
प्रेरणादायक…बच्चों की शिक्षा में सड़क बाधा न बनें, इसलिए इस शख्स ने पहाड़ काट बना दिया सड़क…
जब पंछी वर्षा के समय अपने घोसलों की तरफ आसरा लेने के लिए लौटने लगते हैं, बाज उस समय आसमान से ऊपर की उड़ान भरकर वर्षा की अनंत सीमाओं से परे जाने के प्रयास में जुट जाता है। पंछी तो दोनों ही उड़ने वाले हैं अंतर केवल हौसलों और सोच का है। हौसलों और निश्चय से ही इतिहास की पाती लिखी जाती है जो सदियों तक याद की जाती है।
दशरथ मांझी तो आपको याद होंगे ही जिन्होंने बिहार के गहलोत गांव में 360 फुट का पहाड़ मात्र एक छेनी और हथौड़ी की मदद से काटकर 22 साल में 55 किलोमीटर रास्ते को 15 किलोमीटर करके अत्रि और वजीरगंज ब्लॉक के रास्ते को जोड़ा था। ऐसा ही अद्भुत कारनामा कर दिखाया है उड़ीसा के जालंधर नायक ने मात्र 2 वर्षों में 8 किलोमीटर लंबी चट्टानी सड़क पहाड़ियों को काटकर बनाई है। नायक ने ओडिशा के कंधमाल जिले के फूलबनी शहर और अपने गांव गुमांशी को मुख्य सड़क से जोड़ा है।
अत्यधिक प्रेरणादाई बात यह है कि 2 वर्ष तक लगातार 8 घंटे मेहनत करने का कारण था कि नायक अपने तीनों बेटों को स्कूल भेजना चाहते थे। गुमांशी में कठिन जीवन के चलते सभी गांववासी यहां से अपने घर छोड़ कर चले गए थे। लेकिन नायक का एकमात्र परिवार इसी गांव में रह रहा है, मानो नायक ने तो ठान ही लिया था कि अपने गांव को मुख्य सड़क से जोड़कर ही रहेंगे और सच में कर भी दिखाया।
जालंधर नायक के तीनों बेटों को स्कूल पहुंचने में लगभग 3 घंटे लग जाते थे। सब्जी बेचने वाले नायक सुविधाओं के अभावों के चलते स्वयं शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाए थे इसलिए शिक्षा के महत्व को भली भांति समझते हैं। नायक ने बच्चों की शिक्षा के लिए इस कठिन सड़क को बनाने का निर्णय लिया। गुमांशी गांव के शहर से ना जुड़ा होने के कारण, सुख सुविधाओं के अभाव में गांव छोड़ने वालों के लिए एक मिसाल भी नायक ने रखी कि कठिनाइयों से भाग कर नहीं लड़ कर जीता जा सकता है।
सोशल मीडिया ने जब नायक के इस कार्य को दिखाया तो सरकारी अधिकारियों ने तुरंत इस खबर का संज्ञान लिया। वहां के लोकल एडमिनिस्ट्रेटर ने नायक के सराहनीय कार्य की प्रशंसा करते हुए कहा कि नायक को 2 वर्ष की इस पूरी मेहनत का भुगतान सरकारी खर्चे से किया जाएगा। इतना ही नहीं बाकी बची 7 किलोमीटर की सड़क को बनाने का काम अब सरकार ने अपने हाथ में ले लिया है। जिसे बनाने में नायक को 3 वर्ष लग जाते।
जालंधर नायक ने नाम से ही नहीं अपने काम से भी स्वयं को नायक सिद्ध करके दिखाया है। एक ऐसा नायक जिसने अपने निजी हित को पूरा करने के साथ-साथ समाज के लिए भी नए रास्ते खोल दिए। मांझी और नायक के इस अभूतपूर्व कार्य से आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरणा मिलेगी।
(यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हों तो हमें satyadarshanlive@gmail.com लिखें,
या Facebook पर satyadarshanlive.com पर संपर्क करें | आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो भी भेज सकते हैं|)