
छत्तीसगढ़ महतारी के सपूत बहुआयामी प्रतिभा के धनी लेखक,कवि,गीतकार,सफल मंच संचालक,वरिष्ठ वैज्ञानिक(बैंगलोर ) डॉ. आदित्य शुक्ला की पुस्तक “सफल व्यक्तित्व के हनुमान मंत्र” से सीखिए जीवन जीने का मूलमंत्र
कमलेश यादव:सफलता की बीज हर किसी के अंदर छिपा रहता है। अंकुरित होने के लिए बस उन्हें सही ढंग से पोषित होने की आवश्यकता होती है। आज भय युक्त वातावरण में लोग अपनी स्वयं की शक्ति को भूलते जा रहे है।प्रतिभावान लोग भी कभी कभी आत्मविश्वास की कमी के वजह से मायूस से हो जाते है।सोई हुई सुसुप्त शक्तियों को जगाने के लिए “सफल व्यक्तित्व के हनुमान मंत्र” नामक बहुत ही उपयोगी,सहज जीवन जीने के अदभुत सीख से प्रेरित यह पुस्तक लिखी गई है।इसके लेखक प्रतिभाशाली व्यक्तित्व के धनी,शांत और सौम्य शख्सियत रखने वाले डॉ. आदित्य शुक्ल जी है।
डॉ.आदित्य शुक्ल ने सत्यदर्शन लाइव को बताया कि,सफलता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति में आत्मविश्वास, ज्ञान, अनुभव, विषय विशेषज्ञता तथा विश्वसनीयता जैसे गुणों की आवश्यकता होती है। आश्चर्य की बात है कि सीताजी की खोज में लंका जाने के लिए हनुमानजी के पास ऊपर वर्णित कोई भी गुण नहीं थे। उन्हें अपने बल का बोध नहीं था, जामवंत को उनमें ‘आत्मविश्वास’ जगाना पड़ता है। समुद्र को पार करने का उनके पास ‘अनुभव’ नहीं था । लंका की भौगोलिक स्थिति का उन्हें कोई ‘ज्ञान’ नहीं था । वे यह भी नहीं जानते थे कि जिनकी खोज करनी है वे सीताजी दिखती कैसी हैं। लंका में भय एवं आशंका से घिरे सीताजी का ‘विश्वास’ जितना सबसे कठिन चुनौती थी ।
मगर हनुमानजी, इन सभी चुनौतियों पर विजय प्राप्त करते हुए न सिर्फ सीताजी की खोज करने में सफल होते हैं। बल्कि राक्षस वधकर, लंका जलाकर, शत्रु दल में भय तथा सीताजी के मन में श्रीराम से मिलने का विश्वास जगाकर, सकुशल वापस लौट आते हैं। हनुमानजी की इस आसाधारण सफलता का मुख्य कारण, उनके व्यक्तित्व की विशेषता है। इसे हम ‘सफल व्यक्तित्व के हनुमान मंत्र’ के माध्यम से जान एवं समझ सकते हैं।