
लघुकथा (ब्लैकमेल)…आज पश्चाताप का दावानल धधक रहा है… अब पछताये होत क्या,जब चिढि़या चुग गई खेत
(लघुकथा)
नजरें मिली,पलकें झुकी और प्यार हो गया। रश्मि और राहुल का प्यार पनघट की गगरी और अमरईया की आंख मिचौली से शुरू होकर कचहरी के लव्ह मैरिज तक पूरा हुआ था। हाई प्रोफ़ाइल इलाके का धमाकेदार प्रेम-कथा। लचकती कमर और चढ़ती जवानी के नखरों के संग सुंदर कद काठी के बिंदास आशिकाना हम सफर की कहानी अपने चरम पर थी। तमाम दुख-दर्द और लोक लांछन को सहने के बाद पति-पत्नी को एक दूजे का हाथ थामने को मिला था।
अब रश्मि अपने रूम में रो रो कर बुरा हाल हुई बहुत उदास परेशान है। अपनी परेशानी किसी को बता भी नहीं सकती थी,क्योंकि सलेक्शन तो उसका ही था। फैशन के इस दौर में अंधे और बहरे माडर्न एज को भनक भी नहीं लगा ना ही भांप पाये कि यह प्रेम नहीं,यौनाकर्षण है। चढ़ती जवानी और बढ़ती चकाचौंध में फिल्मी स्टाइल में जीवन पांच मिनट का मजा और जीवन भर का सजा हो गया। और किसी को बतायें भी तो यकीन कौन करेगा।
आज रश्मि गमगीन है।भाई-बहन,माता-पिता की समझाईस को याद करके फफक-फफक रो रही है। राहुल भी गम में रम गया है। अब तो भी पीना चालू कर दिया है। अब एक दूसरे से खुश नहीं हैं। अब दांपत्य शबाब में नहीं है। अपने-अपने इरादे,अपने-अपने विचारों,एक दूसरे की समझ में अंतर महसूस हो रहा है। जीवन में घूटन है।
नकाबपोश दांपत्य की गाड़ी सरपट दौड़ रही है। पता नहीं कब पटरी से उतर जाय।
आज पश्चाताप का दावानल धधक रहा है। अब पछताये होत क्या,जब चिढि़या चुग गई खेत। भारतीयता से वंचित पश्चिमी सभ्यता की दीवानी जवानी खुद ब्लैकमेल हो रही है।
*✍🏼©® डॉ.विश्वनाथ देवांगन ‘मुस्कुराता बस्तर’*
कोंडागांव,बस्तर,छत्तीसगढ़
(ब्लैकमेल (लघुकथा) के सभी पात्र व पात्रों के नाम,स्थान घटनाएं सभी काल्पनिक हैं। यदि किसी जीवित व्यक्ति,वस्तु,स्थान से समानता हो तो संयोग मात्र है। जिसका उस व्यक्ति,वस्तु,स्थान से कोई सरोकार नहीं है।)