रायपुर:मजहब नही सिखाता आपस मे बैर रखना,हिंदी है हम वतन है,हिन्दोस्ताँ हमारा,कितनी शानदार पंक्तियां लिखी गई है मो. इकबाल द्वारा।ऐसे ही तृतीय लिंग समुदाय जो सबसे पहले इस दुनिया मे अपने आपको इंसान समझते है और इंसानियत धर्म।जाति धर्म से परे होकर रक्तदान जैसे पुण्य कार्य मे आगे रहे है।छत्तीसगढ़ मितवा संकल्प समिति द्वारा संचालित गरिमा गृह रायपुर के तृतीय लिंग विद्यार्थियों ने 29 अगस्त को रक्तदान शिविर में रक्तदान एवं स्वयंसेवा की। गरिमा गृह देश का एकमात्र तृतीय लिंग पुनर्वास केंद्र है जहाँ बेघर और बेसहारा तृतीय लिंग व्यक्तियों को आश्रय प्रदान किया जाता है तथा अपने भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए उन्हे विभिन्न प्रकार के कौशल प्रशिक्षण भी प्रदान करते हैं।
समाज को एक उदाहरण देते हुए तृतीय लिंग विद्यार्थियों द्वारा यह रक्तदान समाज को संदेश देता है कि रक्तदान कितना पुण्य का काम है। जहा आज भी समाज में लिंग के आधार पर कई प्रकार से भेदभाव किया जाता है शोषण किया जाता है उसी समाज में एक बड़ा बदलाव लाने के लिए यह छोटा सा कदम लोगो की सोंच बदलने मे अहम भूमिका निभा सकती है कि तृतीय लिंग भी समाज के व्यक्ति भी उतने ही सामान्य हैं जितने समाज के बाकि लोग हैं। हमारा रक्त भविष्य में किसी जरूरतमंद को जीवन भी प्रदान कर सकता है इसीलिए रक्तदान को महादान भी कहा जाता है।