
आपने लोगों को यह कहते हुए अक्सर सुना होगा “मैं पहले भी इस शहर में आ चुका हूं, लेकिन उस वक़्त इतनी गर्मी नहीं थी.इस साल काफी भीषण गर्मी है.”आख़िर ऐसा क्यों हो रहा है… और इसकी वजह क्या है
भारत के किसी भी शहर में चले जाएं, वहां लोग ये कहते हुए मिल जाएंगे, “ऐसा पहले नहीं होता था. जब हम बच्चे थे, इतनी गर्मी नहीं होती थी.”आपने लोगों को यह भी कहते हुए अक्सर सुना होगा, “मैं पहले भी इस शहर में आ चुका हूं, लेकिन उस वक़्त इतनी गर्मी नहीं थी. इस साल काफी भीषण गर्मी है.”आख़िर ऐसा क्यों हो रहा है और इसकी वजह क्या है, इस पर सोचने की ज़रूरत है.
भारतीय शहरों का स्वरूप पिछले कुछ दशकों में काफी बदला है. यहां की हरियाली में दिनों-दिन कमी आ रही है. धड़ल्ले से पेड़ काटे जा रहे हैं. इमारतों की संख्या बढ़ रही है. घरों में एसी का इस्तेमाल बढ़ रहा है. पक्की सड़कों का विस्तार तेज़ी से हो रहा है. और यही वजह है कि तापमान भी उसी रफ़्तार में बढ़ रहा है.ऐसे में शहर को अब ‘अर्बन हीट आइलैंड’ या फिर ‘हीट आइलैंड’ कहा जाने लगा है. अगर हवा की गति कम है तो शहरों को अर्बन हीट आइलैंड बनते आसानी से देखा जा सकता है.शहरों में जितनी ज़्यादा जनसंख्या होगी, हीट आइलैंड बनने की गुंज़ाइश उतनी ही ज़्यादा होगी. जब हम शहरों की सीमा पार करते हैं, हमें राहत महसूस होती है.
“तारकोल की सड़क और कंक्रीट की इमारत ऊष्मा को अपने अंदर सोखती है और उसे दोपहर और रात में छोड़ती है. नए शहरों के तापमान तेजी से बढ़ रहे हैं. पहले से बसे महानगरों की तुलना में ये ज़्यादा तेज़ी से गर्म हो रहे हैं.”
जलवायु परिवर्तन भी इस गर्मी के पीछे एक बड़ा कारण है. जलवायु परिवर्तन का मतलब है, तापमान और मौसम के पैटर्न में होने वाले असामान्य बदलाव. कोयला, तेल उत्पाद और गैसों का ज्यादा इस्तेमाल इस समस्या के जिम्मेदार हैं. क्योंकि इनसे ग्रीन-हाउस गैसें निकलती हैं, जो वातावरण को नुकसान पहुंचाती हैं और इससे पृथ्वी का तापमान सामान्य से ज्यादा हो जाता है.
इस गर्मी का कारण है खुद इंसान- आज भारत के ज्यादातर शहरों का स्वरूप पूरी तरह बदल चुका है. इन शहरों की हरियाली में दिनों-दिन कमी आ रही है. विकास के नाम पर सैकड़ों पेड़ काटे जा रहे हैं. ऊंची और बड़ी इमारतों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. घरों में Air Conditioner यानी AC का इस्तेमाल भी बढ़ता जा रहा है. पक्की यानी Concrete की सड़कों का विस्तार हो रहा है. गाड़ियों का धुआं और उनकी गर्मी वातावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं और यही वजह है कि इन शहरों में तापमान भी उसी रफ्तार में बढ़ रहा है. ऐसे शहरों को आज कल Urban Heat Island कहते हैं. यानी ऐसा शहर, जहां आबादी ज्यादा है. बड़ी बड़ी इमारतें हैं, पेड़ और हरियाली कम है. Concrete की सड़कें हैं और इस वजह से ऐसी जगहों का तापमान दोपहर के समय सामान्य से 8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है.
सिर्फ जलवायु परिवर्तन जिम्मेदार नहीं
यानी अगर आप ऐसे शहर में रहते हैं, जहां की आबादी कम है, हरियाली ज्यादा है, आसपास कोई तालाब या पानी का कोई दूसरा स्रोत है. तो आपका शहर उन शहरों की तुलना में ज्यादा ठंडा होगा, जहां ये सब कुछ काफी सीमित है. इसलिए इस गर्मी के लिए केवल जलवायु परिवर्तन को दोष नहीं दिया जा सकता. इसमें विकास एक बड़ा फैक्टर है, जिसकी कीमत आज आप लू के थपेड़े सहकर चुका रहे हैं.