लोग क्या कहेंगे,समाज क्या कहेगा,इन सब सवालों को पीछे छोड़ते हुए 58 साल की दमयंती सोनी ने अपनी पूरी लगन और मेहनत, अपने ड्राइविंग को आगे बढ़ाने में लगा दिया.. जब वह जेसीबी मशीन जैसा हैवी व्हीकल चलाती हैं,तो लोग उन्हें देखते रह जाते हैं…उनके संघर्ष की कहानी जानकर कोई भी प्रेरित हुए बिना नहीं रह सकता

कमलेश यादव:वक़्त और हालात कब बदल जाये ये कोई नहीं जानता. लेकिन बहुद हद तक हमारी जिंदगी की दशा और दिशा इस बात पर निर्भर करती है की हम बुरे हालात का सामना कैसे करते हैं. छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले की रहनेवाली दमयंती सोनी की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. वक़्त और हालात से लड़कर दमयंती सोनी ने ना सिर्फ अपने परिवार को बिखरने से बचाया, बल्कि पुरुष प्रधान  कार्य में अपना परचम लहराया.जब वह जेसीबी मशीन जैसा हैवी व्हीकल चलाती हैं तो लोग उन्हें देखते रह जाते हैं।उनके संघर्ष की कहानी जानकर कोई भी प्रेरित हुए बिना नहीं रह सकता

दमयंती सोनी का जन्म गुजरात मे हुआ था पिताजी स्व. देवजी भाई सोनी और माताजी स्व.शाकर बेन ने शिक्षा और संस्कार दिया।दमयंती सोनी की शिक्षा 11वी तक है। शादी छत्तीसगढ़ के मध्यमवर्गीय परिवार में सम्पन्न हुआ पति स्व.उत्तम कुमार सोनी सदैव आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते थे।पति क्रेशर में मुनीम का कार्य के साथ ड्राइविंग भी करते थे ।दोनों अपनी जिंदगी से काफी खुश थे. शादी के कुछ साल ही बेटी सेतु सोनी हुई और उसके बाद उन्हें बेटा अनमोल सोनी हुआ.दमयंती सोनी का परिवार पूरा हो गया और जिंदगी की गाड़ी हँसते-मुस्कुराते आगे बढ़ने लगी. लेकिन दमयंती सोनी की ये खुशी कुछ ही दिनों की मेहमान थी. समय ने करवट बदला और एक दिन एक ऐसा हादसा हुआ जिसके बाद उनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई.2010 में उनके पति का हार्ट अटैक से निधन हो गया. हमेशा घर-परिवार के साए में रहनेवाली दमयंती पर अचानक जिम्मेदारियों का बोझ आ गया.पति के निधन के बाद घर की पूरी ज़िम्मेदारी दमयंती के कन्धों पर आ गई.

धीरे-धीरे समय गुज़रता गया और दमयंती सोनी के हालात भी बदलने लगे. लोग क्या कहेंगे, समाज क्या कहेगा…इन सब सवालों को पीछे छोड़ते हुए दमयंती ने अपनी पूरी लगन और मेहनत, अपने ड्राइविंग को आगे बढ़ाने में लगा दिया. आखिर समय भी कब तक साथ नहीं देता. गुजरते वक़्त के साथ दमयंती सोनी का तजुर्बा भी बढ़ता गया और उन्हें कामयाबी मिलने लगी.पूरे भारत के लिए प्रेरणास्रोत बन गईं है.दमयंती ने साउथ एशिया कंस्ट्रक्शन इक्विपमेंट एक्सपो में टाटा हिताची कंपनी के बैकहो लोडर के सबसे एडवांस वर्जन को ऑपरेट किया।इस एक्सपो में दमयंती के परफॉर्मेंस को देखने के बाद बेंगलुरु के भारतीय इंजीनियर्स और फॉरेनर्स ने उन्हें मार्च 2020 में जापान में आयोजित ऑटो एक्सपो के लिए आमंत्रित किया था। लेकिन महामारी की वजह ये यह इवेंट कैंसिल हो गया।

सपना
दमयंती सोनी जी का सपना है कि अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाये जिसके लिए शासन या कोई संस्था के तरफ से ड्राइविंग का ट्रेनिंग सेंटर खोला जाए।क्योंकि उनका मानना है लक्ष्य पर ध्यान केंद्रीत करने से ही सफलता हासिल होता है।कोई भी कार्य छोटा बड़ा नही होता है।जीवन तो सभी को मिला है लेकिन कुछ हटकर किया हुआ कार्य सफलता के नए रास्ते खोलता है।शुरुआत में 10 महिलाओं को हेवी ड्राइविंग सिखाने के बारे में सोच है।

सामान्यतः 40 वर्ष के बाद जेसीबी चलाने में पूरा शरीर जर्क करता है लेकिन दमयंती सोनी का उम्र 58 वर्ष होने के बावजूद आज भी उतनी ही शिद्दत से अपने कार्य को सुचारू रूप से करती है।सुबह से ही दिनचर्या शुरू हो जाता है दिनभर थक हारकर घर आने के बाद चेहरे में किसी भी प्रकार से कोई शिकन नही होता कारण ईमानदारी और मेहनत से किए हुए कार्य में शुकुन मिलता है।बेटा अनमोल सोनी मैकेनिकल इंजीनियर की पढ़ाई बिलासपुर में कर रहा है ।रात दिन काम करने के पीछे केवल एक ही उद्देश्य है बच्चे की बेहतर शिक्षा।

दमयंती सोनी कहती है गांव खैरझिटी के सभी लोगो ने हमेशा से ही उत्साहवर्धन किया है।सुख दुख के साथी रहे है।बच्चो से लेकर बड़ो तक सभी हमारी चिंता करते रहते है।यकीन मानो सभी लोगो का प्यार ही मेरी असली पूंजी है।गांव में प्रतिभाओं की कमी नही है बशर्ते कि उन्हें सही मंच और दिशा मिले।

आज महिलाएं ट्रेन चलाने से लेकर हवाई जहाज उड़ाने तक का काम बड़ी कुशलता से कर रही हैं। इसके बावजूद कुछ ऐसे हैवी वाहन हैं, जिनका जिक्र आते ही आज भी जहन में किसी पुरुष के ही उसे चलाने का दृश्य घूम जाता है।हालाँकि बदलते परिदृश्य के साथ, लोगों की सोच में भी परिवर्तन हो रहे हैं और महिलाओं ने भी अपनी कार्यकुशलता और नेतृत्व क्षमता से हर एक क्षेत्र में अपनी कामयाबी का डंका बजाया है। चुनौतियों का मुकाबला कर कामयाबी की अनोखी कहानी लिखने वाली दमयंती सोनी को सत्यदर्शन लाइव चैनल का सलाम।

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