बदलाव…ग्रामसभा सर्वोपरि…पेसा कानून क्या है…सभी तरह के प्राकृतिक संसाधनों गौण खनिज,वनोपज,जल, जंगल,जमीन पर पूरा अधिकार ग्रामसभा का होगा…आइपीएसी की 36 अलग-अलग धाराओं में कार्रवाई का अधिकार भी ग्रामसभा को मिलेगा

छत्‍तीसगढ़ सरकार ने अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम 1996 (पेसा) के लिए नियम तैयार कर लिया है। मानसून सत्र में इसे विधानसभा में पेश करने की तैयारी की जा रही है। इसके तहत अनुसूचित क्षेत्रों में ग्रामसभाओं की सरकार चलेगी। सभी तरह के प्राकृतिक संसाधनों गौण खनिज, वनोपज, जल, जंगल, जमीन पर पूरा अधिकार ग्रामसभा का होगा। आइपीएसी की 36 अलग-अलग धाराओं में कार्रवाई का अधिकार भी ग्रामसभा को मिलेगा।

अनुसूचित क्षेत्रों में ग्रामसभा सर्वोपरि होगी। शासकीय कर्मी ग्रामसभा के आदेशों की अवहेलना नहीं कर सकेंगे। ग्रामसभा सरकारी अफसरों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा कर सकती है। इस कानून में महिला सभा दिव्यांजन, तृतीय लिंग, वरिष्ठ नागरिक और वंचित समूह के अलावा बालसभा के गठन की भी व्यवस्था है। त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में अनुसूचित क्षेत्र की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए पेसा अधिनियम बनाया गया है। यह अधिनियम जनजातीय समुदाय को स्वशासन का अधिकार देता है। इस कानून के अंतर्गत राज्यों को अपना नियम बनाना है। महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्रप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना ने पहले ही नियम बना लिया है।

छत्तीसगढ़ में साल 1996 से पेसा कानून बनाने की जद्दोजहद चल रही थी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव को यह जिम्मेदारी दे रखी थी। सिंहदेव ने प्रदेश का दौरा भी किया। सरगुजा से बस्तर तक सामाजिक संगठनों और जन प्रतिनिधियों से चर्चा कर राय व सुझाव लिए। बताते हैं कि केंद्र सरकार ने 1996 में नार्थ-ईस्ट के सात राज्यों समेत दस आदिवासी बहुल राज्यों को अपने प्रदेश की व्यवस्था के अनुसार पेसा कानून बनाने की इजाजत दी थी।

केंद्र ने पहले ही दिया था मॉडल, पर लागू नहीं किया गया
केंद्र की ओर से इसका मॉडल भी दिया गया था, लेकिन न तो अविभाजित मध्यप्रदेश में और न ही छत्तीसगढ़ में अब तक इस पर अमल किया जा सका था। नए पेसा कानूनों के अनुसार अनुसूचित क्षेत्रों की 85 जनपदों की कमेटियों में 50 प्रतिशत या इससे अधिक आदिवासी होंगे। बाकी गैर अनुसूचित जनपदों में एससी, एससी, ओबीसी सदस्यों की आबादी के अनुपात से नियुक्तियां होंगी। विधानसभा के पावस सत्र में इस कानून को पारित करने के बाद राज्य में लागू कर दिया जाएगा।

नए कानून में ये खास बातें
बताया गया कि नए पेसा कानून में ग्राम सभाओं को आईपीसी के तहत 26 अधिकार दिए गए हैं। इसमें न्याय करना भी शामिल है।
पेसा कानून का ड्राफ्ट 20 पेज का है। न्याय के अधिकार की खास बात यह है कि संतुष्ट न होने पर फरियादी को अपील करने का प्रावधान रखा है।
ग्रामसभा के अध्यक्ष का कार्यकाल एक साल का होगा। इसमें रोटेशन से पुरुष व महिला एक-एक वर्ष के लिए अध्यक्ष बन सकेंगे।
सरपंच व उप सरपंच आदि को ग्रामसभा में पद नहीं मिलेगा। केवल गांव के सामान्यजन ही इसमें शामिल होंगे। पंचायती राज व्यवस्था के पर्यवेक्षण का काम भी ये सभाएं कर सकेंगी।
गांवों में रहने वाले सभी वर्गों, समुदायों के लोगों की संस्कृति, रीति-रिवाजों को पेसा में संरक्षण दिया गया है।
ग्राम सभाएं अपनी जरूरत के अनुसार शांति समिति, वित्त समिति जैसी कमेटियां बना सकेंगी। वे अपने गांवों की आमदनी बढ़ाने के उपाय भी कर सकेंगी।

ये सुविधाएं भी मिलेंगी
गौण खनिजों पर अधिकार
प्रमाणपत्र बनाने में आसानी
ग्राम सभाओं की अनुमति के बिना ग्राम पंचायतों में निर्णय नहीं
सड़क, बिजली, नाली आदि के बुनियादी फैसले भी
राजस्व, उद्योग, वन, खनिज, से संबंधित फैसले ग्रामसभा लेगी


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