शून्य से की शुरुआत, आज नाइंथमोशन और डूग्राफिक्स कंपनी के हैं मालिक

गोपी : ओम शांति ओम फिल्म का एक डायलॉग ‘अगर किसी चीज को दिल से चाहो, तो सारी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश करती है’ काफी प्रसिद्ध है। हालांकि, यह उद्धरण ब्राजीलियन लेखक पाउलो कोएलो का है, जो महाराष्ट्र के दादासाहेब भगत पर बिल्कुल सटीक बैठता है। दादासाहेब का बचपन मुश्किलों से भरा था, लेकिन उन्होंने अपनी इच्छाशक्ति और मेहनत के दम पर हर चुनौती को पार किया और आज वह करोड़ों रुपये की दो कंपनियों के मालिक हैं। उनकी कुल नेटवर्थ लगभग पांच करोड़ रुपये है। दादासाहेब भगत ने भारत के पहले डिजाइन प्लेटफॉर्म ‘डूग्राफिक्स’ की स्थापना की है। उनकी कहानी सिर्फ प्रेरणादायी ही नहीं, बल्कि यह उस दृढ़ता और आत्मविश्वास का प्रमाण है, जो किसी व्यक्ति को मामूली शुरुआत से लेकर बुलंदियों के शिखर तक पहुंचा सकती है।

संघर्ष के दिन
दादासाहेब का जन्म वर्ष 1994 में महाराष्ट्र के बेहद पिछड़े गांव बीड के एक गरीब परिवार में हुआ था। गांव में रोजगार के पर्याप्त साधन नहीं थे। इस वजह से उनके परिवार के सभी लोग साल के छह महीने दूसरे गांव जाकर गन्ने की कटाई करते थे। भगत की मां गर्भवती होने के बावजूद भी गन्ने की गठरी सिर पर ढोती थीं, ताकि घर का खर्च चल सके। भगत तंगहाली के बीच पले-बढ़े और पास के ही एक सरकारी स्कूल से शिक्षा प्राप्त की। जब वह बड़े हुए, तो घर की बदहाली को महसूस किया और परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक करने के लिए पिता के साथ मिलकर कुआं खोदने का काम करने लगे। बतौर मेहनताना उन्हें अस्सी रुपये मिलते थे। इसके अलावा, उन्होंने घरों की दीवारें जोड़ीं और खेतों में मजदूरी करते हुए बारहवीं कक्षा पास की। इसके बाद आगे की पढ़ाई के वह लिए पुणे आ गए।

ऑफिस बॉय भी बने
पुणे आकर दादासाहेब ने एक साल के आईटीआई कोर्स में दाखिला लिया। उनके जीवन में असल चुनौती पढ़ाई करना नहीं, बल्कि पुणे जैसे शहर में गुजर-बसर करना था। हालांकि, उन्हें टाटा कंपनी में चार हजार रुपये की नौकरी भी मिल गई। फिर किसी व्यक्ति ने उन्हें बताया कि वह नौ हजार रुपये की नौकरी इंफोसिस में दिलवा सकता है, लेकिन दादासाहेब को ऑफिस बॉय का काम करना होगा। उन्होंने अपनी जरूरतों को देखते हुए नौकरी के लिए हां कर दिया। उनका काम लोगों को रूम सर्विस, झाड़ू-पोंछा करना और टॉयलेट साफ करना था।

दिन में काम, रात में पढ़ाई
इंफोसिस में ऑफिस बॉय के रूप में काम करते हुए ही दादासाहेब ने देखा कि लोग कंप्यूटर में कुछ करते हैं, जिसकी वजह से वह बड़ी-बड़ी गाड़ियों से आते हैं। कंप्यूटर को लेकर उनकी इच्छा जागने लगी। उन्होंने वहीं से कंप्यूटर और उससे जुड़ी तकनीकियों को सीखना शुरू कर दिया। एक दिन एक व्यक्ति ने उन्हें यह बताया कि ग्राफिक डिजाइनिंग सीखने से अच्छी-खासी कमाई हो सकती है और इसमें किसी खास डिग्री की भी जरूरत नहीं है। इससे उन्हें एक नई दिशा मिली। दादासाहेब एक ग्राफिक्स कंपनी के साथ जुड़कर दिन में काम करते थे और रात में ग्राफिक डिजाइनिंग और एनीमेशन की पढ़ाई।

हादसे ने बदली जिंदगी
एक भयानक कार दुर्घटना ने दादासाहेब को बिस्तर तक सीमित कर दिया। इस हादसे की वजह से उन्हें शहर छोड़कर गांव वापस जाना पड़ा। इस कठिन समय को उन्होंने एक अवसर के रूप में देखा और गांव में ही टेम्पलेट बनाकर उसे एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बेचना शुरू किया। इसके लिए उन्होंने दोस्त से लैपटॉप किराये पर लिया। कुछ महीनों के बाद उनकी सैलरी से ज्यादा पैसा उन्हें इस काम से मिलने लगा। इस सफलता से उन्होंने डिजाइन के काम पर पूरा ध्यान केंद्रित किया। साथ ही खुद की कंपनी शुरू करने का फैसला लिया।

ऐसे हुई नई शुरुआत
दादासाहेब ने वर्ष 2016 में खुद की नाइंथमोशन नाम से कंपनी शुरू की। कुछ ही समय में नाइंथमोशन ने दुनिया भर के ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित किया। यह कंपनी आज बीबीसी स्टूडियो और नाइनएक्सएम म्यूजिक चैनल जैसी प्रसिद्ध संस्थाओं को अपनी सेवाएं दे रही है। दादासाहेब यहीं नहीं रुके, जब पहली कंपनी से उनके पास चालीस हजार से ज्यादा एक्टिव यूजर्स हो गए, तो उन्होंने दूसरी कंपनी शुरू करने का फैसला किया। इसके बाद उन्होंने ऑनलाइन ग्राफिक डिजाइनिंग के नए सॉफ्टवेयर को विकसित किया। यह सॉफ्टवेयर कैनवा जैसा ही है। उन्होंने अपनी दूसरी कंपनी का नाम ‘डूग्राफिक्स’ रखा। आज वह इन दो कंपनियों के मालिक हैं। दादा साहेब की कंपनी लोगों को ग्राफिक टेम्पलेट बनाकर देती है। कंपनी मोशन ग्राफिक और 3डी टेम्पलेट भी बनाती है। आज की तारीख में कंपनी के अधिकांश ग्राहक विदेशी ही हैं।

युवाओं को सीख
अगर आपके भीतर जुनून हो और  संघर्ष के समय भी हार न मानें, तो अपनी किस्मत खुद लिख सकते हैं।
विपत्ति को अवसर में बदल कर आप किसी भी मुकाम को हासिल कर सकते हैं।
सफल व्यक्ति वही है, जो अपने ऊपर फेंके गए पत्थरों से ही मजबूत नींव बना ले।
काम के प्रति आपकी लगन और सकारात्मक दृष्टिकोण से आप विपरीत परिस्थितियों में भी असीम सफलता पा सकते हैं।
चाहे हालात कितने भी विपरीत हों, सफल होने की उम्मीद कभी नहीं छोड़नी चाहिए।


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