वैसे तो दिवाली खुशियों का त्योहार है लेकिन हम बात करेंगे ऐसे लोगों की जिनकी दिवाली की शुरुआत बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाने से होती है…अभिजीत पारख पिछले 8 वर्षो से बच्चों की मुस्कान की वजह बने हुए है

कारवी यादव:एक वो भी दीवाली थी,एक ये भी दीवाली है यह गाने के बोल बयां करती है समाज की छुपी हुई ऐसी तस्वीर जो कभी किसी को दिखाई नहीं देती है।वैसे तो दिवाली खुशियों का त्योहार है लेकिन हम बात करेंगे ऐसे लोगों की जिनकी दिवाली की शुरुआत बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाने से होती है।नाम अभिजीत पारख छत्तीसगढ़ के दुर्ग के रहने वाले है।इनकी संस्था डोनेट थोड़ा सा और ल्यासा फाऊंडेशन पिछले 8 वर्षो से बच्चों की मुस्कान की वजह बने हुए है।आइए जानते है  अच्छे और नेक कार्य की शुरुआत कब और कैसे हुई।

सत्यदर्शन लाइव को डोनेट थोड़ा सा के संस्थापक अभिजीत पारख ने बताया की हमने 30 आंगनबाड़ी को गोद लिया है जिसके तहत आंगनबाड़ी के सभी बच्चो के साथ जन्मदिन हो या कोई त्यौहार मिल जुल कर एक साथ मनाते है ताकि उन बच्चो को वही खुशी मिले जो हम अपने घर के बच्चो को देना चाहते है।सभी बच्चों को शिक्षा के प्रति प्रेरित किया जाता है। आगे वे और बताते है कि संस्था का यह कार्यक्रम अकेले नहीं दुर्ग-भिलाई या कहे तो छत्तीसगढ़ के और भी एनजीओ के सहयोग के साथ मनाया जाता है।

मजरूह सुल्तानपुरी की लिखी शेर  “मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर,लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया” शुरुआती दिनों की यदि बात करे तो 30 बच्चों के साथ यह शुरू की गई थी।अभिजीत पारख बताते है कि 400 बच्चों के साथ बड़े ही हर्षोल्लास से यह त्योहार मनाया जाता है।अब तो हमारे कार्य मे सहयोगी *रेड ड्रॉप छत्तीसगढ़*, *गगन फाऊंडेशन*  *नव दृष्टि फाऊंडेशन*, *सेवक जन फाऊंडेशन* सभी के संयुक्त प्रयास और सहयोग से कार्यक्रम को सफल बनाया जाता है।

कार्यक्रम में सम्मिलित अमित साहू जी, श्रीमती जूही व्यास, पायल जैन, अन्वेषा भाटिया,अजय भसीन जी मुख्य अतिथि के रूप में सक्रिय भूमिका रही है।बच्चों के लिए  *खुशियों की दिवाली* के लिए 1 वर्ष पहले से ही तैयारी करना शुरू कर देते है ताकि बच्चों को हर बार कुछ नया अनुभव मिले। उन बच्चो के लिए डांस , ड्राइंग, गायन, रंगोली, मॉडलिंग जैसे कई प्रतियोगिता करते हैं। बच्चों को पहले ही नया ड्रेस दे दिया जाता है ताकि वे दिवाली खुशियों के साथ मनाए, उनके लिए भोजन की व्यवस्था भी संस्था के द्वारा की जाती है सभी के लिए किताबें एवम पढ़ाई के सामान, पटाखे, मिठाई, नमकीन, खिलोने आदि खुशियों की झोली में घर जाते वक्त बच्चो के हाथ में उपहार स्वरूप दिया जाता है। बच्चों ने देशभक्ति,बेटी बचाओ, छत्तीसगढ़ी नृत्य प्रस्तुत किया।

*नयनदीप स्कूल* जो दृष्टि बाधित बच्चों के लिए संचालित है। बच्चो के द्वारा मनमोहक गायन प्रस्तुत किया गया।कार्यक्रम को सफल बनाने श्रीमती सुषमा श्री, विकास जायसवाल, राज अढतिया, पूर्वी अढतिया, कोमल अढतिया, हरजिंदर सिंह, खुशी जैन, गरिमा राजपूत, सूरज साहू, श्रीमती शीतल राव, श्रीमती श्रृद्धा चौधरी, श्रीमती संध्या पाठक ,श्रीमती मनप्रीत कौर, स्मिता तांडी जी, स्वाति तांडी जी, रूपल गुप्ता,  पलक गुप्ता, मोनिका गुप्ता, आरती, निम्मी, सागर, लाला, हर्षु, भास्कर रश्मि वांचना अथर्व,भानु,सौरभ और आंगनवाड़ी की सभी कार्यकर्ताओं के  सभी के सहयोग से यह कार्यक्रम सफल रहा।


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