हरतालिका तीज :काजल,कुमकुम,मेहंदी,बिंदी,सिंदूर,चूड़ियाँ सुहागिन महिलाएं 16 श्रृंगार करके भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा अर्चना करती हैं

कारवी यादव:कोरोना काल से गुजरी दुनिया ने पिछले दो सालों में रिश्तों के महत्व को बहुत गहराई से जाना है। परिवार जीवन के लिए कितने जरूरी हैं, ये हर उस आदमी को अच्छे से समझ आया, जिसने कोरोना की त्रासदी को नजदीक से देखा है।हमारे भारत मे हरेक त्योहारों के पीछे रिश्तो की जड़ो को मजबूत करने का मर्म छिपा हुआ है।हरतालिका तीज पर पति की दीर्घायु के लिए महिलाएं द्वारा व्रत रखी जाती है।आइए जानते है इस व्रत की खास बातें

हिंदू धर्म में महिलाओं के लिए हरतालिका तीज व्रत बेहद खास है. यह व्रत सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र, सुखद वैवाहिक जीवन और उनके कल्याण के लिए रखती हैं. वहीँ कुवांरी कन्यायें हरतालिका तीज व्रत सुयोग्य और मनचाहा वर प्राप्ति के लिए करती हैं. इस व्रत में वे भगवान शिव और माता पार्वती की विधि –विधान से पूजा करती हैं. धार्मिक मान्यता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए उपवास रखा था और यह दिन उनके मिलन का प्रतीक है. हरतालिका तीज का त्योहार मुख्य रूप से छत्तीसगढ़,उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश में मनाया जाता है.

पार्वती जी से जुड़ा व्रत
मान्यता है कि देवी पार्वती ने इस व्रत की शुरुआत की थी। उन्होंने शिवजी को पति रुप में पाने के लिए गुफा में बिना कुछ खाए-पिए तपस्या की थी। इसलिए सुहागनें भी इस दिन बिना पानी का व्रत रखती हैं और सुहाग की चीजें देवी पार्वती को चढ़ाती हैं। ये ही वजह है कि हरतालिका तीज व्रत बहुत कठिन माना जाता है और इसलिए महिलाओं को सौभाग्य मिलने की मान्यता है।

सुहाग की सामग्री
मां पार्वती ने सुहाग के तौर पर शिव जी को पाने के लिए यह व्रत किया था इसलिए हरतालिका तीज में सुहाग की चीजों का विशेष महत्व है। इसमें कुमकुम, मेहंदी, बिंदी, सिंदूर, बिछिया, काजल, चूड़ी, कंघी, महावर आदि को विशेष रूप से शामिल करें।

पूजन सामग्री
तीज की पूजा में महिलाओं को पूजा सामग्री का खासतौर से ध्यान रखना चाहिए। सूखा नारियल, कलश, बेलपत्र, शमी का पत्ता, केले का पत्ता, धतूरे का फल, घी, शहद, गुलाल, चंदन, मंजरी, कलावा, इत्र, पांच फल, सुपारी, अक्षत, धूप, दीप, आक का फूल, कपूर, कुमकुम, गंगाजल, गणेश जी को अर्पित करने के लिए दूर्वा, जनेऊ भी पूजन सामग्री में रखें।

व्रत पूजा विधि
– हरतालिका पूजन के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू रेत व काली मिट्टी की प्रतिमा हाथों से बनाएं।
– तीज व्रत प्रदोष काल में किया जाता है। सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त को प्रदोष काल कहा जाता है।
– पूजा स्थल को फूलों के फुलेरे से सजाकर एक चौकी रखें और उस चौकी पर केले के पत्ते रखकर भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
– इसके बाद देवताओं का आह्वान कर शिव जी, माता पार्वती और भगवान गणेश का षोडशोपचार पूजन करें।
– सुहाग की चीजें माता पार्वती को और शिव जी को वस्त्र चढ़ाएं। बाद में इसे सुयोग्य को दान देना चाहिए।
– पूजन के बाद कथा सुनें और रात्रि जागरण करें। आरती के बाद सुबह माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं व ऋतु फल-मिष्ठान आदि का भोग लगाकर व्रत खोलें।

कथा सार
पार्वती जी का विवाह उनके माता-पिता ने अन्यत्र करने का विचार किया लेकिन पार्वती जी भगवान शिव को अपना सर्वस्व मान चुकी थीं और पार्वती जी के मन की बात जानकर उनकी सखियां उन्हें लेकर घने जंगल में चली गईं, जहां उन्होंने शिव जी को पाने के लिए तप किया था। इस तरह सखियों द्वारा उनका हरण कर लेने की वजह से इस व्रत का नाम हरतालिका व्रत पड़ा।

हरतालिका तीज पूजन सामग्री लिस्ट
भगवान शिव और देवी पार्वती की मूर्तियां
घी, दीपक, अगरबत्ती और धूप
पान 2 या 5, कपास की बत्ती, कपूर
सुपारी के 2 पीस, दक्षिणा
केले का फल, पानी के साथ एक कलश, आम और पान के पत्ते, एक चौकी
केले का पत्ता, बेल के पत्ते, धतूरे का फल और फूल, सफेद मुकुट एवं फूल
साबुत नारियल -4, शमी के पत्ते
चंदन, जनेऊ, फल, नए कपड़े का एक टुकड़ा
सभी वस्तुओं को एक साथ रखने के लिए एक ट्रे
काजल, कुमकुम, मेहंदी, बिंदी, सिंदूर, चूड़ियाँ
पैर की अंगुली की अंगूठी (बिछिया)
कंघा, कपड़े और अन्य सामान, आभूषण
चौकी को ढकने के लिए एक साफ कपड़ा, पीला/नारंगी/लाल

 


जवाब जरूर दे 

आप अपने सहर के वर्तमान बिधायक के कार्यों से कितना संतुष्ट है ?

View Results

Loading ... Loading ...


Related Articles