
संस्कारधानी की हुनर…मिलिए 87 साल के रफू मैन शेर अली खान से…इंसान की इच्छा शक्ति यदि मजबूत हो तो उम्र भी आड़े नही आती है…हाथों में ऐसा जादू की कपड़ो में रफू शानदार तरीके से करते हैं
कमलेश यादव:-दिन से हफ्ते और हफ़्तों से महीने और महीनों से साल कब बदल जाते है पता नही चलता।आज हम बात करने जा रहे है ऐसे शख्स के बारे में जिसकी उम्र 87 वर्ष होने के बावजूद हाथों में ऐसा जादू है कि कपड़ो में रफू शानदार तरीके से करते हैं।नाम शेर अली खान है वह छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में रहते हैं।वे इस शहर के सबसे पुराने रफू करने वाले कारीगरो में से एक है।पूरे शहर के हजारो ग्राहकों को अपने काम और व्यवहार से दिल जितने वाले शेर अली खान की जीवन यात्रा प्रेरणादायी है।
स्नो व्हाइट डाई क्लीनर्स
सत्यदर्शन लाइव से बातचीत में उन्होंने बताया कि संस्कारधानी की पुरानी प्रतिष्ठानों में से एक “स्नो व्हाइट डाई क्लीनर्स” में विगत 44 वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहे है।उनकी दिनचर्या में अनुशासन झलकता है।काम के प्रति इतने समर्पित है कि आज भी अपनी निर्धारित समय मे कार्यस्थल में पहुंच जाते हैं।उन्हें खाली बैठना बिल्कुल भी पसन्द नही है।जिंदादिली के साथ जिंदगी जीने वाले दादा शेर अली बच्चो के साथ बच्चे और बड़ो के साथ बड़े बन जाते है।
सेहत का राज
वे पैदल चलने पर भरोसा रखते है।उनका मानना है कि शरीर मे जब तक ताकत है अपना काम क्यो न मैं स्वयं करूँ।भाजी की सब्जी बहुत ही मजे से खाते है।वे हमेशा कहते है कि तन से स्वस्थ होने के पहले इंसान को मन से स्वस्थ होने की जरूरत है। परिस्थितियों से सामंजस्य और तालमेल जिसने बिठा लिया उन्होंने जीवन जीने की कला सीख ली।सब चीज इसी दुनिया मे मौजूद है।
भूली बिसरी यादें
यादों की पोटरी को खोलने से अनेक बातें सामने आई जिसे उन्होंने हँसते हुए बताया की खैरागढ़ राज घराने से जब राजा साहब आया करते थे बड़ी ज़ोर से चिल्लाते हुए कहते थे “अरे शेरू कपड़े में रफू करो” उनकी इस आवाज में मुझे प्यार झलकती थी।शहर के बड़े बड़े नामचीन लोग जो इस दुनिया मे नही रहे है यहां आकर बैठा करते थे।आज भी मैं उनकी बातों को याद करके उत्साहित होता हूँ।
वे कहते है कि जीवन मे जब तक उतार चढ़ाव न हो जीने का मजा ही नही है।स्नो व्हाइट डाई क्लीनर्स 6 दशक पहले शिक्षक स्व.गणेश प्रसाद वर्मा जी के माध्यम से शुरू की गई थी।अब वह हमारे बीच नही रहें लेकिन आज भी मैं उनकी उपस्थिति महसूस करता हूँ।अक्षय प्रसाद वर्मा जी के मार्गदर्शन में मैनेजर जितेंद्र नामदेव पूरे काम की जिम्मेवारी ले लिए है।नामदेव जी कहते है कि इस उम्र में दादा शेर अली खान को जब काम करते देखता हूं तो मुझे एक नई ऊर्जा मिलती है।
उम्र की इस पड़ाव में रफू मैन शेर अली खान ने साबित कर दिया है कि इंसान की इच्छा शक्ति यदि मजबूत हो तो सफलता निश्चित है।वे ऐशोआराम की जिंदगी नही चाहते उनकी सोच है कि जब तक सांसे चल रही है कुछ न कुछ काम करते रहूं।अब अपनी नातिन को भी यह काम सीखा दिए है।लड़खड़ाती जुबान से उन्होंने कहा कि उन्हें जीवन मे ढ़ेरो विकल्प मिले बड़े पैसे देने की लालच भी दिया गया पर एक जगह काम करते हुए जो सम्मान और प्यार सभी से मिला उसे कभी भुलाया नही जा सकता।और यही मेरे लिए दौलत से कम नही है।
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