मिसाल बना इनका जज्बा…इंदिरा स्वयं दिव्यांग है लेकिन मिशन 30 के माध्यम से 30 दिव्यांगों के लिए बनी सहारा… वे ऑर्गेनिक फूड की खेती कर इन बच्चों को पौष्टिक आहार भी उपलब्ध कराती हैं

गोपी साहू:कुछ कर दिखाने का जज्बा यदि हो,तो व्यक्ति के लिए असम्भव से भरी चीजे भी सम्भव हो जाती है।हमारा समाज ढ़ेरो उदाहरण से भरा पड़ा हुआ है जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी सफलता की मुकाम हासिल किए है।सफल हुए सभी व्यक्ति में केवल एक चीज ही कामन है वह है मन कि दृढ़ शक्ति।ऐसे ही आज की कहानी में वह स्वयं दिव्यांग है लेकिन मिशन 30 के माध्यम से 30 जरूरतमन्द दिव्यांगों की मदद करने में लगी हुई है।

“तमिलनाडु की डी इंदिरा अपनी संस्था प्रेम इल्लम की अध्यक्ष हैं। ये संस्था दिव्यांग और महामारी में बेसहारा हुए बच्चों की मदद करती है। वे इन बच्चों को पोषण युक्त आहार देने के लिए ऑर्गेनिक फूड की खेती भी करती हैं। वे 30 दिव्यांग बच्चों को अपने साथ रखकर उनकी देखभाल कर रही हैं। 36 वर्षीय इंदिरा तमिलनाडु के सिरानुल्लर गांव में रहती हैं। वहीं उनका दिव्यांग बच्चों के लिए चलाए जाने वाला अनाथ आश्रम प्रेम इल्लम के नाम से है। 2019 में इंदिरा ने ऑर्गेनिक खेती की शुरुआत की। महामारी के बीच वे उन बच्चों को भी खाना खिलाने लगी जो आर्थिक तंगी के चलते भूखमरी से प्रभावित थे।

इंदिरा को पोलियो का पता तब लगा जब वह महज 5 साल की थी। 90% दिव्यांगता के बाद भी उसे उम्मीद थी कि एक दिन वह चल पाएगी। उसके माता-पिता ने उसे चेन्नई की एक संस्था में दाखिला दिला दिया जहां उसने पढ़ना-लिखना सीखा। इंदिरा को आगे बढ़ने में उसके भाई सेवलिन ने मदद की। इससे उसका आत्मविश्वास बढ़ा और उसने प्रथम श्रेणी में बोर्ड एग्जाम पास की। उसने मास्टर डिग्री लेने के बाद 2017 में अपनी ही तरह के अन्य दिव्यांगों की मदद का बीड़ा उठाया। उनके द्वारा किए गए प्रयास आज भी जारी हैं।”


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