
Mango farming : भोथली ग्रीन आम की मिठास लोगों को बेहद पसंद… आम को खास बनाने वाले युवा किसान भोजराज वर्मा न सिर्फ एक सफल किसान हैं बल्कि दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत भी हैं
कमलेश यादव: फलों का राजा “आम” किसे पसंद नहीं है? इस मौसमी फल का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं. दादी-नानी की कहानियों में अक्सर आम के बगीचों से जुड़ी रोचक जानकारी हुआ करती थीं। आज हम ऐसे आम के बगीचों में ले जाने जा रहे हैं जिनके बगीचों में उगने वाले आम बहुत अच्छी गुणवत्ता के होते हैं और बाजार में हाथों हाथ बिक जाते हैं। छत्तीसगढ़ की धर्म नगरी डोंगरगढ़ से 7 किमी की दूरी पर स्थित है भोथली गांव, जहां के युवा किसान भोजराज वर्मा चौथी पीढ़ी के किसान हैं, जिन्होंने आम की खेती को आजीविका का साधन बनाया है।
उन्होंने सत्यदर्शन लाइव को बताया कि उनके बगीचे में आम की कई किस्में हैं, जिनमें मुख्य रूप से भोथली ग्रीन, दशहरी आम, आम्रपाली आम, लंगड़ा आम, देसी आम, अचारी आम, नवीन पौधा सुंदरी आम, हाफूज केसर आम, चौसा आम शामिल हैं. यहां करीब 150 पेड़ हैं। प्रति पेड़ एक से दो क्विंटल आम के उत्पादन का लक्ष्य होता है। उन्होंने अपनी पुश्तैनी जमीन के अलावा अन्य जगहों पर भी आम के पेड़ लगाये थे. वह कहते है कि,यह ऐसी खेती है जिसमें बार-बार रोपाई की जरूरत नहीं पड़ती। केवल एक बार पौधे तैयार करके छोड़ दीजिए और प्रतिवर्ष मुनाफा उठाते रहिए.
भोथली ग्रीन
भोथली ग्रीन आम की गुणवत्ता काफी खास है और इस मीठे आम की मांग भी बढ़ने लगी है. इस आम को खरीदने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। उन्होंने शुरू से ही अपने बगीचों पर विशेष ध्यान दिया है।
दशहरी आम की मिठास लोगों को बेहद पसंद
सफल किसान भोजराज वर्मा ने आगे बताया कि दशहरी आम लोगों के बीच काफी पसंद किया जाता है, लेकिन आम्रपाली आम की मिठास भी इसके मुकाबले कम नहीं है. आम्रपाली आम अपनी मिठास के कारण बहुत मशहूर है. उन्होंने बताया कि इस बार पेड़ और शाखाएं आम के फलों से लदी हुई हैं. जिसके चलते इस बार बंपर उत्पादन की उम्मीद है.
भोजराज वर्मा के आम न सिर्फ स्थानीय बाजारों में बिकने लगे है, बल्कि बड़े शहरों में भी उनके आम की मांग बढ़ने लगी. छत्तीसगढ़ के सभी जिलों के अलावा मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब में भी ऐसे लोग हैं जो यहां के आम का स्वाद को पसंद करते हैं. उनकी सफलता से गांव के अन्य किसानों को भी प्रेरणा मिली है।
प्रेणास्रोत
आम को खास बनाने वाले किसान भोजराज वर्मा अपने पिता श्री देवराज वर्मा को अपना प्रेरणास्रोत मानते हैं। साथ ही उद्यानिकी विभाग एवं कृषि विभाग के अधिकारी भी समय-समय पर उचित सलाह एवं मार्गदर्शन देते रहे हैं। विभागीय अधिकारियों के माध्यम से कृषि विभाग के कई स्टॉलों पर इस आम की प्रदर्शनी भी लगाई गई है.
पर्यावरण को भी हो रहा फायदा
इन फलदार पौधों की खेती करने से केवल आमदनी ही नहीं बल्कि इससे पर्यावरण की भी रक्षा हो रही है. किसानों की आय में भी स्थिरता आ रही है। आज पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है जिससे पर्यावरण असंतुलन हो गया है। इस दिशा में आम के बगीचों का निर्माण काफी कारगर साबित हो सकता है।
आज भोजराज वर्मा न केवल एक सफल किसान हैं, बल्कि अन्य किसानों के लिए एक प्रेरणास्रोत भी हैं। उन्होंने दिखाया कि सही दृष्टिकोण, मेहनत और आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल से कोई भी किसान अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार सकता है। भोजराज की कहानी एक उदाहरण है कि कैसे पारंपरिक खेती से हटकर, नई तकनीकों और फसलों की खेती करके भी सफलता प्राप्त की जा सकती है। सत्यदर्शन लाइव उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हैं।
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