
जंगलवास…पर्यावरण और पौधों को लेकर कई लोगों के जुनून व जज्बे के बारे में आपने सुना होगा…लेकिन क्या कभी आपने सुना है कि किसी ने अपने महज 800 स्क्वायर फीट के मकान में 450 अलग-अलग प्रजाति के 4000 पौधे लगा डाले हों
साक्षी अपने सफर के बारे में बताते हुए कहती हैं कि ‘2020 के शुरुआत में सोशल मीडिया पर फिलोडेंड्रोंस फैमिली के पौधे देख कर एग्जॉटिक और दुर्लभ पौधे लगाने का शौक डेवलप हुआ। मैं पौधों के लिए नारियल, तरबूज, प्लास्टिक की बोतलों में पौधे लगाती हूं। पौधों के लिए खाद सब्जियों के छिलके आदि से तैयार करती हूं। इसके लिए तीन अलग-अलग गड्ढे तैयार किए हैं। इनसे पौधों को उनकी प्रजाति के अनुसार जितनी जरूरत है उतनी खाद मुहैया कराती हूं। मैं अश्वगंधा, शतावरी की मदद से बायो रूटिंग हार्मोन बना रही हूं। इसे ही मैं अपने हाउस प्लांट्स की ग्रोथ के लिए इस्तेमाल करना चाहती हूं और दूसरों को भी उपलब्ध करना चाहती हूं।’
देश ही नहीं विदेश में मिलने वाले पौधे भी लगाए
भोपाल की मानसरोवर ग्लोबल यूनिवर्सिटी में एग्रीकल्चर की असिस्टेंट प्रोफेसर साक्षी भारद्वाज ने अपने पर्यावरण के प्रति प्रेम और जुनून के चलते अपने महज 800 स्क्वायर फीट की जगह में 450 प्रजाति के 4 हजार पौधों का एक सेल्फ सस्टेंड गार्डन बना डाला है। इसका नाम उन्होंने ‘जंगलवास’ रखा है। इस बारे में साक्षी बताती हैं कि पौधों की हरियाली से मिलने वाले सुकून और थेरेपी के लिए शुरुआत में अपने घर में ऐसे पौधे लगाने शुरू किए जो शहर में नहीं मिलते थे। अपने खास प्रकार के ‘जंगलवास’ में साक्षी ने पश्चिम बंगाल, नगालैंड, थाईलैंड, इंडोनेशिया के पौधे भी वहां के जैसे वातावरण, सही तापमान और सोइल टेक्सचर की कंडीशन ग्रीन हाउस में बना कर उगाए हैं।
शुरुआत में आई कई परेशानियां
पौधों को लगाने में आने वाली परेशानियों के बारे में साक्षी कहती हैं कि शुरुआत में कोई भी काम आसान नहीं होता है। मुझे भी कई परेशानियां हुईं। शुरुआत में मैं बहुत से दुर्लभ पौधे खरीद लेती थी पर उनकी देखभाल सही ढंग से नहीं कर पाती थी। ऐसे में बहुत सारे पौधे मर जाते थे। दुर्लभ प्रजाति के पौधे काफी महंगे आते हैं, इसलिए मैंने रिसर्च करना शुरू किया और धीरे-धीरे इतने सारे पौधे लगाने में सफल हुई। अब तो पापा के साथ मीटिंग करने के लिए आने वाले लोग भी यहीं बैठना पसंद करते हैं। यहां तक मेरे दोस्त भी रूम की जगह गार्डन में ही बैठते हैं। सिर्फ 800 स्क्वायर फीट में 4000 पौधे लगाना आसान नहीं था। बहुत ज्यादा जगह नहीं होने के कारण मैंने वर्टिकल स्पेस बनाया। वर्टिकल गार्डन में सिर्फ दुर्लभ पौधे लगाए हैं।
कचरे और कबाड़ से संवार रहीं गार्डन
साक्षी कहती हैं कि वह घर के कचरे और कबाड़ का उपयोग गार्डन को संवारने के लिए करती हैं। इसके अलावा नारियल के खोल में पौधे लगाती हैं, जो एक मजबूत पॉट की तरह काम करने के साथ उसमें पानी भी ज्यादा समय तक ठहरने देता है। वह कहती है कि पहले मैं जमीन में सभी पौधे लगाती थी, लेकिन अगल-बगल की मिट्टी में दीमक होने के कारण पौधे खराब हो जाते थे, इसलिए गमले में और नारियल के खोल में इन्हें लगाना शुरू किया।
रोजाना दो घंटे गार्डन में करती हैं काम
नौकरी के साथ खूबसूरत गार्डन बनाने के लिए समय कैसे निकालती हैं, यह सवाल पूछने पर साक्षी कहती हैं कि यूनिवर्सिटी जाने से पहले 2 घंटे गार्डन में रहती हूं। सुबह 6 से 8 बजे तक इसके समय निकालती हूं। इसके अलावा मम्मी बहुत मदद करती हैं। प्लास्टिक कैन और बॉटल काट कर उनमें पौधे लगाने का आइडिया भी उन्हीं का था। साक्षी के अपनी तरह के अनोखे सेल्फ सस्टेंड गार्डन ‘जंगलवास’ में 150 एग्जॉटिक पौधे हैं, जो फिलोडेंड्रोन, मॉन्स्टेरा, बेगॉनिया, एपिप्रेमनम, क्लोरोफाइटम, अग्लोनेमा, परिवारों से हैं।