
शिक्षा जीवनम् अस्ति… छात्रों के जीवन में परिवर्तन लाने वाले समीर गजभिये न केवल ज्ञान का प्रकाश फैला रहे हैं बल्कि एक समर्पित समाजसेवी होने के नाते वे “पौधों को पेड़” बनाने के अद्भुत अभियान में भी जुटे हैं
कमलेश यादव : यदि आप किसी व्यक्ति में जिद, जिजीविषा, जीवटता और जीवंतता का सही संयोजन देखना चाहते हैं, तो आपको राजनांदगांव के समीर गजभिये सर से जरूर परिचित होना चाहिए। वह ऐसे नायक हैं, जिसने अपनी अथक मेहनत और लगन से सफलता की उन ऊंचाइयों को छुआ है, जहाँ पहुंचना किसी के लिए भी सपने से कम नही हैं। वे अपने जीवन में “शिक्षा जीवनम् अस्ति” के आदर्श वाक्य को साकार कर दूसरों को भी शिक्षा के प्रकाश से आलोकित कर रहे हैं। उनका “तथागत पीएससी ट्यूटोरियल्स” नाम से एक कोचिंग संस्थान भी है, जहाँ छात्र पीएससी, व्यापम, रेलवे, एसएससी, बैंकिंग, असिस्टेंट प्रोफेसर जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। इस संस्थान से पढ़कर निकले सैकड़ों छात्र विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं।
गौरतलब है कि, समीर गजभिये जी अपने छात्र जीवन में एक मेधावी छात्र रहे हैं। उनका मानना है कि मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई राजनांदगांव में की और फिर बीई, एमए, एलएलबी और एलएलएम की डिग्रियां हासिल कीं। समीर सर तीन बार पीएससी इंटरव्यू तक पहुंचे, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने बाधाओं से घबराकर कभी रुकना नहीं सीखा, बल्कि उन्हें अपना साथी बनाकर आगे बढ़ते रहे, इस विश्वास के साथ कि सच्ची मेहनत और लगन से वे एक दिन अपनी मंजिल तक जरूर पहुंचेंगे।
शिक्षा में योगदान: एक नई दिशा
2013 में समीर गजभिये ने “तथागत पीएससी ट्यूटोरियल्स” की नींव रखी, जहां उन्होंने न सिर्फ़ सरकारी सेवाओं की तैयारी करने वाले छात्रों को शिक्षित किया, बल्कि उनमें आत्मविश्वास और धैर्य भी भरा । समीर सर का लक्ष्य केवल ज्ञान देना नहीं था, बल्कि छात्रों को उनके सपनों की ओर बढ़ने के लिए मानसिक रूप से भी मज़बूत बनाना था। उनके मार्गदर्शन में छात्रों की सफलता उनकी समर्पित कड़ी मेहनत और शिक्षण के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है।समीर सर ने यह सिद्ध किया कि असली शक्ति ज्ञान में है, और जो इसे सही दिशा में ले जाता है, वही सच्चा गुरु कहलाता है।
समाज के प्रति समर्पण: सेवा का भाव
समीर सर न केवल शिक्षाविद् हैं, बल्कि एक समर्पित समाजसेवी भी हैं। उन्होंने सैकड़ों जरूरतमंद छात्रों को निःशुल्क किताबें उपलब्ध कराईं, ताकि शिक्षा की रोशनी हर वर्ग तक पहुंच सके। इसके अलावा पिछले 10 सालों से वृक्षारोपण के जरिए पर्यावरण संरक्षण का काम कर रहे हैं। उनके द्वारा लगाए गए 100 से अधिक पौधे अब विशाल वृक्ष का रूप ले चुके हैं, जो उनकी दूरगामी सोच और सेवा के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
सेवा के प्रति समर्पण: रक्तदान की प्रेरणा
समीर गजभिये जी कहते है कि, अगर आप जीवन बचाने वाले डॉक्टर नही बन पाए या फिर आपके पास ऐसा कोई ईश्वरीय शक्ति नही है जिससे आप किसी का प्राण बचा सको तो कोई अफसोस करने की बात नही है।आपके पास अमूल्य चीज है जिसे देकर आप जीवनदाता कहलाने के हकदार बन सकते हो,वो है आपका अपना रक्त।
समीर सर हर साल अपने जन्मदिन पर रक्तदान करते हैं और अब तक 12 बार यह नेक काम कर चुके हैं।उनका यह कदम न केवल जरूरतमंदों के जीवन को बचाता है, बल्कि यह समाज को जागरूक करने का भी प्रयास है कि सेवा का सही अर्थ क्या है। उनका मानना है कि जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य दूसरों के जीवन में रोशनी लाना है।
प्रेरणास्रोत
समीर सर अपनी सफलता का स्तंभ अपने बड़े भाई श्री सुशील गजभिये जी को मानते हैं, जो छत्तीसगढ़ में संभागीय संयुक्त संचालक के पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वे कहते हैं ” लोगो के पास बहुत कुछ हैं वो उनके लिए कोई बात है…मेरे पास मेरे भैया यही मेरे लिए पर्याप्त हैं।” मुश्किल समय में भाई की बातें मुझे सही राह पर ले जाती हैं। उन्होंने हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया हैं। समीर सर के विश्वास से हमें यह सिखने को मिलता है कि जीवन में सबसे बड़ी संपत्ति वह प्रेरणा होती है जो हमें हमारे अपनों से मिलती है।
उपलब्धियां
समाज के प्रति उनकी निस्वार्थ सेवा और शिक्षा के प्रति समर्पण के लिए समीर गजभिये जी को कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सम्मानित किया जा चुका है। भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा “राष्ट्रीय पुरस्कार” और “भारत रत्न अवार्ड “, छात्र युवा मंच और राजीव गांधी शिक्षा मिशन द्वारा सम्मान उनके समर्पण और प्रतिबद्धता के प्रमाण हैं।
उद्देश्य
समीर सर कहते है कि मैं हमेशा नींव बनकर रहना चाहता हूं। मैं हमेशा अपने छात्रों के लिए एक मजबूत आधार बनकर मौजूद रहूँगा। मैं हर छात्र में भावी राष्ट्र के महान वैज्ञानिक, शिक्षाविद, डॉक्टर, इंजीनियर की क्षमता को तराशने की कोशिश करता रहूंगा । मैं हर संभव मदद करने की कोशिश करता हूँ ताकि किसी भी छात्र को पैसे की कमी के कारण अपनी पढ़ाई छोड़नी न पड़े।
समीर गजभिये जी की कहानी हमें यह सिखाती है कि असली सफलता सिर्फ व्यक्तिगत उपलब्धियों में नहीं, बल्कि उस योगदान में है जो हम समाज को देते हैं। उनकी जीवन से यह संदेश मिलता है कि अगर हमारी सोच में दृढ़ता है और हमारी मेहनत ईमानदार है, तो कोई भी सपना दूर नहीं। उनका जीवन हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपने लक्ष्यों को पाना चाहता है।
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