साइकिल पंचर की दुकान से सपनो की उड़ान…शिमला की सबसे ऊंची चोटी करोल टिब्बा में लहराया तिरंगा…साइकिल के गोल पहिए में देखा जिंदगी का गोल..राजनांदगाँव जिले के छोटे से गांव सिंघोला से जितेंद्र साहू….

राजनांदगाँव:-परिस्तिथियां चाहे कितनी भी बड़ी क्यो ना हो, सच्ची लगन और जज्बे से सब कुछ हासिल किया जा सकता है।ये कहानी है ऐसे लड़के की जिसने अपने सपने और खुद के बीच कभी गरीबी को आने नही दिया है।स्वयं की साइकिल पंचर की दुकान में काम करते हुए साइकिल की गोल पहिये में जिंदगी का गोल देखा और अपने चाहत को कभी मरने नही दिया।राजनांदगाँव से महज 8 किमी में बसा छोटा सा गांव सिंघोला जहा जितेंद्र साहू रहते है।विगत दिनों भारतीय एडवेंचर फाउंडेशन द्वारा शिमला में साहसिक कैम्प का आयोजन किया गया था जिसमे जितेंद्र साहू ने तय सीमा पर 7350 फीट ऊंची पहाड़ की चोटी पर चढ़कर तिरंगा लहराया है।

पिताजी के साथ छोटे से साइकिल पंचर की दुकान में काम करके अपने पढ़ाई को जारी रखकर समाजशास्त्र में M.A. किया है।छात्र जीवन मे स्काउट और एनसीसी में हिस्सा लेकर अपने व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करते हुए स्काउट गाइड मे राष्टीय स्तर पर हैदराबाद मे सिल्वर मेडल और NCC मे “C” सर्टिफिकेट के साथ दाे गाेल्ड मेडल हासिल कर चुके है अभी वर्तमान में दुकान में काम करके प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करते हुए माउंटनीयर बनने के लिए प्रयासरत है।

मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले जितेंद्र साहू अपने पिताजी को प्रेरणा का पुंज मानते है। पिताजी मानसिंह साहू हमेशा से प्रोत्साहित किया है।माताजी गौतरहीन साहू ने भी एक सच्चे इंसान बनने की शिक्षा बचपन से दिए है।गांव के ही तीरंदाजी कोच हीरू साहू समय समय पर उचित मार्गदर्शन देते रहते है।

जितेंद्र साहू जी गांव में बच्चो को निःशुल्क शिक्षा से लेकर आपातकालीन स्तिथि में रक्तदान के लिए हमेशा तत्पर रहते है।अभी तक 18 बार रक्तदान दे चुके है। माउंटनीयर बनने के ख्वाब लिए दिन की शुरुआत होती है।सपने को हकीकत में बदलने की कोसिस जारी है।

साइकिल के स्पोक से सपनो का ताना-बाना बुनते हुए अपने लक्ष्यों की ओर जितेंद्र साहू आगे बढ़ रहे है।मन मे अगर कुछ पाने की चाहत हो तो सफलता मिलना निश्चित है बशर्ते हमारे द्वारा किया हुआ प्रयास ईमानदारी से हो। सत्यदर्शन लाइव की पूरी टीम के तरफ से जितेंद्र साहू को स्वर्णिम भविष्य की ढ़ेरो शुभकामनाएं।

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