद प्रौद्योगिकी पर भी अनुसंधान किए जाएंगे.”


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