
*बस्तर संस्कृति ग्रुप के युवक- युवतियों ने खाई कसम,फैला रहे बस्तर माटी की खुशबू,कर रहे रोजी-रोटी का जुगाड़,स्वरोजगार के गढ़ रहे नये आयाम |* छत्तीसगढ़ बस्तर के अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित युवा हस्ताक्षर लेखक *विश्वनाथ देवांगन उर्फ मुस्कुराता बस्तर* की *सिद्धार्थ महाजन कृत बस्तर संस्कृति ग्रुप* से खोजी बातचीत और नयी कहानी,जो हजारों युवाओं को दिशा और दशा सुधारने के लिये खास वजह बन सकती है….. आइये पढ़ें आज हम.. *”माटी के पुजारी*
माटी के पुजारी……
बस्तर की अपनी तरह की सभ्यता-संस्कृति है | जो अनायास ही किसी भी आम को जानने के लिये खास बना देता है | मन बस्तर को जानने के लिये उत्सुक रहता है,आज भी बस्तर और बस्तरिया की संस्कृति और सभ्यता को सामान्य जनजीवन में रमा हुआ व्यक्ति नहीं जान सका है, न बूझ सका है,इसलिये बस्तर के एक धड़े को आज भी अबूझमाड़ के नाम से भी जाना जाता है | बस्तर के कई हिस्से आज भी आधुनिक जीवन शैली से दूर मांदर की थाप पर,थिरकते,लांदा और पेज की रम में रमे,अपनी बेहतरीन जीवन शैली में मस्त हैं,जहां पेंदा से कोसरा,कोदो,कुटकी,मडिंया आज भी उपजती हैं | जबकि पूरी दुनिया पश्चिमी सभ्यता की अंधी दौड़ में,भागम भाग में,व्यस्त है | बस्तरिया के रहन-सहन वेश-भूषा की अलग पहचान है | पश्चिमी सभ्यता की दौड़ में जब हमारा समाज अछूता नहीं रहा है,उस दौर में ग्रामीण युवाओं द्वारा बस्तर की विरासत को संवारने का काम का बीड़ा उठाया है,यह अभिनव व स्तुत्य है,यहां की भाषा और संस्कृति,सभ्यता को कला के माध्यम से देश के विभिन्न हिस्सों में पहुंचानेे का काम कर रहे हैं |
छत्तीसगढ़ बस्तर के कोंडागांव जिला का ग्राम पंचायत इसलनार के आश्रित ग्राम इसलनार जहां 12 वीं पास युवकों की नवाचारी सोंच ने स्वरोजगार को दिया दम रोटी और संस्कृति संरक्षण का कर दिया अनोखा संगम,फैला रहे विरासत परंपरा की खूशबु और लिख रहे नई सफलता की इबारत | कुछ अच्छा और नया करने की सोंच के साथ युवक युवतियों का जत्था मोर मया के गांव की टीम बस्तर की भाषा और कला परंपरा को संरक्षित करने की दिशा में काम करते हुए,लोकरंग बस्तर संस्कृति ग्रुप के माध्यम से देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी बस्तरिया कार्यक्रम की प्रस्तुति दे रहे हैं | ग्रुप के संयोजक लोकगायक सिद्दार्थ महाजन जी और उनकी टीम के साथी प्यारेलाल कोर्राम जी बताते हैं कि बस्तर की माटी के प्रति अगाध श्रद्धा है,हम लोकरंग बस्तर संस्कृति ग्रुप के माध्यम से यहां कि कला संस्कृति और भाषा को संवारने और भावी पीढ़ी के दिलों बस्तर माटी के प्रति प्रेम जगाने चले हैं | अधिकतर युवा 12 वीं पास हैं,जहां आज अधिकतर युवा स्वरोजगार नहीं मिलने से मायूस हो जाते हैं वहां अद्भुत आत्मविश्वास से लबरेज 20 से 25 युवाओं का यह जत्था दुरूह ग्रामीण क्षेत्रों में बस्तर की माटी की सौंधी खुशबू का फैला रहा है | कला संस्कृति के विकास के साथ ही स्वरोजगार का मार्ग भी सृजन कर रहा है | अपने तरह का सोंच लेकर उससे स्वरोजगार की उम्मीद की नवकिरण | निश्चित ही उनकी यह लगनशीलता और नेक कार्य समाज में नवनिर्माण की दिशा में भविष्य बेहतर परिणाम और नया आयाम गढ़ेगा | युवा कहते हैं कि वतर्मान में जहां कार्यक्रम करने से समय-समय पर कुछ आय प्राप्त हो जाता और माटी की खुशबू फैलाने की आत्मिक खुशी प्राप्त होती है | यह कार्य बस्तर के युवाओं और देश के लिये नवाचार से स्वरोजगार की दिशा में अभिनव कदम भी है | इन जैसे युवाओं के बुलंद हौसलों से बस्तर के दिन फिरेंगे | फिलहाल इनके खौलते,खिलखिलाते,नवाचारी,संस्कारी,युवा सोंच को सलाम,चलते चलते मेरी कुछ पंक्तियां……. |
मेरी भी माटी में है दम,
बढ़ा कर तो देख तू भी कदम,
हाथ को काम और मिलेगी रोटी,
आओ संस्कृति संरक्षण करें हम |
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