नवाचारी प्रयोग…गोबर से पेंट का कारोबार शुरू करने की ट्रेनिंग,जानिए सबकुछ…प्रधानमंत्री आवास योजना,सरकारी ऑफिस आदि में ब्रांडेड पेंट की जगह प्राकृतिक पेंट का प्रयोग किया जाएगा.

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यदि आप गाय के गोबर से पेंट बनाने का कारोबार (paint business ) शुरू करना चाहते हैं तो इसके लिए सिर्फ सात दिन में ट्रेनिंग हो जाएगी. बदले में महज 5000 रुपये की फीस लगेगी. इससे आप अच्छा कारोबार कर सकते हैं. सड़क परिवहन और राजमार्ग और एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी को वेस्ट को वेल्थ बनाने और इको फ्रेंडली इनोवेशन के लिए जाना जाता है. इस बार केंद्रीय मंत्री ने गाय के गोबर से पेंट तैयार करवा कर गाय को गोधन में तब्दील करने का नवाचार (Innovation) किया है.

इसके बाद अब पीएम आवास योजना के मकान की गाय के गोबर (cow dung) से तैयार पेंट से पुताई होगी. साथ ही उन्होंने इसकी फैक्ट्री लगाने के बारे में भी जानकारी दी. इस बारे में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि बाजार में डिस्टेंपर और इनेमल पेंट मिलता है. वैसे दोनों ही पेंट खादी ग्रामोद्योग का जयपुर स्थित कुमारप्पा इंस्टीट्यूट के लोगों ने मिलकर बनाया है. भारत में कुल पशुधन आबादी 535.78 मिलियन है.

इंटरनेशनल स्टैंडर्ड को पूरा करता है गोबर से बना पेंट
खास बात ये है कि गोबर से बना पेंट ब्रांडेड इनेमल पेंट और डिस्टेंपर के जो भी इंटरनेशनल स्टैंडर्ड हैं उन्हें पूरा करता है. इस दौरान उन्होंने जानकारी दी कि उनके ऑफिस और घर की भी इसी गोबर और प्राकृतिक पेंट से पुताई करवाई गई है और देख कर कोई कह नहीं सकता है कि ये गोबर का पेंट हैं. उन्होंने बताया कि अब प्रधानमंत्री आवास योजना, सरकारी ऑफिस आदि में ब्रांडेड पेंट की जगह प्राकृतिक पेंट का प्रयोग किया जाएगा.

कैसे लगा सकते हैं गोबर से पेंट बनाने की फैक्ट्री
केंद्रीय मंत्री कहते हैं कि हमारी कोशिश है कि हर गांव में जानवर होते हैं, ऐसे में हर गांव में फैक्ट्री खुल सकती है. 12-15 लाख में फैक्ट्री खुल सकती है. इससे डिस्टेंपर और ऑइल पेंट गांव में भी बनने लगेगा. इसके लिए फिलहाल एक किलो गोबर 5 रुपये किलों से खरीदा जाएगा. वहीं अगर कोई स्टार्टअप के जरिए शुरू करना चाहे इसके लिए केंद्रीय मंत्री ने बताया कि खादी ग्रामोद्योग कमीशन के द्वारा पांच हजार रुपये में सात दिन का कोर्स जयपुर में किया जा रहा है.

अभी इसके लिए एक फिल्म बना कर एक ऑडिटोरियम में स्क्रीनिंग की भी योजना है. इसे एक समय में 2200 लोगों को दिखा सकेंगे. ये एक तरह से शॉर्ट ट्रेनिंग होगी. इस तरह से इस बारे में जागरूकता फैलाकर लोगों की गरीबी दूर कर रोजगार से जोड़ने का प्रयास है. इससे गांव में भी फैक्ट्री खुल सकेंगी.

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