
भारत के छोटे से गांव से आस्ट्रेलिया तक का सफर…वैश्विक मंच पर भारतीय सँस्कृति,कला की अलग पहचान बनाई…भारतीय कला को लेकर 35 देशों की यात्रा…पढ़िए इस शख्स की प्रेरणादायी कहानी
कमलेश यादव:कला का सीधा सम्बन्ध मूल रूप से आत्मा से होता है ईश्वर को किसी ने नही देखा फिर भी एक कलाकार अपनी कला के माध्यम से एक साकार मूर्त रूप देता है।आज हम ऐसे शख्सियत से रूबरू होंगे जिन्होंने भारतीय कला सँस्कृति को आस्ट्रेलिया में न केवल जीवित रखा बल्कि नवोदित कलाकारों को वैश्विक मंच भी प्रदान किया है।दक्षिण भारत के छोटे से गांव वेंकटगिरिकोटा में सेंथिल वेल का जन्म हुआ।तीन राज्यो की सीमान्त आंध्रप्रदेश ,कर्नाटक और तमिलनाडु में यह गांव आता है।प्रतिवर्ष लोककला को प्रोत्साहित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय लोक कला रत्न अवार्ड का भी आयोजन किया जाता है ताकि कलाकार को वैश्विक और आर्थिक दोनों प्रकार के मंच मिले।
सत्यदर्शन लाइव को सेंथिल वेल बताते है कि बचपन से ही मुझे अपनी मातृभूमि से दूर रहना पड़ा लेकिन मेरे ब्लड में एक एक बूंद अपने देश के लिए प्रवाहित होता है।पिताजी भारतीय वायुसेना में होने के वजह से बचपना एक शहर से दूसरे शहर के बीच बीता।बैंगलोर,पुणे,दिल्ली मद्रास(चेन्नई) में घूमते हुए अंततः त्रिची में सफर खत्म हुआ।जिंदगी में सीखने के लिए यात्रा उतनी ही जरूरी है जितना किसी यूनिवर्सिटी में दाखिला।जब हम यात्रा करते है वहा की सँस्कृति कला और सभ्यता को नजदीक से अध्धयन करने का मौका मिलता है।अब तक 35 से अधिक देशों का यात्रा पेंटिंग को बढ़ावा देने के लिए कर चुके है।मैंने देखा हर देश में अलग कला थी जो उनकी संस्कृति के बारे में बहुत कुछ बताती थी।
https://indianfolkart.org/lok-kala-ratna-2021-hindi/
वे बताते है कि,जिंदगी कब किस मोड़ पर हमें ले आये कुछ कहा नही जा सकता बतौर इंजीनियर मैंने अपनी कैरियर की शुरुआत की,किसी कारणवश काम से स्विच करना पड़ा।आस्ट्रेलिया में स्वयं को स्थापित करने के लिए संघर्षों क दौर चला इस बीच मेरे अंदर के कलाकार ने कभी साथ नही छोड़ा।आज सफलता के मुकाम में पहुंचकर ऐसे लोगो की मदद करना चाहता हु जो पेंटिंग के माध्यम से संघर्ष कर रहे है।
मेरे गुरु, श्री वेंकटेश राजा को भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम से पुरस्कार प्राप्त हुआ है।उनके सान्निध्य में कला की बारीकियों को सीखने का मौका मिला है।मुझे छोटी उम्र से ही प्राचीन भारतीय कला रूपों से अवगत कराया गया था और मैं इसे विकसित करने में सक्षम हो गया।अभी देखता हूं सभी को समान अवसर नहीं मिल रहा है। भारतीय लोक कलाओं में से कई धीरे-धीरे गायब हो रहे हैं क्योंकि कलाकारों की अगली पीढ़ी इससे बाहर निकलने के लिए संघर्ष कर रही है, इसलिए मैं मदद करना चाहता हूं।जब मैं भारत की कुछ लोक कलाओं, जैसे मधुबनी और केरल की भित्ति कलाओं के बारे में अधिक सीखता हूं।ये कला रूप 2000 वर्ष से अधिक पुराने हैं।गुरुजी के आशीर्वाद मार्गदर्शन से ऐसा कलाकार बना हु जो लाखों कलाकारों की जिंदगी में बदलाव का कारण बना।
उद्देश्य
हमारा उद्देश्य दुनिया में भारतीय लोक कला और कलाकारों के लिए सबसे बड़ा मंच तैयार करना है।एक ऐसा मंच जो कला संग्रहकर्ताओं को भारत के सँस्कृति से जोड़ेगा, एक ऐसा मंच जो भारतीय लोक कला को पहचानने, विकसित करने, संरक्षित करने और अगली पीढ़ी तक पहुंचाने में मदद करेगा।”हमारा नज़रिया सदैव भारतीय लोक कला को अगली पीढ़ी तक पहुंचाना रहा है।
हमारा विशेष कार्य
सम्मानजनक जीवन: वंचित भारतीय लोक कलाकारों को अच्छे जीवन के लिए अपनी कलाकृति को बढ़ावा देने और बेचने का अवसर प्रदान करें। सभी के लिए नि:शुल्क व्यक्तिगत ऑनलाइन गैलरी।ज्ञान हस्तांतरण: हमारे गुरुकुलम, अत्याधुनिक ऑनलाइन शिक्षण प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से प्रदान किए जाने वाले मुफ्त और भुगतान प्रशिक्षण के माध्यम से सुंदर भारतीय लोक कला बनाने और अगली पीढ़ी को ज्ञान हस्तांतरित करने के लिए कौशल प्राप्त कर रहे है। वंचित कलाकारों के लिए, हम बिना किसी अतिरिक्त लागत के अपना निजी “ऑनलाइन गुरुकुलम” स्थापित करने में मदद करते हैं।अंतर्राष्ट्रीय भारतीय लोक कला प्रतियोगिता के माध्यम से नई प्रतिभाओं को पहचानें और पहचानें”
भारतीय कला अपनी सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाती है।कलाकार यदि मंच की तलाश कर रहे है और अपनी पेंटिंग्स को विश्वस्तरीय बनाना चाहते है निश्चित ही यह मंच लाभकारी साबित होगा।सत्यदर्शन लाइव सेंथिल वेल जैसे अंतरराष्टीय कलाकार को सलाम करता है जिन्होंने नवोदित कलाकारों की प्रतिभाओं को पंख देने की कोशिश में लगे हुए है।उज्ज्वल भविष्य की कामना करते है।