
प्रेरणा मातृभूमि के लिए….मजदूरी करने गया था मुम्बई…मेहनत के दम पर बन गया कॉन्ट्रेक्टर…मुम्बई में ही रहकर बदल दिया अपने गांव की तस्वीर….बालोद जिले का गांव सिर्राभाठा….
बालोद:-जननी और जन्मभूमि को स्वर्ग से भी श्रेष्ठ कहा गया है, आज हम ऐसे शख्सियत के बारे में आपको बताएंगे जिन्होंने जिंदगी के उतार-चढ़ाव भरी रास्तो को पार करके सफलता का एक नई इबारत लिख दिया है। हताश-परेशान होकर 15 वर्ष पहले काम की तलाश में मायानगरी मुंबई पहुचकर वहां मजदूरी का काम करना शुरू किया।पर जिंदगी को कुछ और मंजूर था, तकलीफ भी कभी कभी सफलता का सीढ़ी बन जाता है।आज मुम्बई में स्वयं का बिल्डिंग निर्माण का बड़े से बड़ा कांट्रेक्ट ले रहा है।तकरीबन 250 लोग उनके अधीनस्थ कार्य कर रहे है।नाम है राजेश सिन्हा, बालोद जिले के गुंडरदेही से 15 किमी की दूरी में स्थित छोटा सा गांव सिर्राभाठा में जन्म हुआ।आज मुम्बई में रहते हुए पूरे गांव की तस्वीर बदल दिया है।
छत्तीसगढ़ के गांव की माटी की खुश्बू दिल मे लिए मुम्बई में पूरे परिवार छत्तीसगढ़ी संस्कृति से जीवन-यापन कर रहा है।सुबह नाश्ते में चीला रोटी और टमाटर की चटनी से शुरुआत होती है।गांव का ही प्रेम रहा कि आज गांव के हर छोटे-बड़े कार्यो में अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाते है।अभी तक कई लाखो का कार्य ग्राम में करवा चुके है।
पारिवारिक पृष्ठभूमि
निम्न वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले राजेश सिन्हा के पिता स्व.शिवनंदन सिन्हा खेती किसानी का काम करते थे।बचपन का वो दिन आज भी याद है जब पिताजी को इस दुनिया से रुखसत होते देखा।सर पर पिताजी का साया न होना और गरीबी अंदर तक निचोड़ दिया था,माताजी श्रीमती मनभा बाई सिन्हा का आशीर्वाद और प्यार रहा जिसके बदौलत आज सफलता के मुकाम तक पहुच पाया है।
शिक्षा में खास सहयोग
विद्यार्थियों को हमेशा से ही प्रोत्साहित करते है ।गरीबी और जिम्मेदारी के वजह से खुद नही पढ़ पाए लेकिन गांव के बच्चे पढ़-लिखकर आगे बढ़े यही सोच है।मेधावी छात्रों का सम्मान हो या स्कूल में किसी प्रकार से सुधार का काम में आगे रहते है।निर्धन बच्चो को पाठ्य- सामग्रियां उपलब्ध करवाते है।स्वयं 10वी उत्तीर्ण भी नही हो पाए है।
स्वच्छता मुहिम
पूरे गांव की साफ-सफाई रोजाना स्वयं के खर्चे से करवाते है।उनका ये मानना है सफाई यदि हमारे आदत में शामिल हो जाने से किसी प्रकार से मुहिम चलाने की भी जरूरत नही है।छत्तीसगढ़ की माटी का परम्परा है माताएं-बहने सुबह-सुबह आंगन की सफाई करती है, इन्ही अच्छी आदतों को पूरे गांव में लागू करना है।हम सभी खुद अपनी जिम्मेदारी समझ जाएं तो बदलाव खुद-ब-खुद शुरू हो जाएगा।जय हनुमान मित्र मंडल का गठन किया गया है,जिसका मुख्य उद्देश्य ग्राम को स्वच्छ साफ और सुंदर बनाना है।
आकस्मिक घटनाओं पर सहयोग
गांव में किसी भी व्यक्ति के साथ यदि कोई दुर्घटना हो जाये तो यथासम्भव मदद के लिए खड़े रहते है।निधन होने पर परिवार के सदस्यों को 5000 रुपये सहायता राशि तुरन्त उपलब्ध करवाते है।
विवाह में सहयोग
निर्धन कन्या विवाह में विशेष सहयोग रहता है।आगामी नवरात्रि में आदर्श विवाह की तैयारी चल रही है।क्योकि विवाह में निर्धन परिवार खर्च करने में सक्षम नही रहता है।परिवार के मुखिया की चिंता को भलीभांति समझते है।
अधोसंरचनात्मक कार्यो में रुझान
धार्मिक प्रवृत्ति वाले राजेश सिन्हा ने विशेषकर गांव में ही शीतला मंदिर,हनुमान मंदिर के साथ साथ स्कूल में सीमेंटीकरण और वार्ड नं.15 में सी.सी.रोड़ निर्माण स्वयं के खर्चे से करवाये है।विभिन्न कार्यो में अभी तक 15 लाख से भी ज्यादा खर्च हो चुका है।पुराने मंदिरों का जीर्णोद्धार भी करवाये है।कुल-मिलाकर ग्राम के विकास हेतू कृतसंकल्पित है।
छत्तीसगढ़ के इस छोटे से गांव की यह कहानी बहुत बड़ी सन्देश दे रही है खासकर छत्तीसगढ़ से बाहर कार्य करने वालो के लिए जिसकी संख्या लाखो में है,जो बड़े से बड़े जिम्मेदार पद पर है,क्यो न राजेश सिन्हा जैसे मातृभूमि का कर्ज चुकाने का प्रयास करे।आज भी छत्तीसगढ़ को पिछड़ा राज्य के रूप में देखा जाता है।यहा की जनजीवन,लोकसंस्कृति, खान-पान की विशेषता की यादों को दिल मे लिए अपनी माटी के लिए कुछ अच्छा करे।सत्यदर्शनलाइव चैनल के पूरी टीम की ओर से मातृभूमि के विकास के लिए संकल्पित राजेश सिन्हा को सैल्यूट।।।।।।