महिला सशक्तिकरण…100 वर्ष से भी अधिक उम्र वाली दादी बदरा बाई वर्मा की प्रेरणादायक कहानी…अखबारों की सुर्खियों में कोई जगह न सम्मान की चाह निःस्वार्थ भाव से अपने कर्तव्य पथ पर चलना ही जीवन का मूलमंत्र है

कमलेश यादव:उम्र का लंबा अनुभव, भरी आंखें एकाग्रता से जब प्यार भरी नजरों से देखती है तो वात्सल्य झलकता है।हम बात कर रहे है छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार भाटापारा जिले की दादी बदरा बाई वर्मा पति स्व.तुकाराम वर्मा के बारे में।दादी का उम्र 100 वर्ष से भी अधिक है।उम्र के एक पड़ाव पर आकर हर व्यक्ति के जीवन में एक ठहराव आ जाता है जब जरूरतें न्यूनतम हो जाती हैं,सारे कर्तव्य पूरे हो चुके रहते हैं।दादी की आंखों में संतुष्टि की चमक नजर आती है।

घर परिवार को सहेजते हुए ताउम्र बरगद के वृक्ष की तरह सभी को पोषित करने वाली दादी है।भाग दौड़ भरी जिंदगी में आज मनुष्य की औसत आयु बहुत कम हो गई है।आधुनिकता की चकाचौंध से हम खुद को पहचान नही पा रहे है।100 वर्ष से भी अधिक उम्र वाली दादी हमारे लिए प्रेरणास्रोत है कैसे परिवार और स्वयं में संतुलन बनाकर जीवन जिया जाता है।गांव की आबो हवा में,दिन भर घर की चूल्हा चौका और रोजमर्रा के कार्य के साथ पूरी जिंदगी समर्पित करने वाली दादी है।वास्तव में महिला सशक्तिकरण की मिसाल ऐसी महिलाएं है जो गुमनामी के साथ अपने परिवार समाज के लिए बहुत कुछ कर जाती है।

आज भी गांव में महिला शक्ति सुबह से देर रात तक घर के काम में व्यस्त रहती है।अखबारों की सुर्खियों में कोई जगह न सम्मान की चाह निःस्वार्थ भाव से अपने कर्तव्य पथ पर चलना ही जीवन का मूलमंत्र है।दादी बदरा बाई कहती है “अपने माँ बाप का खूब सेवा करो,बड़ो का सम्मान और छोटो से प्यार यही जीवन का आधार है कभी भी धन के पीछे न भागो असली धन तो आपके साथ देने वाले लोग है” यकीनन हमारे आसपास में ही ऐसे कई प्रेरणास्रोत है जिसे देखने के लिए नजरिये की जरूरत है।


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