
शख्सियत…अगर एक शब्द में समाजसेवी भागवत साहू के बचपन से लेकर वर्तमान तक के जीवन और उनके कार्यो को बयां किया जाएं तो वह शब्द होगा “सेवा”
कमलेश यादव : मुठ्ठी में कुछ सपने लेकर,भरकर जेबों में आशाएं, दिल में है अरमान यही, कुछ कर जाएं… कुछ कर जाएं। मैं उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है… बंजर माटी में पलकर मैंने…मृत्यु से जीवन खींचा है। किसी शायर की ये फेमस लाइनें छत्तीसगढ़ के संस्कारधानी राजनांदगांव जिले में रहने वाले भागवत साहू पर एकदम सटीक बैठती हैं।वे वर्तमान में जिला साहू संघ राजनांदगांव के जिलाध्यक्ष के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।अगर एक शब्द में श्री भागवत साहू के बचपन से लेकर वर्तमान तक के जीवन और उनके कार्यो को बयां किया जाएं तो वह शब्द होगा “सेवा”।उन्होंने अपना सारा जीवन लोगों की सेवा में समर्पित कर दिया है।
सत्यदर्शन लाइव को भागवत साहू ने बताया कि गरीबी की चादर ओढ़े कच्चे मकान में 12 अप्रैल 1966 को उनका जन्म हुआ था।पिता जी स्व. फूलसिंह साहू मेट का काम किया करते थे।यूं कहें बचपन काफी अभाव में बीता।एक छोटे से कमरे में हमारी दुनिया बसती थी।बारिश में टपकते पानी की बूंदे सारा जहां अपना है कि सीख दे जाती थी।उन दिनों बिजली तो नही था पर लालटेन (कंडील) की दूधिया रोशनी से घर जगमगा जाता था।मेरी मां श्रीमती तेजबति साहू जो कि अभी 95 साल की हैं उस समय काम करने के लिए दूसरों के घर जाया करती थी।साइकिल तो मानो हमारे लिए एक स्वप्न ही था।किसी ने कहा है कि समय एक जैसा नही रहता बदलता जरूर है पर बदलते वक्त के साथ उस दौर को भुला पाना भी काफी मुश्किल होता हैं।
टर्निंग पॉइंट
जिद, जिजीविषा,जीवटता को मैंने अपनी जिंदगी में आत्मसात कर लिया है।सुबह से देर रात तक खूब मेहनत किए कई कई दिनों तक तो घर से बाहर भी रहना पड़ा।ट्रांसपोर्ट लाइन में आगे बढ़ते हुए साहू ट्रेवल्स के नाम से बस सर्विस शुरू की।शिद्दत से की हुई मेहनत का सार्थक परिणाम देखने को मिलता है।आगे बढ़ते हुए हमने “साहू गिट्टी उद्योग” (क्रेशर प्लांट)मुढ़ीपार में स्थापित की हैं।
शुरुआती सफर
2005 में मुझे अपने ग्राम पंचायत टेड़ेसरा में सरपंच के रूप में जनता का आशीर्वाद मिला।सकारात्मक सोच और बुनियादी जरूरतों को फोकस करते हुए गांव की तस्वीर बदलने का प्रयास किया।उस समय यहां के आद्योगिक इकाइयों में बाहिरी लोगो का बोलबाला था।इसके लिए स्थानीय लोगो को रोजगार दिलाने काफी संघर्ष करना पड़ा।अंततः सुखद परिणाम यह मिला वर्तमान में कई युवा G.M.जैसे बड़े पद पर आसीन हैं।
सामाजिक बदलाव की घड़ी
साहू समाज मे मुझे समय समय पर विभिन्न दायित्व सौपा गया।जिसे मैंने पूरी लगन और निष्ठा के साथ पूरी की।समाज के लिए सवा एकड़ जमीन कार्यकाल के दौरान ही सामूहिक प्रयास से मिला हैं।वर्तमान में एक करोड़ राशि सभा हाल के लिए और तहसील चौखड़िया पारा में 30 लाख की स्वीकृति हुई हैं।सर्वसमाज के युवाओं के लिए निःशुल्क कोचिंग की व्यवस्था की गई है जिसमें अभी 125 बच्चे इसका लाभ ले रहे हैं।फ्यूल के खर्च पर एम्बुलेंस सेवा की शुरुआत की गई।इस कार्यकाल के दौरान पहली बार मां भानेश्वरी जयंती सिंघोला में धूमधाम से मनाया गया।सांस्कृतिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए लोक संगीत प्रशिक्षण का कार्यक्रम शुरू की गई।
प्रेरणा
गरीबी को मैंने जन्म से देखा है संघर्ष जैसे मेरे रोज के साथी थे।इन तमाम परिस्थितियों के बावजूद मुझे मेरा होने का अहसास माँ के द्वारा दी हुई शक्ति से मिलता हैं।आज भी मैं माँ से रोज सुबह बातचीत करता हूँ।95 वर्ष की हो गई है पर मेमोरी पावर बहुत स्ट्रांग है।इस दुनिया मे बेवजह कुछ भी तो नही हर चीज के पीछे एक निश्चित उद्देश्य होता है।मुझे इतना तकलीफ यदि नही मिलता तो मैं औरों की तकलीफ कैसे समझता।
युवाओं को सन्देश
किसी भी चीज की नियमित अभ्यास से आप वह सब हासिल कर सकते है जिसे आपने चाहा हैं।किसी एक चीज के पीछे न दौड़े योग्यता के अनुसार व्यापार के क्षेत्र को भी चुने।सबसे पहले अपने आप पर कार्य करे क्योकि समाज की सफलता वास्तव में स्वयं से शुरू होती हैं।ढ़ेरो विकल्प है संभावनाओ की कोई कमी नही।इतिहास उसी ने बदला है जिसने रचनात्मकता को अपनाया हैं।शार्ट कट की सफलता के पीछे नही जाए।कोई भी कार्य हो त्याग मांगता जरूर हैं।
भागवत साहू के जीवन से हमे यह सीख मिलती है कि “विश्वास पहाड़ हिला सकता है शंका पहाड़ खड़ा करती हैं”इसीलिए सबसे पहले स्वयं के ऊपर विश्वास करने की जरूरत हैं।वे अक्सर कहते है कि जीवन मे उम्मीद के बुझे दीये जलाने के लिए कोई दूसरा नहीं आएगा।आप और सिर्फ आप ही उन्हें रोशन कर सकते हैं।जीवन चलने का नाम है और सही मायनों में चलने के लिए नई राहें खोजनी होंगी।इस तरह से हम खुद को बुलंद कर सकेंगे।सत्यदर्शन लाइव ऐसे जननायक को सलाम करता हैं।