
भारत मसालों का केंद्र रहा है…बम्लेश्वरी फेडरेशन द्वारा बनी मसाले ई-मार्केट में…पद्मश्री फुलबासन यादव दो लाख महिलाओं का संगठन खड़ा कर नारी सशक्तिकरण की मिसाल पेश की है
कमलेश:भारत में हजारों वर्षों से मसालों (जैसे काली मिर्च, दालचीनी, हल्दी, इलायची) का इस्तेमाल पाक कला में और बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता रहा है। भारत मसालों का पुराना केंद्र रहा है। ये मसाले दुनिया भर में बेहद कीमती थे।क्या आप जानते है वास्को डी गामा के भारत आने का मुख्य वजह यहां के बेशकीमती मसाले थे।आज हम बात करेंगे छत्तीसगढ़ में महिलाओं द्वारा निर्मित मसालों के बारे में जिसकी डिमांड मार्केट में बढ़ती जा रही है।बम्लेश्वरी फेडरेशन महिला सशक्तिकरण की दिशा में बेजोड़ उदाहरण पेश कर रही है।इस फेडरेशन में तकरीबन 2 लाख महिलाओं का विशाल संगठन है।जिसकी संयोजक पद्मश्री फुलबासन यादव है।महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वसहायता समूह बनाकर विभिन्न रोजगारोन्मुखी कार्यो से सभी को जोड़ा जा रहा हैं।
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के वनांचल मोहला ब्लाक की महिलाएं स्वसहायता समूह की माध्यम से मिर्च धनिया सरसो अदरक जैसी मसाला से जुड़ी फसलों की आर्गेनिक खेती कर रही हैं।उनके उत्पाद को स्थानीय स्तर के साथ ही ई कामर्स कंपनियों के ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से देशभर के बाजार में उतारकर समूह की महिलाओं को बड़ा बाजार उपलब्ध कराने की तैयारी है।ताकि उपज के उचित दाम के साथ महिलाओं को रोजगार का नया माध्यम भी मिल सके।
पदमश्री फुलबासन यादव ने महिलाओं के उत्थान के लिए आधुनिक व व्यावसायिक खेती के साथ ही लघु उद्योग व अन्य कई तरह के व्यवसाय से सभी को जोड़ रही है।नशा मुक्ति,जुडो कराते जैसे सामाजिक बदलाव की नया अध्याय लिख रही है।ज्ञात हो कि मां बम्लेश्वरी फेडरेशन से सबन्ध करीब 19 हजार स्व सहायता समूहों से दो लाख से अधिक महिलाएं जुड़ी हुई हैं।
आज देश के हालत जो भी हों पहले के जमाने मे भारत विश्वगुरु था। यहाँ लोग व्यापार करने के लिए आते थे, भारत की धरोहर, प्राकृतिक संपदा, सबसे महत्वपूर्ण भारत की शिक्षा, यह सब प्राप्त करने लोग विदेशों से आते थे। देश को किसी विदेशी नागरिक को खोजने की ज़रूरत नहीं थी। भारत सोने की चिड़िया कहलाता था।