
जीवन मे खूब तरक्की कीजिये डॉक्टर इंजीनियर वकील जो चाहे बनिये लेकिन पर्यावरण को बचाने का भी संकल्प लीजिये…युवा “चन्दन सिंह नयाल” जिसकी धड़कने पेड़ पौधों से धड़कती है…विलुप्त होती पौधों को बचाने खुद का जंगल बनाया…जल संरक्षण के लिए किया पोखर अभियान की शुरुआत
कमलेश यादव:क्या आपने सोचा है कि हम सभी के रहने के लिए केवल एक ही पृथ्वी है।हमारी पृथ्वी पर जीवन का मूल आधार “पेड़ पौधे और जल” सबसे खास और जरूरी तत्व हैं।प्रकृति से सभी इस कदर जुड़े हुए है इनके बगैर जिंदगी की कल्पना भी नही की जा सकती।मनुष्य की अतिमहत्वाकांक्षी सोच ने प्रकृति के जीवन चक्र को प्रभावित किया है।आज हम बात करेंगे ऐसे ही युवा के बारें में जिसकी धड़कने पेड़ पौधों से धड़कती है।चन्दन सिंह नयाल उत्तराखण्ड के नैनीताल जिले के रहने वाले है।विलुप्त होती वनों और जल संरक्षण की दिशा में बहुत ही अच्छे कार्य कर रहे है।सत्यदर्शन लाइव से खास बातचीत के कुछ अंश…..
भारत की आत्मा गांव में बसती है।गांव के लोगो का भोलापन और एक दूसरे की मदद की अनोखी परंपरा सदियों से चली आ रही है।चन्दन सिंह नयाल का जन्म सामान्य कृषक परिवार में हुआ माता सरस्वती देवी और पिता गोपाल सिंह के दिये हुए संस्कारो की चमक का ही परिणाम है कि आज मैं हर कार्य शिद्दत से करता हूँ।मेरी प्रारम्भिक शिक्षा उत्तराखंड के सबसे पिछड़े सीमा क्षेत्र से लगे गांव नाई में हुआ और फिर नैनीताल , रामनगर, लोहाघाट से माध्यमिक उच्च शिक्षा ग्रहण की।पढ़ाई लिखाई पूरी होने के बाद निजी क्षेत्र में नौकरी की ओर कदम बढ़ाया।पेड़ पौधों से पहले से ही अगाध प्रेम था।बचपन की कुछ अमिट यादे आज भी मुझे परेशान करती है।मेरे घर के नजदीक के जंगलो में लगी हुई आग वही एक ऐसा टर्निंग प्वाइंट रहा।यही से शुरुआत हुई पेड़ लगाने की मुहिम जो मुझे आज भी प्रेरित करती हैं।
इतिहास गवाह है जब भी हम किसी कार्य को प्रारम्भ करते है विरोध का सामना भी करना पड़ता है।पेड़ पौधों के प्रति अगाध प्रेम का पहला विरोध मेरे घर से शुरू हुई धीरे धीरे गांव वालों ने भी विरोध करना शुरू किये और फिर क्या था विरोध के स्वर समाज से भी उठने लगे।मैंने कभी हार नही मानी।अपनी प्रमाणिकता सिद्ध किया और सभी को जवाब दिया अपने कर्म से।गांव में घर के आस पास पेड़ लगाने से शुरुआत करते हुए नजदीकी गांव के स्कूलों में जाकर बच्चों को जागरूक किया।अब मुझे यह चिंता थी बड़ी मात्रा में पौधे कहां से आएंगे ना मेरा परिचय किसी वन विभाग से था और ना किसी नर्सरी से कुछ पौधे मुझे मेरे ताऊजी श्री पान सिंह नयाल जी वन दरोगा द्वारा प्राप्त किये। मैं दिए हुए पौधों की देखरेख करने लगा।
बांज लगाओ बांज बचाओ आन्दोलन
काम के बढ़ते दायरे को देखते हुए खुद की नर्सरी तैयार किया पहाड़ों का हरा सोना कहां जाने वाला बांज के पौधों को बढ़ावा देने के लिए बांज लगाओ बांज बचाओ आन्दोलन शुरू कर दिया। बांज जल संरक्षण में भी बहुत सहायक होता है।
पोखर अभियान
वही देखा कि गांव में पानी की बहुत समस्या है गांव की जलस्रोत सूख रहे हैं नौले ,धारे, गधेरे ,सिमार सब सूखने के कगार पर है तब सोचा कि बारिश के पानी को कैसे रोका जाए ताकि हमारे जल स्रोतों का जल स्तर बढ़ सके और फिर शुरू हो गई एक नई शुरुआत पोखर अभियान के तहत चाल खाल पोखर खंतियां बनाना ,पोखर हमारी संस्कृति थी।जल संसाधन नहीं हुआ करते थे तो लोग जलाशयों से ही जल प्रबंधन करते थे।
प्रकृति में देखता हूँ अपनी मां को
मेरी माँ जिसने मुझे जीवन मूल्य सिखाया।अचानक से मुझे छोड़कर हमेशा के लिए भगवान के घर चली गई।मैं अपनी मां की छवि प्रकृति में देखना शुरू किया। जीवन की परिभाषा समझ आने लगी,उत्तराखंड के पर्यावरणविद्दो से मिलना भी शुरू किया जगत सिंह चौधरी जंगली जी से उनके ही जंगल में जाकर मुलाकात की और उनके अनुभव लिए,सुन्दर लाल बहुगुणा जी से देहरादून में उनके आवास पर भेंट की अनिल जोशी जी से भी शुक्लापुर हैस्को में जाकर मुलाकात की कल्याण सिंह रावत जी से भी उनके आवास पर भेंट किया। पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य करने वाले अधिकतर लोगों से अनुभव साझा किए।
खुद का जंगल बनाया
धीरे धीरे मुहिम की व्यापकता बढ़ती गई जिसके परिणाम स्वरूप खुद का जंगल बनाने का कार्य भी आरम्भ किया जिसमें विभिन्न प्रजाति के पौधे रोपित किए गए। साथ ही स्वतः उगने वाले पौधौं का संरक्षण भी किया।आसपास के बहुत सारे गावों का भ्रमण करते हुए गांव के लोगों को पर्यावरण को बचाने श्रद्धा का संकल्प दिलाया।अपने साथ धीरे धीरे टीम भी जुडती गयीं उत्तराखंड और उत्तराखंड से बाहर के लोग भी जुड़ने लगे यही उद्देश्य है कि प्रकृति की सेवा का दीप निरंतर जलता रहे ।
पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक
पिछले 8,9 वर्ष में हमारे द्वारा अलग अलग जगहों पर 51000 पौधे रोपित और वितरित किए जा चुके हैं लोगों को फलदार पौधे भी वितरित किए गए आज लोगों के घरों में फल दे रहे हैं 120 से अधिक गांवों में जाकर लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया साथ ही कई स्थानों पर सफाई अभियान चलाये गए साथ ही नदियों की सफाई का कार्य भी किया और 400 से अधिक स्कूलों में जाकर पर्यावरण संरक्षण की जानकारी दी है। साथ ही अभी तक जल संरक्षण के लिए 3000 चाल, खाल ,खंतियां, पोखर भी अलग अलग जगहों पर तैयार किए गए जिससे कई जल स्रोत रिचार्ज हुए हैं और एक 4 हैक्टेयर का जंगल भी तैयार किया जा रहा है। जिसमें मिक्स प्रजाति के पौधे रोपित किए गए हैं और उनका संरक्षण भी किया गया है।बिना किसी n g o. और किसी भी सरकारी मदद से यह कार्य हुआ है युवाओं और महिलाओं के सहयोग से यह कार्य किया जा रहा है।और साथ ही 4 वर्ष पूर्व अपना शरीर भी मेडीकल कॉलेज हल्द्वानी को दान कर दिया ताकि मेरे लिए एक भी पेड़ ना कटे।
अभी भी वक्त है इस वसुंधरा को बचाने के लिए सामूहिक प्रयास किया जाए ताकि पृथ्वी में जीवन हमेशा के लिए फुले फले।ऐसा नही है पर्यावरण के विषय मे लोग सोचते नही है।लेकिन सोच को धरातल पर क्रियान्वयन सही ढंग से नही हो पा रहा है।युवाओ से यही अपील है आप डॉक्टर इंजीनियर वकील जरूर बनिये लेकिन पर्यावरण को बचाने का भी संकल्प लीजिये क्योकि जीवन का नींव प्रकृति है।चन्दन सिंह नयाल जैसे युवा पूरे समाज के लिए प्रेरणास्रोत है जिन्होंने तन मन धन से इस खूबसूरत धरती को संवारने में लगे हुए है।सत्यदर्शन लाइव उनके इस जज्बे को सलाम करता हैं।