
छत्तीसगढ़ अप्रवासी भारतीय सम्मान… देश के बाहर सामाजिक कल्याण,मानव संसाधन विकास,कला साहित्य अथवा आर्थिक योगदान के लिए नाचा के एग्जीक्यूटिव प्रेसीडेंट श्री गणेश कर को यह सम्मान के लिए चयनित किया गया
कमलेश यादव:विदेशी सरजमीं पर छत्तीसगढ़ की गौरवमयी संस्कृति के पदचिह्नों पर चलते हुए प्रवासी भारतीयो ने अपनी जन्मभूमि और अपनाए गए देशों के बीच सेतु निर्माण किया है,वे जहां कहीं जा कर बसे और रहे, वहीं उन्होंने छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति को जीवंत रखा।छत्तीसगढ़ प्रवासी भारतीय को एकजुट करने,संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले दंतेश्वरी माई की नगरी दंतेवाड़ा के बचेली निवासी श्री गणेश कर NACHA(छत्तीसगढ़ प्रवासी एसोसिएशन) के संस्थापक और एग्जीक्यूटिव प्रेसीडेंट है।देश के बाहर सामाजिक कल्याण,मानव संसाधन विकास,कला साहित्य अथवा आर्थिक योगदान के लिए छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा NACHA (North America Chhattisgarh Association ),Blood4us.Org/ Dtribals Corp के संस्थापक और एग्जीक्यूटिव प्रेसीडेंट श्री गणेश कर जी को “छत्तीसगढ़ अप्रवासी भारतीय सम्मान’ के लिए चयनित हुआ है।आइए जानते है उनकी रोचक सफर के बारे में
जब भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रवासी छत्तीसगढ़ी लोगों को संगठित करने की बात होगी तो गणेश कर का नाम पहले पायदान पर होगा।इनके प्रयास से ही विदेश में रहने वाले प्रवासी भारतीय एकता के मजबूत धागे में बंधे हुए है।वे इस धागे को बुनने इसे मजबूत करने का श्रेय सामूहिक रूप से अपने हरेक सदस्यों को देते है।छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति के दर्पण के रूप में पहली बार फरवरी 2017 में नाचा (उत्तरी अमेरिका छत्तीसगढ़ एसोसिएशन) की स्थापना की गई।जिसे देखकर दुनिया वाले अचंभित हो गए।विदेश में रहने वाले सभी प्रवासी भारतीय छत्तीसगढ़ी संस्कृति को जी रहे है।यह गणेश कर की दूरदर्शिता को दर्शाता है।साथ ही फैसले लेने की क्षमता और संकटो को सुलझाने की काबिलियत खासकर यूक्रेन रूस वार में छत्तीसगढ़ के फंसे हुए सैकड़ो छात्रों की वापिसी में मदद ऐसी बातें उन्हें बाकी लोगो से अलग करती है।
छत्तीसगढ़ के माओवादी क्षेत्र में जन्मे गणेश कर की बचेली से शिकागो तक जाने की कहानी बड़ी दिलचस्प है।26/09/1980 को गणेश कर का जन्म हुआ था।वे बचपन से ही प्रतिभा के धनी थे।अपने छात्र जीवन मे पढ़ाई को लेकर हमेशा से ही प्रतिबद्ध रहे है।मध्यम वर्गीय परिवार की संघर्षों से जूझते हुए अपनी शिक्षा पूरी की।कठिन परिश्रम और अनुशासित लक्ष्यों के बदौलत छत्तीसगढ़ से अमेरिका तक का सफर तय किया।वे 2009 से शिकागो में रह रहे है।छत्तीसगढ़ की मिट्टी में अजीब जादू है,यहां रहने वाले दुनिया के किसी भी कोने में रह रहे हों छत्तीसगढ़ सबके दिलों में बसता है।
गणेश कर के साथ आज 3000 से भी अधिक छत्तीसगढ़ी प्रवासी भारतीयों का विशाल समूह है।अमेरिका,ब्रिटेन, सिंगापुर,कनाडा और ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों में रह रहे प्रवासी भारतीयों को नाचा के माध्यम से एक मंच में लाया गया।सभी साथ मे मिलकर हरेक त्योहार को मनाते है साथ ही छत्तीसगढ़ की संस्कृति को लेकर कई कार्यक्रमों का आयोजन विदेशी धरती पर कर चुके है।छत्तीसगढ़ स्थापना के बाद तीनों मुख्यमंत्री के कार्यक्रम का सफल आयोजन हो गया है।
नाचा से जुड़े हुए सदस्य बड़ी बड़ी कम्पनियों में विभिन्न पदों में पदस्थ है सभी के टैलेंट का इस्तेमाल छत्तीसगढ़ को आगे बढ़ाने के लिए किया जा रहा है।गणेश कर ने नाचा के माध्यम से छत्तीसगढ़ के जरूरतमंद छात्रों के लिए निःशुल्क छात्रवृत्ति की विशेष योजना उड़ान के नाम से शुरू की है।जिसका लाभ कई छात्र उठा चुके है।गणेश कर ने छत्तीसगढ़ के करोड़ो छात्रों की आंखों को बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित किया है।उनकी प्रेरणादायक बातें किसी भी निराश हताश व्यक्ति में बिजली की तरह हिम्मत पैदा करने की क्षमता रखती है।
गणेश कर ने आचरण,कर्तव्य और परिश्रम से न केवल छत्तीसगढ़ का मान सम्मान बढ़ाया है बल्कि आने वाली पीढ़ी के लिए भी एक ऐसी मिसाल पेश की है।जो हमेशा उनके लिए प्रेरणास्रोत है।प्रवासी भारतीयों की तरफ से कोरोना जैसी महामारी में अपने प्रदेश के लिए फंड जुटाना, आवश्यक दवाइयां, मास्क भेजना, छत्तीसगढ़ सरकार के लिए अमेरिका जैसे देश में अनुकूल वातावरण बनाने की अथक मेहनत के साथ अपने कैरियर और परिवार को भी सम्भालना ये सब गणेश कर जैसा परिश्रमी व्यक्ति ही कर सकता है।
नाचा के सभी सदस्यों ने छत्तीसगढ़ के लिए विभिन्न सपने संजोये और चलना शुरू किए आज 3000 से भी अधिक प्रवासी भारतीय जुड़ गए है।सभी सदस्य छत्तीसगढ़ के लोगों के आर्थिक विकास के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से कार्य कर रहे है।निश्चित रूप से यह प्रेरणादायक कार्य से समाज में सामाजिक आर्थिक और सांस्कृतिक विकास में सहायक होगा।