खुशियाँ यहाँ से आती है….सुदूर गांवों में जरूरतमंदों की सहायता…यही जीवन सूत्र हमे मानव होने का एहसास दिलाती है…

श्रीकांत सिंह,कोरबा:-आंतरिक शांति का अनुभव चाहते है,तो हमे अपने आस-पास के लिए उपयोगी बनना होगा।आईये एक संकल्प ले, कि समाज के लिए कुछ उपयोगी करेंगे और जरूरतमंद परेशान लोगो की सहायता।परिवर्तन का एक और चक्र चला है। मौसम करवट ले रहा है, और सर्दियां रजाइयां समेटकर जाने लगी है।परिवर्तन से सीखते हुए किसी के परिस्थितियों को बदलने का खुद से वादा किया है।

दिल्ली के वीरवानी सर के आर्थिक सहयोग और बिलासपुर के सतराम जी के मदद की बदौलत हम फिर कुछ अच्छा कर पायें हैं।

वीरवानी सर हमेशा मुझसे कहते हैं कि सामाजिक कार्यों में थोड़ा कष्ट उठाना तो पड़ता ही है, कुछ लोगों की बातें सुननी भी पड़ती है। उनको सामाजिक कार्यों का लम्बा अनुभव है और हम इस क्षेत्र में लोगों से जुड़ना सीख रहे हैं। हम भी लोगों की बातें सुनते हैं पर दोस्त ऐसे हैं जो हर कदम पर मेरे साथ खड़े होते हैं। हर नए मिशन के साथ नए नए दोस्त जुड़ते जाते हैं और हमारा काम आसान हो जाता है।

कल की बात है जब अनुराधा, गुलाब सर, पँकज 8 बजे रात तक मेरे साथ कोरबा में डँटे रहे। दूसरी ओर आज सुबह पंकज, गुलाब, साहू सर, कोशले सर, सविता, वर्धन कुमार भारिया और उनके मित्र इतवार मंझवार की मदद से काम आसान हो गया। वर्धन और उनके मित्र तो मेरे घर तक कपड़े लेने पहुँचे और कपड़े लेकर नियत स्थान पर पहुँचे।

स्कूल के बाद सभी अजगरबहार में 12 बजे इकठ्ठे हुए और फिर हमारा कारवाँ चल पड़ा। हमारा पहला पड़ाव था कोरवा और बिरहोर लोगों की बस्ती दलदली। यहाँ हमने 15 परिवारों और बुजुर्गों को कम्बल वितरित किये। रिषिता मैम, जोशी मैम और मारवाड़ी युवा मंच जमनीपाली द्वारा उपलब्ध कराये गए बच्चों और बड़ों के कपड़ों का भी वितरण किये।

अगले पड़ाव पर धनगांव था जहाँ हमनें महिला सशक्तिकरण की दिशा में काम करना शुरू किया है। यहां हमने 30 महिलाओं के समूह से मुलाक़ात किये(इस पर बातें अगले लेख में। इस मुलाक़ात के बाद अगला पड़ाव था अजगरबहार का एक कोरवा मोहल्ला टोंकाभाँठा। यहाँ 13 परिवारों को कम्बल और अन्य कपड़े वितरित किये। यहां महिलाओं ने हमसे साड़ी और बच्चों के कपड़े के लिए निवेदन किया है। हम जल्दी ही आप सबके सहयोग से इन तक फिर मदद पहुचायेंगे।

अगले पड़ाव पर हरदीमाड़ा में 3 दादा दादियों को कम्बल वितरित किये। कुल 31 कम्बल का वितरण किया गया। सभी दोस्तों ने अपना पूरा 6 घण्टे दिया इसके बावजूद सबने यही कहा कि आज का दिन तो पिकनिक जैसा लगा।

लोगों से जुड़ने का मुझे थोड़ा अनुभव है। पर मेरे कुछ साथियो के लिए यह बिलकुल नया अनुभव था। पंकज, सविता और साहू सर ने इन पलों को खूब एन्जॉय किया और आगे भी सहयोग का भरोसा दिया है। इन 4 महीनों में मैं सभी जरूरतमन्दों तक पहुँचने का पूरा प्रयास किया है। मुझसे जितना हुआ किया पर सबकी इच्छाओं को पूरा कर पाना संभव नहीं। तो उनसे क्षमा भी चाहता हूँ।

अब अगले मिशन की बारी है। दोस्तों की बदौलत हमनें रुकना सीखा ही नहीं हैं। अगले सर्दियों में फिर से मुहिम चलायेंगे।एक बार फिर वीरवानी सर और सतराम सर के साथ सभी साथियों को हृदय से आभार। चलते चलते अगर आपके पास कोई भी अनुपयोगी कपड़े हो तो मेरा नम्बर घुमाना मत भूलिएगा।9926848192,7974543703

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