
इस गांव के युवाओं में कुछ नया करने का जोश है तो बुजुर्गों के पास अनुभवों का भंडार..दोनों के मेल से बुनियादी खेती की तस्वीर बदल गई है…युवा नवाचारी किसान राकेश साहू न केवल स्वयं मूंग की खेती में सफल हुए, बल्कि सैकड़ों किसानों को मूंग की फसल लगाने की सलाह देकर एक क्रांति ला दी है
कमलेश यादव : कृषि प्रधान छत्तीसगढ़ में पारंपरिक खेती को आगे बढ़ाने का जिम्मा अब युवाओं ने उठाया है। आज हम एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां युवाओं में कुछ नया करने का जोश है तो बुजुर्गों के पास अनुभवों का भंडार है। दोनों के मेल से करमतरा गांव बुनियादी खेती की तस्वीर बदल रहा है। यह गांव खैरागढ़ जिला मुख्यालय से करीब 18 किमी की दूरी पर स्थित है. दरअसल, इस गांव में युवा नवाचारी किसान राकेश साहू न सिर्फ खुद मूंग की खेती में सफल हुए, बल्कि आसपास के सैकड़ों किसानों को 1000 एकड़ जमीन में मूंग की फसल लगाने की सलाह देकर एक क्रांति ला दी है. आइए जानते हैं उनके इस सफर के बारे में दिलचस्प बातें।
नवाचारी किसान राकेश साहू ने सत्यदर्शन लाइव को बताया कि कुछ वर्ष पहले इस क्षेत्र में फसल उत्पादन तो होता था लेकिन उत्पादन के अनुरूप किसानों को मुनाफा नहीं मिल पाता था. ड्राई एरिया होने के कारण यहां सिंचाई की व्यवस्था भी ठीक से नहीं हो पाती थी. मौसम के अनुसार कम पानी की आवश्यकता और फसल की कम लागत को ध्यान में रखते हुए मूंग की खेती वैज्ञानिक विधि से शुरू की गई और रिकॉर्ड उत्पादन के साथ सफल रही है।
राकेश साहू जी ने बताया कि उनकी प्रारंभिक शिक्षा ग्राम करमतरा में हुई। उन्होंने शहीद गुंडाधुर कृषि महाविद्यालय,जगदलपुर से बीएससी कृषि की डिग्री प्राप्त की है। वहीं से उन्होंने खेती की बारीकियां का अध्ययन किया । प्रैक्टिकल के दौरान उन्हें मूंग की खेती का विषय मिला जिसका उपयोग अब खेती में किया जा रहा है। राकेश ने खेती किसानी को एक नए दृष्टिकोण से देखने का निर्णय लिया और अपनी शिक्षा का उपयोग करके खेती में नवीनतम तकनीकों को अपनाया हैं।
किसानों के बन गए है ट्रेनर
खेती को लाभ का व्यवसाय बनाने वाले युवा कृषक राकेश साहू जी से आसपास के किसान रोजाना सलाह लेने आते हैं। कब कौन सी दवा देनी है या जमीन की उर्वरा शक्ति कैसे बढ़ानी है, इन सभी तमाम प्रश्नों का निराकरण वह बेहतरीन तरीके से करते आ रहें हैं। प्रति एकड़ मूंग की खेती से 30-35 हजार मुनाफा लिया जा रहा हैं. उनका कहना है कि अगर मेरी सलाह से किसानों को किसी भी तरह का फायदा होता है तो मुझे निश्चित तौर पर बहुत खुशी होगी.
प्रेरणा
अगर कोई है जो मुझे मेरे काम के लिए सबसे बड़ी प्रेरणा देता है, तो वह मेरा परिवार है। मेरे पिता श्री महेंद्र साहू जी अपने आप में एक सफल किसान हैं। चाचा ने भी मुझे खेती को लेकर प्रोत्साहित किया है. मेरे शिक्षकों और कृषि विभाग के अधिकारियों के प्रोत्साहन से ही सब कुछ संभव हो सका है।
बनाया व्हाट्सएप ग्रुप
राकेश साहू की सफलता की कहानी जल्द ही आसपास के गाँवों में फैल गई और कई युवा किसानों ने उनसे प्रेरणा लेकर मूंग की खेती शुरू की। राकेश साहू ने एक व्हाट्सएप समूह भी बनाया जहां वे किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों के बारे में प्रशिक्षण देते हैं और उन्हें बेहतर फसल उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
खेती में सहायक पशुपालन
खेती में गाय के गोबर खाद और गौमूत्र का उपयोग करने के लिए उन्होंने लगभग 23 गायों के साथ पशुपालन शुरू किया है। उन्होंने एक छोटा गोबर गैस प्लांट भी लगाया है. पुरानी और नई पद्धतियों के समन्वय से ही खेती में प्रगति हो सकती है। पशुपालन वास्तव में खेती में सहायक है। प्रत्येक किसान के पास एक गाय होनी चाहिए।
युवाओं को संदेश
मैंने देखा है कि ज्यादातर युवा यूट्यूब देखकर खेती करने के बारे में सोचते है जबकि यह ज्ञान खेती के लिए पर्याप्त नही हैं. उन्हें विधिवत कृषि सलाहकारों के मार्गदर्शन और दिशानिर्देश से ही आगे बढ़ना चाहिए. आपकी कड़ी मेहनत और वैज्ञानिक सोच ही खेती को लाभ की व्यवसाय में बदल सकती हैं.
नवाचारी किसान राकेश साहू जी अपने जमीनी अनुभवों से खेती में प्रेरणा स्रोत बनकर उभरे हैं। उन्होंने दिखा दिया कि यदि सही तरीके और तकनीकों का उपयोग किया जाए तो खेती भी एक लाभकारी और सफल व्यवसाय बन सकती है। राकेश साहू की इस सफलता ने यह साबित कर दिया कि युवा किसानों में नए विचार और नई ऊर्जा से खेती को एक नई दिशा दी जा सकती है। सत्यदर्शन लाइव उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हैं।
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