
68 साल के शंकरलाल सोनी भीषण गर्मी में साइकिल पर घूम-घूमकर बुझाते हैं लोगों की प्यास…इस दौड़-भाग भरी जिंदगी में जहां सभी खुद के बारे में सोचते हैं और खुद में ही रहते हैं वहां शंकरलाल सोनी जैसे लोग हमेशा दूसरों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं और रहेंगे
भारतीय संस्कृति में प्यासे को पानी पिलाना सबसे बड़ा पुण्य माना गया है। भारत में गर्मी के महीनों में हम देखते भी हैं कि बहुत लोग जगह-जगह पर घड़े और प्याऊ लगाते हैं, ताकि प्यासे को इस चिलचिलाती गर्मी से राहत मिल सके। आज जिस व्यक्ति की बात हम आपको बताने जा रहे हैं, वो इस प्रचंड गर्मी में घूम-घूमकर लोगों की प्यास बुझाते हैं। यह शख्स हैं जबलपुर के 68 साल के शंकरलाल सोनी, जी हां एक ऐसे बुजुर्ग जो अपनी वृद्धावस्था को आराम से जीने के बजाय लोगों की सेवा करते हैं।
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शंकरलाल सोनी 68 वर्षीय ऐसे बुजुर्ग हैं जो भीषण गर्मी में लोगों की प्यास बुझाते हैं। लोग उन्हें प्यार से वाटरमैन कहते हैं और यह नेक काम शंकरलाल सोनी पिछले 26 सालों से कर रहे हैं। साइकिल से घूम-घूमकर इस भीषण गर्मी में लोगों की प्यास बुझाते हैं।
शंकरलाल सोनी जबलपुर की गलियों में अपनी साइकिल पर घूम-घूमकर लोगों की प्यास को बुझाते हैं और इस नेक कार्य को करते हुए शंकरलाल सोनी को लोग प्यार से वाटरमैन (WATERMAN) कहते हैं। शंकरलाल सोनी पिछले 26 सालों से इस नेक काम को कर रहे हैं। प्यास बुझाने के साथ-साथ यह सभी को पानी बचाने का भी संदेश देते हैं, जोकि एक सराहनीय प्रयास है।
चलते-फिरते प्याऊं हैं ये वाटरमैन
शंकरलाल सोनी पिछले छब्बीस सालों से रोज अपने घर से साइकिल पर पानी की छागल (WATER BAG) रखकर घूम-घूम कर प्याऊ का काम करते हैं। शंकरलाल सोनी ने इस नेक कार्य करने का खुदसे संकल्प लिया है जो कभी भी डिगता नहीं है चाहे कितनी ही गर्मी हो यह कार्य इनके दिनचर्या में शामिल हो चूका है। जिस भीषण गर्मी में हम एसी और फ्रिज के बिना नहीं रह सकते ऐसी प्रचंड गर्मी में भी शंकरलाल सोनी अपने कार्य से नहीं चूकते। वह रोज सुबह साइकिल से नर्मदा नदी जाकर वहां से 100 लीटर से भी ज्यादा पानी वह एक दिन में भरकर लाते हैं और साइकिल पर घूम-घूमकर लोगों की प्यास बुझाते हैं। पानी जब खत्म हो जाता है तो वो दुबारा नर्मदा नदी से पानी भरकर इस कार्य को करते रहते हैं।
शंकरलाल सोनी कहते हैं, ‘मैं पिछले 26 सालों से ऐसा कर रहा हूं। मैं पानी की बोतलों के साथ 18 पानी के बैग ले जाता हूं। प्रत्येक भंडारण बैग में लगभग 5 लीटर पानी होता है। मैं उन्हें दिन में तीन बार रिफिल करता हूं।इस दौड़-भाग भरी जिंदगी में जहां सभी खुद के बारे में सोचते हैं और खुद में ही रहते हैं वहां शंकरलाल सोनी जैसे लोग हमेशा दूसरों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं और रहेंगे। ऐसी खबरें हमेशा हमें सुकून और हिम्मत देती हैं कि इंसानियत अभी भी जिंदा है।