
कलापरम्परा…ऑनलाइन राज्य स्तरीय “कविता के गोठ” कार्यक्रम में बही काव्य रस की धारा
कलापरम्परा संस्थान छत्तीसगढ़ द्वारा प्रति सप्ताह ऑनलाइन राज्य स्तरीय ” कविता के गोठ” कार्यक्रम की अठ्ठारहवी कड़ी को बस्तर में 22 जवानों के शहादत एवम राज्य के वरिष्ठ साहित्यकार मुकुंद कौशल को श्रद्धासुमन अर्पित कर श्रंद्धाजलि समारोह के रूप में मनाया गया,इस कार्यक्रम में राज्य के कलाकारों एवम साहित्यकारों ने दोनों ही दुःखद घटनाओं के प्रति संवेदना व्यक्त कर श्रंद्धाजलि दी।
संस्था के प्रान्त महासचिव गया प्रसाद साहू “रतनपुरिहा” के कुशल मार्गदर्शन एवम संचालन में कार्यक्रम सम्पन्न हुआ,कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था के अध्यक्ष डॉ डी पी देशमुख ने की।
राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ विनय कुमार पाठक ने दोनों ही घटनाओं पर संवेदना व्यक्त करते हुए मुकुंद कौशल को छत्तीसगढ़ी गजल का प्रवर्तक बताया, भाषाविद एवम वरिष्ठ साहित्यकार डॉ चितरंजन कर ने कहा कि देश-विदेश में अपनी लेखनी को लोहा मनवाने वाले मुकुंद कौशल का अवसान छतीसगढ़ी साहित्य के लिये अपूरणीय क्षति है,राज्य पिछड़ा आयोग के पूर्व सचिव एवम वरिष्ठ साहित्यकार बलदाऊ राम साहू ने कौशल जी को भाव एवम छंद बद्ध रचना के कुशल रचनाकार बताया। गंडई-पंडरिया के छत्तीसगढ़ी साहित्य साधक डॉ पीसी लाल यादव ने कहा कि कौशल जी के साहित्य सृजन एवम मानवीय मूल्यों में एकरूपता थी, साहित्यकार एवम प्रकाशक डॉ सुधीर शर्मा ने उन्हें प्रतिभशाली साहित्यकार बताया।
राजभाषा आयोग के नवनियुक्त सचिव डॉ अनिल भतपहरी ने कहा कि कौशल जी का साहित्य को कालजयी है,उन्हें उचित सम्मान दिया जाना शेष है,विदुषी साहित्यकार सरला शर्मा ने 1991 से मुकुंद भाई के लालटेन जलने दो से प्रारंभ साहित्यिक यात्रा 40 वर्षो तक अनवरत जारी रहा,साहित्य सर्जक डॉ दीनदयाल साहू ने कौशल जी को हर रचनाओं में गंभीर सोंच रखने वाला एवम बेबाक टिप्पणी करने वाला जीवंत साहित्यकार बताया।
कार्यक्रम में वरिष्ठ कवियत्री संतोष झांझी,पद्मलोचन शर्मा,राजेश्वर राव खरे,नीलम जायसवाल,मोहन लाल सोनी,तुका राम कंसारी आदि ने शहीद जवानों को एवम अपने प्रिय साहित्यकार मुकुंद कौशल को विभिन्न संस्मरणों के माध्यम से भावभीनी श्रंद्धाजलि अर्पित की। अंत में संस्था के प्रांत कोषाध्यक्ष दिनेश पाण्डेय ने आभार व्यक्त किया।