Innovation : केसी सिजोय ने नारियल छीलने की मशीन बनाई है. इस अविष्कार पर केंद्र सरकार ने हाल ही में 25 लाख रुपए का ग्रांट दिया है. बीते महीने उनके स्टार्टअप को टॉप तीन स्टार्टअप में चुना गया है

सेहत के लिए बेहद लाभकारी माने जाने वाला नारियल पानी हम सभी को पसंद है, लेकिन इसे छीलने में काफी मेहनत करनी पड़ती है. कई को पता ही नहीं है कि इसे आकर्षक तरीके से कैसे पेश किया जाए? केरल के त्रिशूर में कंजनी गांव के केसी सिजोय ने जब यह देखा तो उन्होंने नारियल छीलने की मशीन बना डाली.

सिजोय के इस अविष्कार पर केंद्र सरकार ने हाल ही में 25 लाख रुपए का अनुदान भी दिया है. सिजोय जो कभी एक टेक्नीशियन थे, अब अपनी कंपनी के मालिक हैं. उनके बिजनेस को केरल कृषि विश्वविद्यालय के ‘एग्री-प्रेन्योरशिप ओरिएंटेशन प्रोग्राम’ के तहत इन्क्यूबेशन की सहायता मिली है. साथ ही बीते महीने उनके स्टार्टअप को टॉप तीन स्टार्टअप में चुना गया है. केरल कृषि विश्वविद्यालय में कृषि अभियांत्रिकी (इंजीनियरिंग) विभाग के रफ्तार एग्री-बिजनेस इनक्यूबेटर के प्रमुख केपी सुधीर कहते हैं कि बाजार में नारियल छीलने के और भी कई यंत्र मौजूद हैं. लेकिन, सिजोय की मशीन हाई-टेक है और यह नारियल की कठोर खोल को भी छील सकती है

सऊदी अरब में करते थे काम, भारत लौटे तो नारियल छीलने की परेशानी देखी
सिजोय ने ‘नेत्तूर टेक्निकल ट्रेनिंग फाउंडेशन‘ (NTTF) से ‘टूल ऐंड डाई मेकिंग’ कोर्स किया था और इसके बाद, वह काम करने सऊदी अरब चले गए. वहां, उन्होंने एक बड़ी इंडस्ट्री में सांचे बनाने का काम किया. साल 2005 में वह भारत वापस लौट आए. उन्होंने अपने आस-पास देखा कि बहुत से लोग, नारियल के सहारे आजीविका चला रहे हैं. कोई नारियल उगाता है, तो कोई नारियल की बिक्री करता है. मीडिया को उन्होंने बताया कि जो लोग कच्चे नारियल बेचने का काम करते हैं, उन्हें इसे छीलने में काफी मेहनत करनी पड़ती है. लिहाजा, सिजाेय ने इस बारे में शोध किया और देखा कि नारियल को काटने या छीलने के लिए, क्या कोई मशीन उपलब्ध है? कुछ मशीनें थी लेकिन, ये सिर्फ कच्चे नारियल के लिए ही काम में आती थीं.

दस साल की मेहनत के बाद बनी मशीन
लगभग 10 सालों के शोध और मेहनत के बाद, सिजोय ने नारियल छीलने वाली एक खास मशीन बनाई. यह मशीन न सिर्फ 40 सेकेंड में एक नारियल को छील देती है, बल्कि इसके हल्के कठोर छिल्कों को भी एक मिलीमीटर के आकार में काट देती है, जिसे चारे के रूप में जानवरों को खिलाया जा सकता है. इसके लिए उन्होंने अपने ट्रेनिंग कोर्स के ज्ञान और सऊदी अरब में अपने काम के अनुभव का इस्तेमाल करते हुए पहले मशीन का प्रोटोटाइप तैयार किया. साल 2015 में अपने प्रोटोटाइप के लिए पेटेंट फाइल किया था. साल 2017 में उन्हें पेटेंट हासिल हुआ.

मशीन बनाने के बाद शुरू किया व्यवसायिक इस्तेमाल, सुपरमार्केट के साथ की साझेदारी
सिजोय ने अपने बिजनेस को ‘कुक्कोस इंडस्ट्रीज’ के नाम से रिजस्टर्ड कराया है. छिले हुए नारियल बेचने के लिए उन्होंने कई सुपरमार्केट के साथ साझेदारी भी की थी. वह स्थानीय लोगों से नारियल खरीदते थे और सुपरमार्केट को 30 रुपए की दर से छिले हुए नारियल देते थे. लेकिन, कुछ महीने बाद उन्होंने यह बंद कर दिया. उनके मुताबिक वे चाहते थे कि इस मशीन से ज्यादा कमाई के लिए बाजार के हिसाब से इसमें और सुधार करना जरूरी था. इसके बाद सिजोय ने मशीन में कुछ बदलाव किए हैं. उन्होंने अब इसमें 750 वाट की मोटर लगाई है ताकि इससे एक घंटे में 60 से 80 नारियल छीले जा सकें. वह कहते हैं, “बाजार में अभी व्यावसायिक मॉडल उपलब्ध नहीं है. लेकिन जब मैं सभी बदलाव कर लूंगा तो त्रिशूर जिले में कुछ मशीनें उपलब्ध कराऊंगा. एक साल तक, मैं मशीन के काम को देखूंगा, अगर कोई परेशानी होगी तो इसे ठीक करके, एक आखिरी मॉडल तैयार करूँगा, जिसे देशभर में बेचा जा सके.”


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