
कुछ लोगों की कहानियां ऐसी हैं,जो बताती हैं कि मानवता अभी जिंदा है…इस महिला ने शुरू की ऑटोरिक्शा एंबुलेंस
कोरोना संकट के समय कुछ लोगों की कहानियां ऐसी हैं, जो बताती हैं कि मानवता अभी जिंदा है। ऐसी ही कहानी कोच्चि की सुनीता आर की है, जो ऑटो चलाती हैं और कोरोना संकट के समय उन्होंने अपने ऑटो को एंबुलेंस का रूप देकर जरूरतमंदों की मदद की। बिना किसी मदद के अपने खर्च पर ऑटोरिक्शा एंबुलेंस का संचालन करने वाली सुनीता का कहना है कि मुझे लोगों की मदद के लिए बस चलते रहना है। कोरोना वायरस के खिलाफ चल रही लड़ाई में योगदान देने का क्या ही अविश्वसनीय तरीका है।
जर्मन डेवलपमेंट एजेंसी के सहयोग से कोच्चि नगर निगम द्वारा सुझाई गई इस परियोजना का हिस्सा बनकर सुनीता लोगों की मदद कर रही हैं। उनके ऑटोरिक्शा में ऑक्सीजन की सुविधा भी है और तत्काल चिकित्सा के लिए पर्याप्त उपकरण भी हैं। चुने गए 18 लोगों में से एक सुनीता बिना किसी मदद के अपने काम को अंजाम दे रही हैं। इस काम को करने वाली पूरे केरल की वो एकमात्र महिला वॉलंटियर हैं।
नौ साल से चला रहीं हैं ऑटोरिक्शा
सुनीता पिछले नौ साल से ऑटोरिक्शा चला रही हैं। इस बीच लोगों की सेवा के लिए चुने जाने पर सुनीता का कहना है कि मुझे पता है ये आसान काम नहीं हैं, लेकिन महामारी के इस दौर में लोगों की इससे अच्छी सेवा नहीं हो सकती। जब मेरे पास प्रस्ताव आया, तो मैं इसे मना नहीं कर सकी। इस समय जब हर व्यक्ति निराशा से जूझ रहा है, तो जरूरत के समय उसकी मदद करना बेहद ही सेवा भरा काम है। वे कहती हैं कि ऑटोरिक्शा एंबुलेंस का हिस्सा बनने की उन्हें खुशी है कि वो भी इस कोरोना से लड़ाई का एक हिस्सा हैं।
लिया पूरा प्रशिक्षण
सुनीता ने ऑटोरिक्शा एंबुलेंस चलाने से पहले चिकित्सकों द्वारा पूरा प्रशिक्षण लिया और सीखा कि कोविड से कैसे बचना है। कैसे रोगियों से बातचीत करनी है, पीपीई किट पहनना है, खुद संक्रमण से कैसे बचना और लोगों को बचाना है। वे ऑटो चलाते समय कोविड प्रोटोकॉल का पूरा पालन करती हैं। उनकी इस कोशिश को देखते हुए समाज और प्रशासनिक अधिकारियों ने उनकी तारीफ भी की है। सुनीता क्षेत्र की एक हीरो बन गई हैं। उनके काम में रोगियों को अस्पताल पहुंचाना, ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर जैसी पर्याप्त चिकित्सा सेवाएं देना, यहां तक कि चिकित्सा कर्मचारियों को रोगियों के घरों तक पहुँचाना भी शामिल है।