
गांव की बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षिका संध्या यादव की अनोखी पहल….रचनात्मक तरीके से बच्चों की पढ़ाई के साथ व्यतित्व विकास कर रही है…आइये पढ़े प्रेरणादायक कहानी
कमलेश:घर के कामकाज को व्यवस्थित करते हुए सभी महिलाओं का जीवन निश्चित ही प्रेरणादायक है बच्चो की पढ़ाई से लेकर परिवार के एक एक सदस्यों की पसन्द नापसंद के बारे में जानने वाली महिलाएं कितनी आसानी से जिंदगी भर संतुलन बनाकर चलती है वास्तव में जिस हीरो की तलाश 3 घण्टे की मूवी में करते है असल जिंदगी में वह हमारे आसपास ही होते है बस जरूरत होती है पारिखी नजर की।आज की कहानी पूरे भारत की महिलाओं की कहानी है नाम और स्थान भले ही अलग हो सकते है।छत्तीसगढ़ के अभनपुर विकासखंड के छोटे से गांव में रहने वाली संध्या यादव बच्चों को रचनात्मक तरीके से पढ़ा रही है।किसी ने सच ही कहा है हमारे पास जो है उसे समाज को लौटा दो ताकि सामाजिक क्रांति हो सके।सिक मित्र के नाम से ग्राम पंचायतो में बच्चो की पढ़ाई और व्यतित्व विकास के लिए अलग से कक्षाएं लगती है।जिसमे पढ़ाने के लिए गांव के ही शिक्षित लोगों का चयन किया जाता है।
शिक्षिका संध्या यादव कहती है कि सभी बच्चों में खास और विलक्षण प्रतिभाएं है बच्चो की रुचि के अनुसार दिशा देने से सुखद भविष्य की राह आसान हो जाती है।हरेक गांव में प्रतिभाओं की कमी नही है इन्ही बच्चो में से कोई डॉक्टर इंजीनियर बिजनेसमैन बनेंगे बस शुरुआती दौर में उनके पीछे मेहनत करने की जरूरत होती है।खेल खेल में बच्चो को पढ़ाने से किसी भी विषय को ग्रहण करने की क्षमता बढ़ जाती है।
संध्या यादव का जीवन काफी अभाव में होने के बावजूद बच्चों के प्रति इनकी निष्ठा काबिलेतारीफ है पति रोजी मजदूरी करके परिवार का आजीविका चलाते है।संध्या भी खूब मेहनत करती है।खेती के काम हो या बच्चो की शिक्षा, मिले हुए दायित्व को बड़ी जिम्मेदारी से निर्वहन करती है।
शिक्षा और स्वास्थ्य समाज की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है यदि यह सुदृढ हो जाये तो राष्टनिर्माण बेहतर तरीके से हो सकता है क्योकि नींव की ईंट गाँव से ही शुरू होती है।शिक्षा का प्रकाश बीहड़ से बीहड़ जगहों में पहुंच रही है अब तो हमारे स्टूडेंट भारत मे ही नही विश्व के अनेकों देशों में अपनी प्रतिभा का कौशल दिखा रहे है।इस कड़ी में जुड़े हुए सभी लोग धन्यवाद के पात्र है।शिक्षिका संध्या यादव के कार्यो को सत्यदर्शन लाइव सलाम करता है।