आस्था संकुल संगठन…समूह से जुड़कर महिलाओं ने न सर्फ आजीविका की ओर कदम बढ़ाया बल्कि सफलता को प्राप्त करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है…अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर दिल्ली के विज्ञान भवन में आत्मनिर्भर संगठन पुरस्कार से नवाजा जाएगा

Key points
महिलाओं ने 2,300 परिवारों को किचन गार्डन बनाकर सब्जी उत्पादन के लिए किया प्रेरित
० किया ऐसा कि बन गए मिसालः आजीविका गतिविधियों से अपना जीवन स्तर बदल रही हैं स्व सहायता समूहों की सदस्य
० अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर दिल्ली में मिलेगा पुरस्कार

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में आस्था संकुल संगठन अब महिला आत्मनिर्भरता के पर्याय के रूप में जाना जाने लगा है। इस स्व सहायता समूह की महिलाएं आज कदम से कदम मिलाकर ऊंचाईयों को छू रही हैं। समूह से जुड़कर महिलाओं ने न सर्फ आजीविका की ओर कदम बढ़ाया बल्कि सफलता को प्राप्त करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। महिलाओं ने इससे यह संदेश भी दिया है कि चाहे पोषण स्तर सुधारना हो या वित्तीय प्रबंधन जैसे जटिल विषयए किसी भी कार्यक्षेत्र में वह पुरुषों से पीछे नहीं हैं।जिले के डोंगरगांव विकासखंड के ग्राम सोनेसरार के लिए यह एक गौरव की बात है कि इस इलाके की आस्था संकुल संगठन की स्वसहायता समूह की महिलाओं का कार्य न केवल राज्य में बल्कि पूरे देश में सराहा जा रहा है और राष्ट्रीय स्तर पर आत्मनिर्भर संगठन पुरस्कार के लिए चयन हुआ है। संकुल संगठन के अंतर्गत स्व सहायता समूहों की सदस्य विभिन्न आजीविका गतिविधियों से अपना जीवन स्तर बदल रही हैं। संगठन की महिलाएं संवहनीय कृषि, सब्जी उत्पादन, सेनेटरी नैपकिन, ई-रिक्शा, बैंक सखी जैसे कार्यों में संलग्न हैं। इसके साथ ही आस्था संकुल संगठन की महिलाओं द्वारा कोविड-19 की जागरूकता के लिए भी कई कार्य किए गए हैं।

हर क्षेत्र में बढ़ाए कदम : रेणुका
आस्था संकुल संगठन की रेणुका सिंह ने बताया : संगठन की महिलाओं ने खान-पान, पोषण, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता से आजीविका की ओर कदम रखा है। आस्था संकुल संगठन ने इस दिशा में 2,300 परिवारों में किचन गार्डन कर सब्जी उत्पादन के लिए प्रेरित किया जिसमें 605 परिवारों को बाजार मूल्य से कम दर पर उन्नत सब्जी बीज उपलब्ध कराया गया है। संकुल क्षेत्र अंतर्गत 2,300 परिवारों द्वारा स्वयं के किचन गार्डन में 6,500 क्विंटल से अधिक विभिन्न सब्जियों जैसे टमाटर, भिंडी, बैंगन, करेला, लौकी, गोभी आदि का जैविक पद्धति से उत्पादन किया गया। इस गतिविधि से उत्पादित सब्जियों को न केवल परिवारों में खाने के लिए उपयोग किया गया, बल्कि सुपोषण के लिए किशोरी बालिकाओं, गर्भवती महिलाओं, नवविाहिताओं एवं दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों को भी प्रदान किया गया। इस गतिविधि से संकुल संगठन को आर्थिक लाभ भी हुआ।

आर्थिक सुदृढ़ता की ओर बढ़ते कदम
आस्था संकुल संगठन अंतर्गत सभी 443 स्व सहायता समूहों को चक्रिय निधि से लगभग 66.45 लाख रुपये, 261 समूहों को लगभग 1.56 करोड़ रुपये का सामुदायिक निवेश निधि एवं 387 समूहों को लगभग 9.84 करोड़ रुपये का बैंक ऋण पिछले 3-4 वर्षों में प्राप्त हुआ है।

दिल्ली में मिलेगा पुरस्कार
आस्था संकुल संगठन को उत्कृष्ट कार्य के लिए 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर दिल्ली के विज्ञान भवन में आत्मनिर्भर संगठन पुरस्कार से नवाजा जाएगा। इस संबंध में महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी रेणु प्रकाश ने बतायाः प्रदेश के स्व सहायता समूह द्वारा गठित संकुल संगठन को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा के मार्गदर्शन में जिले की स्व सहायता समूह की महिलाएं आर्थिक गतिविधियां कर आजीविका की ओर कदम बढ़ाते हुए इसमें सफल भी हो रही हैं। आस्था संकुल संगठन के गठन के पश्चात क्षेत्र अंतर्गत 17 ग्राम पंचायतों में 23 ग्राम संगठन और 443 स्व सहायता समूह जुड़े हैं। इनमें कुल 4,842 ग्रामीण महिला सदस्य शामिल हैं।


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