आगे बढ़ते रहने का ही नाम जीवन है…इसी बात को हमें बताने की कोशिश की है कवि चम्पेश्वर गोस्वामी ने आइये पढ़ते है नदी से प्रेरित कविता…हर किसी को तारती खारुन

 

कल कल सी बहती खारुन

छल छल सी झूमती खारून

अहा!मनोरम दृश्य परम यह

सीढ़ियों को चूमती खारुन

हर तरफ डहर गांव शहर

देख लोग मुस्काती खारून

जाने मैली कितनी थी पर

स्वयं को निखारती खारुन

हमही बिगाड़ते इसकी दशा को

साल भर है रोती खारुन

धोती है सबके पापों को

पुण्य को भी झेलती खारुन

गंदगी गंदों के नाम पर

बीमार सी रहती खारुन

ममतामयी मेरी मां फिर भी

हर किसी को तारती खारुन… चम्पेश्वर गोस्वामी

हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह नदी पर कविता पसंद आयेंगी। इन्हें आगे शेयर जरूर करें और हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं कि आपको यह कविताएं कैसी लगी


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